Assam News: असम ने लागू की दो बच्चों की नीति, जानिए इसकी खास बातें
असम सरकार ने अपने यहां जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए दो बच्चों की नीति लागू कर दी है।
Assam News: असम सरकार ने अपने यहां जनसंख्या नियंत्रण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए दो बच्चों की नीति लागू कर दी है। अब राज्य की कल्याणकारी योजनाओं का लाभ सिर्फ उन्हीं को मिलेगा जिनके अधिक से अधिक दो बच्चे हैं। ऐसी ही नीति लागू करने की सुगबुगाहट उत्तर प्रदेश में भी है। आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, गुजरात और मध्यप्रदेश समेत कुछ राज्यों में पहले से ही ऐसा नियम लागू है लेकिन उसे अनिवार्य नहीं किया गया है।
जब इंदिरा गांधी प्रधानमंत्री थीं तब 'हम दो, हमारे दो' का स्लोगन बहुत प्रचलित हुआ था। तत्कालीन केंद्र सरकार ने पहली बार परिवार नियोजन की दिशा में बेहद सख्त कदम उठाए थे। और उनमें नसबंदी कराना भी शामिल था। आंकड़ों के मुताबिक, इमरजेंसी के दौरान कम से कम 60 लाख लोगों की नसबंदी की गई थी और इस वजह से कम कम दो हजार लोगों की मौत भी हो गई थी।
बहरहाल, असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने कहा है कि राज्य में सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने के लिए दो बच्चों वाला नियम अनिवार्य किया जाएगा। यानी जिनके दो से ज्यादा बच्चे होंगे उनको सरकार की विभिन्न योजनाओं का लाभ नहीं मिल सकेगा। अनुसूचित जाति, जनजाति और चाय बागान के आदिवासी मजदूरों को इससे छूट दी गई है। स्वाभाविक है, इस फैसले पर विवाद हो रहा है और माना जा रहा है कि सरकार के निशाने पर राज्य के मुस्लिम हैं। इससे पहले भी मुख्यमंत्री ने अल्पसंख्यकों से जनसंख्या पर नियंत्रण के लिए परिवार नियोजन उपायों को अपनाने की सलाह दी थी। उन्होंने साफ किया है कि सरकार दो बच्चों की नीति को चरणबद्ध तरीके से लागू करेगी और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ लेने में इसे लागू किया जाएगा।
इससे पहले मुख्यमंत्री सर्वानन्द सोनोवाल के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने दो साल पहले फैसला किया था कि जिसके दो से ज्यादा बच्चे हैं उनको एक जनवरी 2021 के बाद सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने हाल में गरीबी कम करने के मकसद से जनसंख्या नियंत्रण के लिए अल्पसंख्यक समुदाय से उचित परिवार नियोजन नीति अपनाने का अनुरोध किया था। मुख्यमंत्री ने अपनी सरकार के 30 दिन पूरे होने के मौके पर कहा था कि समुदाय में गरीबी कम करने में मदद के लिए सभी पक्षकारों को आगे आना चाहिए और सरकार का समर्थन करना चाहिए। गरीबी की वजह जनसंख्या में अनियंत्रित वृद्धि है।
समझा जाता है कि उत्तर प्रदेश भी दो बच्चों वाली नीति पर आगे बढ़ रहा है और राज्य विधि आयोग प्रस्तावित कानून का मसौदा बनाने में जुटा है। इसके तहत दो से अधिक बच्चे होने पर नागरिकों को सरकारी योजनाओं से वंचित होना पड़ सकता है। आयोग के अध्यक्ष आदित्य नाथ मित्तल का कहना है कि कि दो महीने के अंदर मसौदा तैयार कर लिया जाएगा। उनका कहना है कि प्रस्तावित नीति 1976 की जनसंख्या नीति से अलग होगी यानी यह अनिवार्य नहीं होगी।
विपक्ष हुआ हमलावर
असम सरकार की दो बच्चों वाली नीति और जनसंख्या नियंत्रण के लिए दी जाने वाली सलाह के लिए विपक्षी दलों और अल्पसंख्यक संगठनों ने मुख्यमंत्री की आलोचना की है। प्रदेश कांग्रेस ने दावा किया कि असम में जनसंख्या विस्फोट पर मुख्यमंत्री की टिप्पणी, निश्चित तौर पर गलत सूचना पर आधारित व भ्रामक है। दूसरी ओर, बदरुद्दीन अजमल के ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक फ्रंट (एआईयूडीएफ) ने भी मुख्यमंत्री के बयान को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है। एआईयूडीएफ के प्रवक्ता और विधायक अमीनुल इस्लाम कहते हैं कि असम में जनसंख्या वृद्धि राष्ट्रीय औसत और कई अन्य राज्यों की तुलना में काफी कम है। सरकार के फैसले की चौतरफा आलोचना के बीच मुख्यमंत्री ने अपने बयान का बचाव करते हुए कहा है कि यह गरीबी उन्मूलन के लिए जरूरी है और इसके पीछे कोई सांप्रदायिक मकसद नहीं है।
सर्वे की रिपोर्ट
नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे की रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2005-06 के मुकाबले वर्ष 2019-20 में असम के अल्पसंख्यकों में प्रजनन दर में नाटकीय ढंग से कमी देखने को मिली है। असम में इस समुदाय में प्रजनन दर 2.4 फीसदी है, जबकि वर्ष 2005-06 में यह 3.6 फीसदी थी। इसका मतलब है असम में जहां पहले एक मुस्लिम महिला औसतन 3.6 बच्चों को जन्म दे रही थी, वह संख्या घटकर 2.4 पर आ गई है। दूसरी ओर, इस दौरान हिंदुओं की प्रजनन दर में 0.4 फीसदी की कमी आई है। चीन के जनसंख्या विशेषज्ञों ने अपने अध्ययन में दावा किया है कि भारत संयुक्त राष्ट्र के अनुमान से पहले ही दुनिया का सबसे आबादी वाला देश बन जाएगा। संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि भारत 2027 तक चीन को पीछे छोड़कर दुनिया की सबसे आबादी वाला देश बन जाएगा।