असम में 25 सालों में दो लाख करोड़ से अधिक की अनियमितताएं उजागर

Guwahati News: असम में विधानसभा में पेश सार्वजनिक लेखा परीक्षक की नवीनतम रिपोर्ट में 1994 के बाद से 25 सालों में विभिन्न विभागों में दो लाख 15 हजार 286 करोड़ रुपये की अनियमितताओं को उजागर किया है।

Written By :  Ramkrishna Vajpei
Published By :  Shweta
Update:2021-07-25 20:55 IST

कॉन्सेप्ट फोटो ( फोटो सौजन्य से सोशल मीडिया)

Guwahati News: असम में विधानसभा में पेश सार्वजनिक लेखा परीक्षक की नवीनतम रिपोर्ट में 1994 के बाद से 25 सालों में विभिन्न विभागों में दो लाख 15 हजार 286 करोड़ रुपये की अनियमितताओं को उजागर किया है। इस मामले में सवालो का समाधान किया जाना अभी बाकी है। 31 मार्च, 2019 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष के लिए सामाजिक, आर्थिक (गैर-पीएसयू) और सामान्य क्षेत्रों पर अपनी रिपोर्ट में, भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) ने कहा कि राज्य सरकार के 55 विभागों को कवर करते हुए 1994-95 और 2018-19 के बीच हुई इन अनियमितताओं को 2,734 निरीक्षण रिपोर्टों (आईआरएस) में इंगित किया गया है।

असम विधानसभा के चल रहे बजट सत्र के दौरान पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि दिसंबर 2018 तक जारी किए गए 6,385 आईआर से संबंधित 39,479 मामलों का जून 2019 के अंत तक निपटारा नहीं किया गया था। ये निरीक्षण रिपोर्टें विभिन्न विभागों जैसे सार्वजनिक स्वास्थ्य इंजीनियरिंग, पीडब्ल्यूडी, जल संसाधन, सिंचाई और अंतर्देशीय जल परिवहन, और अन्य नागरिक विभागों से संबंधित हैं।

कैग ने कहा है कि कुल मामलों में से 5,262 आईआर से संबंधित 1,208 मामलों का जवाब 10 वर्षों से अधिक समय से नहीं दिया गया था। यहां तक कि प्रारंभिक उत्तर, जो जारी होने की तारीख से चार सप्ताह के भीतर कार्यालय प्रमुखों से प्राप्त किए जाने थे, उनके जवाब भी प्राप्त नहीं हुए। कैग ने दो लाख,15 हजार 285.77 करोड़ रुपये से जुड़े 39,591 मामलों पर गंभीर अनियमितताओं को लेकर टिप्पणी की है।

कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि इनमें 24 हजार 240.61 करोड़ रुपये की कथित अनियमितताएं नकदी की कस्टडी और हैंडलिंग, कैश बुक और मस्टर रोल के रखरखाव के संबंध में नियमों का पालन न करने से संबंधित थीं। अनुदान सहायता के लंबित उपयोगिता प्रमाण पत्र और लेखा परीक्षित खातों के परिणामस्वरूप 9,381.61 करोड़ रुपये की संभावित अनियमितताएँ हुईं, जबकि प्राप्तियों, अग्रिमों और अन्य शुल्कों की वसूली में देरी से 8,821.35 करोड़ रुपये की कथित अनियमितताएँ हुईं।

कैग ने कहा कि वास्तविक भुगतानकर्ताओं की वांछित प्राप्तियां 7,309.12 करोड़ रुपये, नकदी और स्टोर रखने वाले व्यक्तियों से प्रतिभूतियों की गैर-प्राप्ति 1,056.29 करोड़ रुपये थी, और अधिक भुगतान की गैर-वसूली 673.62 करोड़ रुपये पाई गई थी। इसमें कहा गया है कि स्टोर ठीक से नहीं रखने से सरकारी खजाने को 602.28 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ, जबकि 155.54 करोड़ रुपये की कथित अनियमितताओं को ऋण और नुकसान को बट्टे खाते में डालने की मंजूरी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है। कैग ने कथित अनियमितताओं के 1,63,045.36 करोड़ रुपये को "अन्य" के तहत रखा है।

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