Parental Care leave In Assam: असम में बुजुर्गों के साथ समय बिताने के लिए मिलेगी छुट्टी
Parental Care leave In Assam: असम की बिस्व सरमा सरकार परिवार और समाज में बुजुर्गों की अनदेखी को गंभीरता से लेते हुए सरकारी कर्मचारियों को बुजुर्गों के साथ समय बिताने के लिए दो दिन की छुट्टी देगी।
New Delhi: बुजुर्गों के लिए अकेलापन (Loneliness) बहुत बड़ी तकलीफ होती। न कोई पास बैठने वाला और न कोई बातचीत करने वाला। परिवार और समाज में बुजुर्गों की अनदेखी एक बहुत बड़ी सामाजिक समस्या (Ignoring the elderly is a huge social problem) है। इस दिशा में अब असम की बिस्व सरमा सरकार (Biswa Sarma Sarkar) ने एक अच्छी पहल की है। सरकार की योजना के तहत सरकारी कर्मचारियों को बुजुर्गों के साथ समय बिताने के लिए दो दिन की छुट्टी अलग से मिलेगी। असम सरकार (Assam government) ने सरकारी कर्मचारियों को लिए छह और सात जनवरी को दो दिनों की विशेष छुट्टी का ऐलान किया है ताकि वे माता-पिता और ससुराल वालों के साथ वक्त बिता सकें।
हालांकि सबूत के तौर पर उनको एक दर्जन तस्वीरें भी पेश करनी होंगी। जिन कर्मचारियों के माता-पिता या ससुराल वाले जीवित नहीं हैं, वे विशेष अवकाश के हकदार नहीं होंगे। राज्य में तैनात मंत्री, आईएएस और आईपीएस अधिकारी भी इस छुट्टी का लाभ उठा सकेंगे। असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने एक ट्वीट में कहा - मैं असम सरकार के कर्मचारियों से आग्रह करता हूं कि दो दिन की विशेष छुट्टी के दौरान वे अपने माता-पिता या ससुराल वालों के साथ गुणवत्तापूर्ण समय बिताएं। आठ और नौ जनवरी को क्रमशः शनिवार और रविवार होने की वजह से कर्मचारियों को लगातार चार दिनों तक अपने परिवार के साथ समय बिताने का मौका मिल जाएगा।
असम का प्रणाम विधेयक (Assam's Pranam Bill)
असम सरकार ने करीब चार साल पहले प्रणाम विधेयक पारित किया था जिसके तहत मात-पिता की देखभाल नहीं करने वाले सरकारी कर्मचारियों का वेतन काटने का प्रावधान है। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, वर्ष 2050 तक भारत में बुजुर्गों की कुल आबादी 31 करोड़ से अधिक हो जाने की उम्मीद है। हेल्पेज इंटरनेशनल नेटवर्क की ओर से तैयार ग्लोबल एज वाच इंडेक्स में बुजुर्गों के रहने के लिए सबसे बेहतर 96 देशों की सूची में भारत 71 वें स्थान पर था। ये एक ख़राब स्थिति है।
बढ़ रही बुजुर्ग आबादी
भारत में बुजुर्गों की आबादी (elderly population) लगातार बढ़ रही है। एक अध्ययन के अनुसार, देश में सामान्य आबादी की वृद्धि दर जहां 12 फीसदी है वहीं बुजुर्गों यानी साठ साल के पार लोगों की आबादी 36 फीसदी की दर से बढ़ रही है। अगले दस वर्षों में बुजुर्गों आबादी देश की कुल आबादी का 13 फीसदी तक पहुंचने का अनुमान है। राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण (एनएसएएस) द्वारा वृद्धों पर जारी एक विस्तृत रिपोर्ट में कहा गया है कि 2011-21 के बीच सामान्य आबादी की बढ़ोतरी की रफ्तार 12.4 फीसदी रही है, जबकि इस अवधि में 60 साल पार जनसंख्या 36 प्रतिशत की दर से बढ़ी है।
रिपोर्ट के मुताबिक 2001 से 2011 के बीच बुजुर्गों की आबादी में 2.7 करोड़ की वृद्धि हुई। 2011 से 2021 के बीच यह वृद्धि 3.4 करोड़ की रही और 2021 से 31 के बीच वृद्धों की आबादी में 5.6 करोड़ की वृद्धि का अनुमान है। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2021 में देश में बुजुर्गों की आबादी 13.8 करोड़ हो सकती है। वर्ष 2031 में कुल आबादी का 13.1 फीसदी हिस्सा बुजुर्ग होंगे, जबकि 2021 में यह आंकड़ा 10.1 प्रतिशत है। वर्ष 1961 में महज 5.6 फीसदी आबादी बुजुर्गों की थी।
राज्यों का हाल
बुजुर्गों की सबसे ज्यादा 13 फीसदी आबादी केरल (Elderly population in Kerala) में है जबकि सबसे कम 7.7 फीसदी बिहार में। एनएसओ की रिपोर्ट के मुताबिक 2031 में जब देश की 13.1 फीसदी आबादी बुजुर्गों की होगी तो केरल और तमिलनाडु में उनकी आबादी क्रमशः 21 और 18 फीसदी पहुंच जाएगी।
स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतें
एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार 18 फीसदी से ज्यादा बुजुर्ग अवसाद के शिकार हैं और 70 से 80 साल की उम्र के करीब 45 फीसदी लोगों को कभी ना कभी मनोचिकित्सीय या मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग की जरूरत पड़ती है।
इस कानून के तहत सरकारी कर्मचारियों के लिए अपने माता-पिता की देखरेख (parental care) अनिवार्य कर दिया गया है। कानून में ऐसा नहीं करने वालों के खिलाफ कार्रवाई का प्रावधान है। उन कर्मचारियों के वेतन का 10-15 प्रतिशत हिस्सा काट कर उनके माता-पिता को दिया जा सकता है।
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