भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को लेकर छिड़ी जंग, असम सरकार के विज्ञापन पर शिवसेना-एनसीपी ने भाजपा को घेरा
Bhimashankar Jyotirling: असम सरकार की ओर से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को लेकर विज्ञापन जारी किए जाने के बाद महाराष्ट्र के विपक्षी दलों ने भाजपा पर बड़ा हमला बोला है।
Bhimashankar Jyotirling: देश के छठे ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर को लेकर जंग छिड़ गई है। असम सरकार की ओर से भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को लेकर विज्ञापन जारी किए जाने के बाद महाराष्ट्र के विपक्षी दलों ने भाजपा पर बड़ा हमला बोला है। असम सरकार की ओर से जारी किए गए विज्ञापन में दावा किया गया है कि असम के कामरूप जिले में डाकिनी हिल्स में छठवां ज्योतिर्लिंग भीमाशंकर स्थित है।
महाराष्ट्र में एनसीपी, कांग्रेस और शिवसेना के उद्धव गुट ने असम सरकार के इस विज्ञापन पर तीखी आपत्ति जताई है। इन दलों का कहना है कि हर किसी को इस बात की जानकारी है कि भीमाशंकर मंदिर महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है जहां छठा ज्योतिर्लिंग स्थापित है। ऐसे में सवाल यह है कि महाशिवरात्रि से पूर्व असम की भाजपा सरकार की ओर से इस तरह का विज्ञापन क्यों जारी किया गया।
असम सरकार ने दिया फुल पेज का विज्ञापन
दरअसल देश में लंबे समय से यह मान्यता रही है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पुणे में स्थित है। ज्योतिर्लिंग के पास ही भीमा नदी बहती है जो सह्याद्री पर्वत के पास है। काफी समय से श्रद्धालु पुणे में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग का दर्शन करते रहे हैं। ऐसे में असम सरकार की ओर से जारी किए गए विज्ञापन के बाद नया विवाद पैदा हो गया है। असम के पर्यटन विभाग की ओर से अखबारों में फुल पेज का विज्ञापन दिया गया है।
इस विज्ञापन में लिखा गया है कि भारतवर्ष के छठे ज्योतिर्लिंग स्थल कामरूप के डाकिनी पहाड़ में आपका स्वागत है। इस विज्ञापन में शिवपुराण का जिक्र करते हुए भीमशंकर की कथा भी दी गई है। विज्ञापन के साथ असम के मुख्यमंत्री डॉ हिमंत बिस्वा सरमा की तस्वीर भी छपी है। विज्ञापन में अपील की गई है कि प्राकृतिक सुंदरता के बीच भीमशंकर ज्योतिर्लिंग के पवित्र स्थान में आइए। हम महाशिवरात्रि की अध्यात्मिकता में लीन हो जाएं।
महाराष्ट्र की धरोहर छीनने की साजिश
असम सरकार की ओर से जारी विज्ञापन के बाद नया विवाद पैदा हो गया है। एनसीपी की वरिष्ठ नेता और सांसद सुप्रिया सुले ने असम सरकार के इस विज्ञापन पर तीखी आपत्ति जताई है। भाजपा पर बड़ा हमला करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा नेताओं ने तय कर लिया है कि वे महाराष्ट्र के हिस्से में कुछ भी नहीं रहने देंगे। उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र के हिस्से से पहले ही उद्योग और रोजगार छीने जा चुके हैं और अब महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहरों को भी छीनने की कोशिश की जा रही है।
असम के विज्ञापन पर जताई तीखी आपत्ति
उन्होंने कहा कि आदि शंकराचार्य ने वृहद रत्नाकर स्रोत में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के बारे में स्पष्ट तौर पर लिखा है। उन्होंने लिखा है कि भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग भीमा नदी और डाकिनी के जंगलों का उद्गम स्थल है। इसीलिए पुणे के भीमाशंकर मंदिर को देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में मान्यता मिली हुई है।
उन्होंने सवाल उठाया कि इतनी प्रमाणिक जानकारी के बावजूद असम सरकार की ओर से इस तरह का विज्ञापन क्यों जारी किया गया। उन्होंने कहा कि असम सरकार की ओर से जो दावा किया जा रहा है, उसका न तो कोई आधार है और न तो उसे स्वीकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि पुणे स्थित ज्योतिर्लिंग में दर्शन करने के लिए दूर-दूर से श्रद्धालु आते हैं। उन्होंने असम के मुख्यमंत्री को भी अपने ट्वीट में टैग करते हुए इस विज्ञापन पर तीखी आपत्ति जताई है।
उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासतों को बचाने के लिए मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को इस मामले का संज्ञान लेना चाहिए। शिंदे को इस बाबत असम के मुख्यमंत्री के सामने महाराष्ट्र का पक्ष रखते हुए आपत्ति जताने चाहिए।
कांग्रेस ने भी विज्ञापन पर उठाए सवाल
कांग्रेस नेता सचिन सावंत ने भी भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग के संबंध में असम सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा कि उद्योगों की बात तो छोड़िए, अब भाजपा सरकार महाराष्ट्र से भगवान शिव को भी छीनने की कोशिश में जुट गई है। असम सरकार के विज्ञापन में भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को असम में बताया गया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र सरकार को इस संबंध में अपना पक्ष रखते हुए असम की भाजपा सरकार की ओर से उठाए गए इस कदम की खुलकर निंदा करनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि असम सरकार के इस विज्ञापन ने महाराष्ट्र के करोड़ों लोगों के साथ ही देशवासियों की धार्मिक भावनाओं को भी धक्का पहुंचाया है। जानकारों का मानना है कि यह मामला आने वाले दिनों में सियासी तौर पर और गरमा सकता है। एमवीए गठबंधन की ओर से इस मुद्दे को लेकर भाजपा और शिंदे गुट की तगड़ी घेरेबंदी की जा सकती है।