ASTRO: कोरोना जैसी हर महामारी का इन मंत्रों से होगा निदान, करें 11 या 21 बार जाप
आज के समय हर तरफ एक ही चर्चा है कि कैसे कोरोना से मुक्ति मिले। पूरी दुनिया इस बीमारी से लड़ रही हैं। इससे निजात पाने के लिए दवाएं बनाई जा रही है। लेकिन अभी तक कोई पुख्ता स्त्रोत नहीं मिले हैं, जिससे इस बीमारी से बचा जाएं। लेकिन कहते हैं न कि दवाओं से ज्यादा असर दुआओं में होता है।तो क्यों ना इस बीमारी से बचने के लिए भी ईश्वर की शरण में जाया जाएं।
जयपुर: आज के समय हर तरफ एक ही चर्चा है कि कैसे कोरोना से मुक्ति मिले। पूरी दुनिया इस बीमारी से लड़ रही हैं। इससे निजात पाने के लिए दवाएं बनाई जा रही है। लेकिन अभी तक कोई पुख्ता स्त्रोत नहीं मिले हैं, जिससे इस बीमारी से बचा जाएं। लेकिन कहते हैं न कि दवाओं से ज्यादा असर दुआओं में होता है।तो क्यों ना इस बीमारी से बचने के लिए भी ईश्वर की शरण में जाया जाएं।
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ज्योतिषि शास्त्र में शुरू से ही महामारियों से निदान के लिए मंत्रों व स्तुति को प्रमुखता दी गई है।तो आपको बता दें कि आज भी कोरोना जैसी महामारी से छुटकारा पाने के लिए हम इलाज के साथ इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं। ये मंत्र दुर्गा सप्तशती के सिद्धमंत्र है जो देवी मां को समर्पत किए जाते हैं। यानि मां दुर्गा को नमन करते हुए उनकी शरण में जा कर उनके सिद्ध मंत्रो का जाप करना भक्तों को इच्छित फल की प्राप्ति होती हैं। दुर्गा सप्तशती के ये सिद्ध-मंत्र अनेक समस्याओं से निदान दिलाते हैं। इन मंत्रो का कम से कम 11, 21, 51 अथवा 108 बार जाप करने से व्यक्ति की मनोकामना पूर्ण होती हैं और गंभीर से गंभीर बीमारी खत्म हो जाती है।
सप्तशती के महामारी व कष्ट निवारक 6 मंत्र ...
आपत्त्ति उद्धारक मंत्र: शरणागत दीनार्त परित्राण परायणे।
सर्वस्यार्तिहरे देवी नारायणि नमो स्तुते ॥
भयनिवारक मंत्र: सर्वस्वरुपे सर्वेशे सर्वशक्तिमन्विते।
भये भ्यस्त्राहि नो देवी दुर्गे देवी नमो स्तुते ॥
पापनाशक मंत्र: हिनस्ति दैत्येजंसि स्वनेनापूर्य या जगत्।
सा घण्टा पातु नो देवी पापेभ्यो नः सुतानिव॥
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रोगनाशक मंत्र: रोगानशेषानपहंसि तुष्टा रुष्टा तु कामान् सकलानभिष्टान्।
त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां त्वामाश्रिता ह्माश्रयतां प्रयान्ति॥
महामारी नाशक मंत्र: जयन्ती मड्गला काली भद्रकाली कपालिनी।
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमो स्तुते॥
शक्ति प्राप्ति के लिये मंत्र: सृष्टि स्तिथि विनाशानां शक्तिभूते सनातनि।
गुणाश्रेय गुणमये नारायणि नमो स्तुते॥