चरण स्पर्श केवल अभिवादन या कुछ और, जानिए धर्म व विज्ञान का तर्क
शुरू से हमें सिखाया गया है कि अपने से बड़ों के चरण छूकर ही प्रणाम करना चाहिए।ये प्रथा प्रारंभ से चली आ रही है। इसके पीछे अध्यात्मिक व वैज्ञानिक कारण छुपा है। इस परंपरा के पीछे कई कारण मौजूद हैं
जयपुर : शुरू से हमें सिखाया गया है कि अपने से बड़ों के चरण छूकर ही प्रणाम करना चाहिए।ये प्रथा प्रारंभ से चली आ रही है। इसके पीछे अध्यात्मिक व वैज्ञानिक कारण छुपा है। इस परंपरा के पीछे कई कारण मौजूद हैं। शास्त्रानुसार ऐसा कहा गया है कि बड़े लोगों के पैर छूने से पुण्य में बढ़ोतरी के साथ-साथ बल, बुद्धि ,विद्या ,यश और आयु की स्वत: वृद्धि होती है।जब भी हम भी हम अपने से बडे किसी व्यक्ति से मिलते हैं तो उनके पैर छूते हैं। इस परंपरा को मान-सम्मान की नजर से देखा जाता है। आज की युवा पीढी को कई मामलों में इससे भी परहेज है। नई पीढी के युवा कई बार घर परिवार और रिश्तेदारों के सामाजिक दवाब में अपने से बडो के पैर छूने की परम्परा का निर्वाह तो करते हैं, लेकिन दिल दिमाग से वह इसके लिए तैयार नहीं होते। इसलिए कई बार पैर छूने के नाम पर बस सामने कमर तक झुकते भर हैं। कुछ थोडा और कंधे तक झुककर इस तरह के हावभाव दर्शाते हैं, मानों पैर छू रहें हो, लेकिन पैर छूते नहीं।बड़ों के चरण छूने से कई फायदे होते हैं।
चरण-स्पर्श करते समय मन में अहंकार का भाव नहीं रहता। मन में विनम्रता का भाव रहता है। बड़ों के आशीर्वाद से सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त होती है। दोनों हाथों से पैर छूने से योग-प्राणायाम भी होता है जिससे शरीर स्वस्थ्य रहता है। सामने वाला कितना भी कठोर हो आशीर्वाद के स्वर निकल ही आते हैं।
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अहंकार का नाश
कहते हैं कि हमेशा पैर छूने से अन्दर का अहंकार मिट जाता है। वहीं सामने वाला कितना भी बड़ा विरोधी हो, विरोध करना बंद कर देता है। पैर छूने से हमारी संस्कृति जीवित रहती है और समाज में सम्मान बढ़ता है। विशेष तौर पर जब आप किसी जरूरी काम से कहीं जा रहे हों या कोई नया काम शुरू कर रहे हों। इससे सफलता की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही उनके आशीर्वाद स्वरूप हमारा दुर्भाग्य दूर होता है और मन को शांति मिलती है एवं विनम्रता का भाव जागृत होता है।
सकारात्मक ऊर्जा
शरीर की ऊर्जा चरण स्पर्श करने वाले व्यक्ति में पहुंचती है। श्रेष्ठ व्यक्ति में पहुंचकर ऊर्जा में मौजूद नकारात्मक तत्व नष्ट हो जाता है। सकारात्मक ऊर्जा चरण स्पर्श करने वाले व्यक्ति से आशीर्वाद के माध्यम से वापस मिल जाती है। इससे जिन उद्देश्यों को मन में रखकर आप बड़ों को प्रणाम करते हैं उस लक्ष्य को पाने का मार्ग आसान हो जाता है। पैर छूना या प्रणाम करना, केवल एक परंपरा या बंधन नहीं है। यह एक विज्ञान है जो हमारे शारीरिक, मानसिक और वैचारिक विकास से जुड़ा है। पैर छूने से केवल बड़ों का आशीर्वाद ही नहीं मिलता बल्कि अनजाने ही कई बातें हमारे अंदर आ जाती है।
शारीरिक कसरत
पैर छूने का एक अन्य बड़ा फायदा शारीरिक कसरत होती है, तीन तरह से पैर छूए जाते हैं। पहले झुककर पैर छूना, दूसरा घुटने के बल बैठकर तथा तीसरा साष्टांग प्रणाम कर के। झुककर पैर छूने से कमर और रीढ़ की हड्डी को आराम मिलता है। दूसरी विधि में हमारे सारे जोड़ों को मोड़ा जाता है, जिससे उनमें होने वाले स्ट्रेस से राहत मिलती है।
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कृष्ण ने बताया महत्व
शास्त्रों में चरण स्पर्श के महत्व को स्वयं भगवान श्री कृष्ण ने सुदामा के चरणस्पर्श कर के बताया था, कृष्ण ने केवल चरण ने छूए बल्कि उन्हें धोया भी, मान्यता है कि सुख सौभाग्य की कामना के लिए नवरात्रो पर कन्याओं के पैर धोकर पूजे जाते है।
तनाव को कम करता है
तीसरी विधि में सारे जोड़ थोड़ी देर के लिए तन जाते हैं, इससे भी स्ट्रेस दूर होता है। इसके अलावा झुकने से सिर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जो स्वास्थ्य और आंखों के लिए लाभप्रद होता है। प्रणाम करने का तीसरा सबसे बड़ा फायदा यह है कि इससे हमारा अहंकार कम होता है।किसी के पैर छुना यानी उसके प्रति समर्पण भाव जगाना, जब मन में समर्पण का भाव आता है तो अहंकार स्वत: ही खत्म होता है। इसलिए बड़ों को प्रणाम करने की परंपरा को नियम और संस्कार का रूप दे दिया गया। अत: प्रत्येक दिन सुबह में और किसी भी कार्य की शुरुआत से पहले हमें अपने घर के बड़े बुजर्गों के, माता पिता के चरण स्पर्श अवश्य करने चाहिए। इससे कार्य में सफलता की सम्भावना बढ़ जाती है। मनोबल बढ़ता है और सकारात्मक उर्जा मिलती है नकारात्मक शक्ति घटती है।