बसंत पंचमी: आज के दिन ये करना है जरूरी, मां सरस्वती होंगी प्रसन्न

आज के दिन मां सरस्वती के पूजन के दौरान उन्हें पीली चीजें अर्पित करने का विधान है। आज मां सरस्वती की विधिवत पूजा करनी चाहिये, पीले वस्त्र धारण करना चाहिए, मीठे पीले चावल खाना चाहिए, पुस्तकों और वाद्य यंत्रों की पूजा करना चाहिए।

Update:2021-02-16 11:26 IST
बसंत पंचमी: आज के दिन ये करना है जरूरी, मां सरस्वती होंगी प्रसन्न

नीलमणि लाल

लखनऊ: शिक्षा, ज्ञान और संगीत की देवी मां सरस्वती की आराधना का विशेष दिन बसंत पंचमी का त्योहार आज पूरे विश्व में हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती प्रकट हुईं थीं और वीणा का तार छेड़कर सृष्टि में प्राण डाल दिए थे। आज के दिन मां सरस्वती के पूजन के दौरान उन्हें पीली चीजें अर्पित करने का विधान है। आज मां सरस्वती की विधिवत पूजा करनी चाहिये, पीले वस्त्र धारण करना चाहिए, मीठे पीले चावल खाना चाहिए, पुस्तकों और वाद्य यंत्रों की पूजा करना चाहिए।

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पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार ब्रह्मा ने अपने भ्रमण के दौरान सारी सृष्टि को कांतिहीन और उदासीन पाया। ये देखकर ब्रह्मा जी भगवान विष्णु के पास गए और सारी बात बताई। इस पर भगवान विष्णु ने ब्रह्मा से कहा कि आप देवी सरस्वती का आह्वान कीजिए, वे ही आपकी समस्या का समाधान कर सकती हैं। ब्रह्मा जी ने अपने कमंडल में से पृथ्वी पर जल छिड़का और इन जलकणों से चार भुजाओं वाली एक शक्ति प्रकट हुई जिसके हाथों में वीणा, पुस्तक और माला थी। ब्रह्मा जी ने शक्ति से वीणा बजाने को कहा ताकि पृथ्वी की उदासी दूर हो सके। उस शक्ति ने जैसे ही वीणा के तार छेड़े तो सारी पृथ्वी लहलहा उठी और सभी जीवों को वाणी मिल गई। वो दिन बसंत पंचमी का दिन था। तब से इस दिन को मां सरस्वती के प्राकट्य दिवस के रूप में मनाया जाता है।

पीले रंग का महत्व

धार्मिक रूप से पीले रंग को पीले रंग को शुभ, शुद्ध और सात्विक प्रवृत्ति का माना जाता है और ये सादगी व निर्मलता को प्रदर्शित करता है। मान्यता है कि पीला रंग माता सरस्वती का प्रिय रंग है। माना जाता है कि जब ब्रह्मांड की उत्पत्ति हुई थी तब तीन ही प्रकाश की आभा थी वो थी लाल, पीली और नीली। इनमें से पीली आभा सबसे पहले दिखी थी। इसके अलावा बसंत को ऋतुओं का राजा माना जाता है। बसंत के मौसम में सरसों की पीले रंग से सजी फसलें खेतों में लहलहाती हैं। फसल पकती है और पेड़-पौधों में नई कपोलें फूटती हैं जो कि प्रकृति को पीले और सुनहरे रंगों से सजा देती है। इसकी वजह से धरती पीली सी नजर आती है।

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मां सरस्वती का जन्म भी बसंत ऋतु में ही हुआ है। इन वजहों माता की पूजा के समय सिर्फ वस्त्र ही नहीं बल्कि उन्हें अर्पित किए जाने वाले वस्त्र भोग, फल, फूल भी पीले रंग के होते हैं. इस तरह सिर्फ मां सरस्वती को ही नहीं बल्कि प्रकृति के प्रति भी सम्मान और आभार प्रकट किया जाता है।

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