Encounter in Assam: सुरक्षाबलों ने मार गिराए आठ उग्रवादी, भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद बरामद

Encounter in Assam: सुरक्षा बलों (Security Force) ने असम (Assam) में आठ उग्रवादियों को मार गिराया है।

Newstrack :  Network
Published By :  Dharmendra Singh
Update: 2021-05-23 09:00 GMT

सर्च अभियान के दौरान सुरक्षाबल (फाइल फोटो: सोशल मीडिया)

Encounter in Assam: सुरक्षा बलों (Security Force) ने असम (Assam) में आठ उग्रवादियों ( Militants) को मार गिराया है। इस एनकाउंटर में विद्रोही संगठन दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी (डीएनएलए) के आठ मारे गए हैं। एक पुलिस अधिकारी ने इस बात की जानकारी दी है। अधिकारी ने बताया कि कार्बी आंगलोंग जिले में डीएनएलए के उग्रवादियों को मारा गया और उनके पास से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद मिला है। क्षेत्र में सर्च अभियान अभी चल रहा है।

बताया गया कि सुरक्षा बलों को खुफिया एजेंसियों से जानकारी प्राप्त हुई थी कि नगालैंड सीमा से सटे असम के पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में कुछ उग्रवादी छिपे हैं। इसके बाद असम पुलिस और असम राइफल्स ने क्षेत्र में संयुक्त सर्च अभियान चलाया। सर्च अभियान के दौरान उग्रवादियों ने घिरता देख गोलीबारी शुरू कर दी। सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई की जिसमें आठ उग्रवादी मारे गए हैं।
सीनियर अफसर ने जानकारी दी कि मारे गए उग्रवादियों के पास से 4 एके-47 रायफल और गोला-बारूद पाया गया है। उन्होंने कहा कि मिचिबैलुंग में सर्च अभियान अभी भी चलाया जा है।

उल्फा (आई) ने ONGC के कर्मचारी को किया रिहा

उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) ने ओएनजीसी कर्मचारी को एक महीने पहले अगवा कर लिया था। इसके बाद असम के सीएम हिमंत बिस्व सरमा ने संगठन से कर्मचारी को छोड़ने की अपील की। सरमा की गुजारिश के बाद प्रतिबंधित उग्रवादी संगठन उल्फा (आई) ने ओएनजीसी कर्मचारी रितुल सैकिया को छोड़ा। एक अधिकारी ने कहा कि रितुल सैकिया का बीते 21 अप्रैल को अगवा किया गया था। असम पुलिस ने बताया कि वह भारत की सीमा में 40 मिनट तक पैदल चलकर आए।

दो साल पहले बना था दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी

उग्रवादियों ने दो साल पहले दिमासा नेशनल लिबरेशन आर्मी(DNLA) की स्थापना थी। यह उग्रवादी संगठन दिमासा का आदिवासियों के लिए एक स्वतंत्र देश बनाना लक्ष्य है। इस उग्रवादी संगठन का मुखिया नाइसोदाओ दिमासा और सचिव का नाम खारमिनदाओ दिमासा है। यह संगठन असम के डीमा हसाओ और पश्चिम कार्बी आंगलोंग जिले में एक्टिव है। इससे पहले 19 मई को इस संगठन के उग्रवादियों ने एक युवक की हत्या कर दी थी।

जानिए उल्फा के बारे में

उल्फा या युनाइटेड लिबरेशन फ्रॉन्ट ऑफ असम (United Liberation Front of Assam) असम में सक्रिय एक प्रमुख उग्रवादी संगठन हैं। इसका उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष से असम को एक स्वतंत्र राज्य बनाने का है। साल 1979 में असम में बाहरियों को भगाने के लिए आंदोलन चलाया जा रहा जो अपने चरम था। बताया जाता था कि इस आंदोलन को असम के ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन द्वारा चलाया जा रहा था। उसी दौरान परेश बरुआ ने अपने साथियों के साथ मिलकर शिवसागर में 7 अप्रैल 1979 को उल्फा की स्थापना की। परेश बरुआ के साथ भीमकान्त बुरागोहांइ, राजीव राजकोंवर अर्फ अरबिन्द राजखोवा, गोलाप बरुवा उर्फ अनुप चेतिया, समिरण गोगई उर्फ प्रदीप गोगई, भद्रेश्वर गोहांइ उल्फा का गठन करने में शामिल थे।
1986 तक चोरी-चोरी उग्रवादी संगठन उल्फा काम करता रहा और अपने काडरों की भी करता रहा। इसने ट्रेनिंग और हथियार की खरीद के लिए म्यांमार काचिन इंडिपेंडेंस आर्मी (केआईए) और नेशनलिस्ट सोशलिस्ट काउंसिल ऑफ नगालैंड (एनएससीएन) से संपर्क साधा। इन दोनों संगठनों के संपर्क करने के बाद उल्फा ने असम अपना आतंक शुरू कर दिया।
उल्फा ने इन खुनी घटनाओं को दिया अंजाम
उल्फा वामपंथी विचारधारा को मानता है। इस संगठन का संबध माओवादियों से भी है। दावा किया जाता है कि उसके कई सदस्यों को पाकिस्तान में ट्रेनिंग मिली है। उल्फा ने साल 1990 में व्यापारी लॉर्ड स्वराज पॉल के भाई सुरेंद्र पॉल की हत्या की थी। इसके बाद साल 1991 में रूसी इंजिनियर का अपहरण कर लिया और बाद में उसकी हत्या कर दी गई।
साल 1996 में कामाख्या मंदिर, गुवाहाटी में उल्फा के उग्रवादियों ने लेफ्टिनेंट कर्नल देवेंद्र त्यागी की हत्या कर दी। इसके बाद साल 1997 में भी उग्रवादी संगठन उल्फा ने बड़ी घटना को अंजाम दिया। संगठन के उग्रवादियों ने सामाजिक कार्यकर्ता संजय घोष की अपहरण कर हत्या कर दी। इसी साल उल्फा के आंतकियों ने घात लगाकर तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रफुल्ल कुमार महंत के काफिले पर हमला बोल दिया, हालांकि हमले में वह बाल-बाल बच गए।
उल्फा के उग्रवादियों ने असम में कई पुलिस अधिकारियों की भी हत्या की है जिसमें तिनसुकिया के पुलिस अधीक्षक रवि कांत सिंह, वरिष्ठ सरकारी अधिकारी नगेन शर्मा का नाम मुख्य रूप से शामिल हैं। असन 62 हिंदी भाषियों की हत्या कर दी थी जिसमें खासकर बिहार के लोग शामिल थे।



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