एक श्लोकी रामायण: जप से बदलेगी किस्मत, रहेंगे हरदम मालामाल, जानें कैसे
सिर्फ एक मंत्र का विधि विधान से जाप करने से संपूर्ण रामायण का फल मिल सकता है। इस मंत्र को एक श्लोकी रामायण कहते हैं। इस मंत्र के जाप से सभी तरह की परेशानियां खत्म हो सकती हैं।
लखनऊ: भगवान श्रीराम से बारे में महर्षि वाल्मीकि द्वारा लिखी गई रामायण को सबसे सटीक माना गया है। वहीं गोस्वामी तुलसीदासजी द्वारा रचित श्रीरामचरित मानस वर्तमान में सबसे ज्यादा प्रचलित है। इन दोनों के ही पाठ करने से पापों से मुक्ति मिलती है। भगवान श्रीराम को मर्यादापुरुषोत्तम कहा गया है । इसके पीछे कारण है उनका मावन रूप में होकर ऐसे कार्य करना जो किसी भी मनुष्य के लिए आसान नहीं । तमाम परेशानियों के बाद भी उन्होने मर्यादा का साथ नहीं छोड़ा ।
अपने पिता के वचन का पालन करने के लिए वनवास जाना, माता कैकयी के अत्याचार के बाद भी उन्हें पूरा सम्मान, सीता के प्रति उनका अगाध प्रेम, अपने अनुजों के लिए लगाव, प्रजा के राजाराम । इतना सुंदर चरित्र चित्रण लेकिन क्या आज की जीवनशैली में इनसे संबंधित ज्ञान पाने के लिए समय निकाल पाना आसान है ।
रामायण में छिपे हैं राम
इस व्यस्त जीवन शैली में लोगों के पास इतना समय ही नहीं कि वो रामायण या रामचरित मानस का पाठ कर सकें। क्या आप जानते हैं पूरी रामायण का पाठ किए बिना भी आप इसका संपूर्ण फल नप्राप्त कर सकते हें । सिर्फ एक मंत्र का विधि विधान से जाप करने से संपूर्ण रामायण का फल मिल सकता है। इस मंत्र को एक श्लोकी रामायण कहते हैं। इस मंत्र के जाप से सभी तरह की परेशानियां खत्म हो सकती हैं।
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मंत्र जाप की संपूर्ण विधि
नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर भगवान श्रीराम की पूजा करें। कुश के आसन पर बैठकर भगवान के चित्र के सामने आसन लगाकर रुद्राक्ष की माला लेकर रोज 5 माला इस मंत्र का जाप करें। रोज नियत समय पर, एक ही आसन पर बैठकर और एक ही माला से मंत्र जाप किया जाए तो यह मंत्र जल्दी ही सिद्ध हो सकता है। कहा जाता है नित्य नियम से इस एक श्लोकी रामायण का मंत्र जाप भी किया जा सकता है, वैसे 108 बार इस मंत्र का जाप करना चाहिए मगर संभव न हो तो इस एक श्लोकी रामायण का 7, 14 या 21 बार भी इसका पाठ किया जा सकता है।
एकश्लोकी मंत्र
आदि राम तपोवनादि गमनं, हत्वा मृगं कांचनम्।
वैदीहीहरणं जटायुमरणं, सुग्रीव संभाषणम्।।
बालीनिर्दलनं समुद्रतरणं, लंकापुरीदाहनम्।
पश्चाद् रावण कुम्भकर्ण हननम्, एतद्धि रामायणम्।।
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इसका अर्थ
एक बार श्रीराम वनवास में गए। वहां उन्होंने स्वर्ण मृग का पीछा किया और उसका वध किया। इसी दौरान उनकी पत्नी वैदेही (सीता जी) का रावण द्वारा हरण किया गया। उनकी रक्षा करते हुए पक्षीराज जटायु ने अपने प्राण गवाएं। श्रीराम की मित्रता सुग्रीव से हुई। उन्होंने उसके दुष्ट भाई बालि का वध किया। समुद्र पर पुल बनाकर पार किया। लंकापुरी का दहन हुआ। इसके पश्चात् रावण और कुम्भकरण का वध हुआ। यही पूरी रामायण की संक्षिप्त कहानी है।