Sarbananda Sonowal: कौन है सर्बानंद सोनोवाल, जिसे मोदी कैबिनेट में मिली दो-दो जिम्मेदारी, जानिए उनके बारे में
Sarbananda Sonowal: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में हुए कैबिनेट विस्तार में असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल का नाम भी शामिल हो गया है।
Sarbananda Sonowal: मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में हुए कैबिनेट विस्तार (Cabinet Expansion) में असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल (Sarbananda Sonowal) का नाम भी शामिल हो गया है। जब असम की जिम्मेदारी हिमंता बिस्वा सरमा (Himanta Biswa Sarma) को सौंपी गई थी, तब से लोग ये अटकलें लगा रहे थे कि सर्बानंद सोनोवाल को मोदी कैबिनेट में शामिल किया जा सकता है। वैसे सर्बानंद सोनोवाल के लिए ये कोई पहला अवसर नहीं है, वे इससे पहले भी केंद्रीय मंत्रिमंडल के नेता रह चुके है।
आपको बता दें कि 26 मई 2014 से लेकर 23 मई 2016 तक सर्बानंद सोनोवाल को राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के रूप में खेल एवं युवा मंत्रालय (Ministry of Youth Affairs and Sports) का जिम्मा सौंपा गया था। इसके बाद 2016 में असम में भाजपा की ऐतिहासिक जीत होने के बाद पीएम मोदी ने सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री पद के लिए चुना था।
सर्बानंद सोनोवाल का विभाग (Sarbananda Sonowal department)
बुधवार को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल में हुए कैबिनेट विस्तार (Cabinet Expansion) में मंत्रियों को उनके विभाग की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इस कड़ी में असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल को आयुष मंत्रालय (Ministry of AYUSH) की जिम्मेदारी दी गई है। इसके अलावा, उन्हें बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय (Ministry of Ports, Shipping and Waterways) का विभाग भी दिया गया है।
सर्बानंद सोनोवाल का जीवन परिचय (Sarbananda Sonowal Biography)
सर्बानंद सोनोवाल का जन्म (Sarbananda Sonowal Birth) डिब्रूगढ़ जिले के दिंजन में 31 अक्टूबर 1962 को हुआ था। उनका पिता का नाम जीवेश्वर सोनोवाल (Jiveshwar Sonowal) और माता का नाम दिनेश्वरी सोनोवाल (Dineshwari Sonowal) है। अगर बात करें उनकी पत्नी (Sarbananda Sonowal wife) और फैमिली (Sarbananda Sonowal Family) के बारे में, तो बता दें कि सर्बानंद सोनोवाल ने अभी तक शादी नहीं की है। वह अविवाहित हैं।
सर्बानंद सोनोवाल की शिक्षा (Sarbananda Sonowal Education)
सर्बानंद सोनोवाल की शिक्षा डिब्रूगढ़ में हुई है। उन्होंने डिब्रूगढ़ विश्वविद्यालय (Dibrugarh University) के डिब्रूगढ़ हनुमानबक्स सूरजमल कनोई कॉलेज (Dibrugarh Hanumanbax Surajmall Kanoi College) से अंग्रेजी में बीए (ऑनर्स) की डिग्री ली है। इसके बाद उन्होंने गौहाटी यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज ( Gauhati University Law College) से एलएलबी (LLB) किया। साल 1992 से लेकर 1999 तक सर्बानंद असम के छात्र संगठन ऑल असम स्टूडेंट्स यूनियन (All Assam Students Union) के अध्यक्ष रहे। आपको बता दें कि सर्बानंद सोनोवाल को अग्निशामक और गतिशील युवा राजनेता के तौर पर भी पहचाना जाता है। यह नाम छात्र निकाय एएएसयू द्वारा दिए गए नामों में से एक है।
सर्बानंद सोनोवाल का राजनीतिक करियर (Sarbananda Sonowal Political Career)
सर्बानंद सोनोवाल ने अपना राजनीतिक करियर साल 1992 से शुरू की। वे नॉर्थ इस्ट स्टुडेंट्स यूनियन (North East Students Union) के अध्यक्ष भी रहे। जब वे भाजपा के सदस्य नहीं , तब वे असम गण परिषद ( Asom Gana Parishad) के सदस्य थे। साल 2001 में उन्हें असम के मोरन निर्वाचन क्षेत्र से विधायक के तौर पर चुना गया। इसके बाद साल 2004 में वह डिब्रूगढ़ निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य बने, जिसके बाद वे 2009 के चुनाव में खड़े। इस चुनाव में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। हार का मुंह देखने के बाद वे साल 2011 में भाजपा में शामिल हो गए। भाजपा में शामिल होते ही उन्हें कार्यकारिणी सदस्य बना दिया गया। इस दौरान वे भाजपा के प्रवक्ता भी रहे।
साल 2012 व 2014 में सर्बानंद सोनोवाल को दो बार असम भाजपा अध्यक्ष चुना गया। इसके बाद उन्हें साल 2014 के लोकसभा के आम चुनाव के लिए राज्य के लोकसभा चुनावों का प्रतिनिधित्व करने के लिए चुना गया। साथ ही उन्हें लखीमपुर निर्वाचन क्षेत्र से लोकसभा सदस्य के रूप में भी चुना गया। इस दौरान उन्हें मोदी सरकार द्वारा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) के तौर पर नियुक्त किया गया था।
साल 2016 के असम विधानसभा चुनाव में भाजपा की तरफ से सर्बानंद सोनोवाल को मुख्यमंत्री म्मीदवार के रूप में चुना गया था, जिसके बाद वे 19 मई 2016 को माजुली निर्वाचन क्षेत्र (Majuli Constituency) से विजयी हुए। सर्बानंद सोनोवाल को असम के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में चुना गया था। 2021 के असम विधानसभा में वह फिर से माजुली असम विधानसभा के लिए चुने गए। असम में भाजपा की जीत के बाद उन्होंने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया और इस पद के लिए हिमंत बिस्वा सरमा के नाम का प्रस्ताव दिया।