इस मंदिर के कुंड में अगर करते हैं स्नान तो दूर हो जाएगी ये बीमारी
छठ पर्व को सबसे ज्यादा बिहार में मनाया जाता है। बिहार में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं, जो धार्मिक स्नान की वजह से ही प्रसिद्ध हैं।
औरंगाबाद(बिहार): प्रकृति पर्व छठ में सूर्य देव की उपासना का बहुत महत्व है। छठ पर्व पर छठी मईया और सूर्य की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन भक्ति भाव से पूजन करने से कष्टों से छुटकारा मिलता है। छठ पर्व साल में दो बार आता है। एक चैत्र माह के दौरान और दूसरा कार्तिक मास में। लेकिन मान्यता कार्तिक मास वाले छठ की ही है। छठ पर्व को सबसे ज्यादा बिहार में मनाया जाता है। बिहार में ऐसे कई धार्मिक स्थल हैं, जो धार्मिक स्नान की वजह से ही प्रसिद्ध हैं। बिहार के औरंगाबाद में सूर्य मंदिर है जहां पर छठ पर्व पर भक्तों की भीड़ उमड़ती है।
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अद्भुत और इकलौता मंदिर
इस मंदिर की विशेष मान्यताएं हैं। मंदिर में कई कारियां हैं जो हर किसी को आकर्षित करती हैं। यह मंदिर दुनिया का इकलौता पश्चिमाभिमुख सूर्यमंदिर है। किवदंती है कि इस मंदिर का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने खुद किया था। यह मंदिर एकमात्र ऐसा सूर्य मंदिर है जो पूर्वाभिमुख न होकर पश्चिमाभिमुख है। मंदिर में शिव-पार्वती की दुर्लभ प्रतिमा है।
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काले और भूरे पत्थरों से बना ये मंदिर देखने में भी खूबसूरत है। यह मंदिर बाहर से देखने में बिलकुल जगन्नाथ मंदिर की तरह है। मंदिर में 7 रथों से सूर्य की उत्कीर्ण प्रस्तर प्रतिमाएं अपने तीनों स्वरूपों उदयाचल – प्रातः सूर्य, मध्याचल-मध्य सूर्य और अस्ताचल सूर्य-अस्त सूर्य के रूप में विद्यमान हैं।
जरूर करें स्नान
कहते है कि मंदिर प्रागंण में धार्मिक स्नान बहुत महत्व है। एक मान्यता के अनुसार, एक राजा ऋषि के श्राप से कुष्ठ रोग से पीड़ित थे। वे एक बार शिकार करने गए और रास्ता भटक गए। भूखे प्यासे राजा को एक सरोवर दिखाई दिया। जहां वे उसके किनारे गए और उन्होंने अंजलि में पानी भर कर पानी पिया। वो हैरान हो गए कि जिन जगहों पर पानी का स्पर्श हुआ वहां से सफेद दाग ठीक हो गए। यह देखकर राजा वस्त्रों सहित पानी में लेट गए। जिससे उनके पूरे शरीर के दाग ठीक हो गए। तब से मान्यता है कि जो भी इस सूर्य मंदिर के पवित्र सूर्य कुंड में स्नान करता है उसके शरीर के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। इसी कारण यहां हर साल लाखों लोग कुंड में स्नान करने आते हैं।