असम में हार के बाद दरक रहा कांग्रेस का किला, एक और विधायक का इस्तीफा, भाजपा में जाने की अटकलें

Assam Politics: कांग्रेस की ओर से विधायक सुशांत बोरगोहेन को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था मगर नोटिस का जवाब देने की जगह सुशांत ने पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया।

Written By :  Anshuman Tiwari
Published By :  Shivani
Update:2021-07-31 12:22 IST

 विधायक सुशांत बोरगोहेन (Photo Social Media)

Assam Politics: असम में भाजपा के हाथों विधानसभा चुनाव (Assam Assembly Election) हारने के बाद कांग्रेस (Assam Congress) का किला लगातार दरकता जा रहा है। कांग्रेस के एक विधायक (Congress MLA Resign) ने पहले ही पार्टी से इस्तीफा देकर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी और अब पार्टी के एक और विधायक ने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।

पार्टी की ओर से विधायक सुशांत बोरगोहेन (Sushanta Borgohain) को कारण बताओ नोटिस (Karan Batao Notics) जारी किया गया था मगर नोटिस का जवाब देने की जगह सुशांत ने पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया। अब उनके भाजपा में शामिल होने की सियासी अटकलें लगाई जा रही हैं। जानकार सूत्रों का कहना है कि असम में पार्टी के लिए अपना किला बचाना मुश्किल साबित हो रहा है क्योंकि पार्टी विधायक नेतृत्व के रवैये से संतुष्ट नहीं हैं।

नोटिस जारी होने के बाद छोड़ी पार्टी

ताजा मामला ऊपरी असम की थौरा सीट से चुनाव जीतने वाले विधायक सुशांतो बोरगोहेन से जुड़ा हुआ है। दरअसल भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भाबेश कलिता ने बोरगोहेन के भाजपा में शामिल होने की संभावना जताई थी। उनके इस बयान के बाद पार्टी की ओर से सुशांत को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था।

सुशांत को इस नोटिस का 31 जुलाई तक जवाब देना था। 28 जुलाई को जारी नोटिस का जवाब देने की जगह सुशांत ने पार्टी से ही इस्तीफा दे दिया है। उनका इस्तीफा पार्टी के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है क्योंकि कांग्रेस के एक अन्य विधायक ने पहले ही पार्टी छोड़कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। अब सुशांत के भी जल्द ही भाजपा में शामिल होने की संभावना जताई जा रही है।

नए अध्यक्ष भी नाकाम साबित हो रहे

असम में पार्टी नेतृत्व की ओर से हाल ही में भूपेन बोरा (Bhupesh Bora) को अध्यक्ष बनाया गया था मगर बोरा भी कांग्रेस विधायकों को एकजुट रखने में नाकाम साबित होते दिख रहे हैं। सुशांत से जुड़े प्रकरण पर बोरा का कहना है कि उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था मगर उन्होंने पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने कहा कि सुशांत के प्रकरण पर पार्टी नेतृत्व कानूनी विशेषज्ञों से सलाह मशविरा कर रहा है।

असम कांग्रेस की ओर से सुशांत को जारी नोटिस में कहा गया था कि आपके जल्द ही भाजपा में शामिल होने की बात कही जा रही है। ऐसे में आपको अपना रुख स्पष्ट करना चाहिए। बोरा ने कहा कि पार्टी की ओर से कानूनी विशेषज्ञों की सलाह के आधार पर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

पार्टी को पहले भी लग चुका है बड़ा झटका

इससे पहले कांग्रेस को जून महीने के दौरान भी बड़ा झटका लगा था। मई महीने के दौरान असम में हिमंत बिस्वा सरमा की अगुवाई में भाजपा की सरकार का गठन हुआ था। 18 जून को कांग्रेस के विधायक रूपज्योति कुर्मी ने कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया था और उन्होंने 21 जून को भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली थी। रूपज्योति चार बार विधायकी का चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं। वे चाय जनजाति समुदाय के एकमात्र विधायक थे मगर कांग्रेस नेतृत्व से मतभेदों के कारण उन्होंने पार्टी छोड़कर भाजपा में शामिल होने का फैसला किया।


उनके अलावा गुवाहाटी में जिला अध्यक्ष जूरी शर्मा बारदोलोई ने भी 18 जून को पार्टी से इस्तीफा दिया था और बाद में 2 जुलाई को वे भाजपा में शामिल हो गए थे। इन नेताओं के अलावा पूर्व मंत्री राजीव लोचन पेगू के भी भाजपा में जाने की अटकलें लगाई जा रही हैं।

भाजपा को रोकने में विफल रही कांग्रेस

असम में पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस की ओर से आक्रामक चुनाव प्रचार किया गया था मगर फिर भी पार्टी चुनाव जीतने में कामयाब नहीं हो सकी। राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की ओर से पूरी ताकत लगाए जाने के बावजूद भाजपा सत्ता बरकरार रखने में कामयाब रही। भाजपा ने अकेले 60 सीटों पर जीत हासिल की जबकि कांग्रेस के खाते में सिर्फ 29 सीटें ही आईं।

भाजपा के सहयोगी दल असम गण परिषद ने 9 सीटों पर जीत हासिल की है जबकि एक और सहयोगी दल यूनाइटेड पीपल्स पार्टी लिबरल ने 6 सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस के सहयोगी दल एआईयूडीएफ को 16 सीटों पर विजय हासिल हुई जबकि बोडोलैंड पीपल्स फ्रंट को चार सीटें मिली हैं। चुनाव हारने के बाद कांग्रेस नेता अपने विधायकों को एकजुट रखने में विफल साबित हो रहे हैं।

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