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6 जनवरी को करें यह व्रत, भरेगी सूनी गोद, होगी लक्ष्मीवान संतान

पौष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी का पावन व्रत रखा जाता है। श्री हरि भगवान विष्णु को समर्पित यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत के समान दूसरा कोई व्रत नहीं है।

suman
Published on: 5 Jan 2020 6:58 AM IST
6 जनवरी को करें यह व्रत, भरेगी सूनी गोद, होगी लक्ष्मीवान संतान
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जयपुर: पौष की एकादशी को पुत्रदा एकादशी का पावन व्रत रखा जाता है। श्री हरि भगवान विष्णु को समर्पित यह व्रत संतान प्राप्ति के लिए रखा जाता है। मान्यता है कि पुत्रदा एकादशी व्रत के समान दूसरा कोई व्रत नहीं है। इस व्रत के पुण्य से मनुष्य तपस्वी, विद्वान और लक्ष्मीवान होता है। इस व्रत के प्रभाव से सौभाग्य और शांति प्राप्त होती है। मान्यता है कि संतान प्राप्ति के लिए इस व्रत का विशेष महत्व है। इस व्रत के प्रभाव से संतान की रक्षा होती है। जिन्हें संतान होने में बाधाएं आती हैं उन्हें पुत्रदा एकादशी का व्रत जरूर रखना चाहिए। इस उपवास को रखने से संतान संबंधी हर चिंता और समस्या का निवारण हो जाता है। इस बार पुत्रदा एकादशी 6 जनवरी को है।

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व्रत कथा प्राचीन काल में भद्रावती नगर में राजा सुकेतुमान का शासन था। उनकी पत्नी का नाम शैव्या था। सालों बीत जाने के बावजूद संतान नहीं होने के कारण पति-पत्नी दुःखी और चिंतित रहते थे। इसी चिंता में एक दिन राजा सुकेतुमान अपने घोड़े पर सवार होकर वन की ओर चल दिए। घने वन में पहुंचने पर उन्हें प्यास लगी तो पानी की तलाश में वे एक सरोवर के पास पहुंचे। वहां उन्होंने देखा कि सरोवर के पास ऋषियों के आश्रम भी हैं और वहां ऋषि-मुनी वेदपाठ कर रहे हैं। पानी पीने के बाद राजा आश्रम में पहुंचे और ऋषियों को प्रणाम किया।

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राजा ने ऋषियों से वहां जुटने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वे सरोवर के निकट स्नान के लिए आए हैं। उन्होंने बताया कि आज से पांचवें दिन माघ मास का स्नान आरम्भ हो जाएगा और आज पुत्रदा एकादशी है। जो मनुष्य इस दिन व्रत करता है, उन्हें पुत्र की प्राप्ति होती है। इसके बाद राजा अपने राज्य पहुंचे और पुत्रदा एकादशी का व्रत शुरू किया और द्वादशी को पारण किया। व्रत के प्रभाव से कुछ समय के बाद रानी गर्भवती हो गई और उसने एक पुत्र को जन्म दिया। अगर किसी को संतान प्राप्ति में बाधा होती है तो उन्हें इस व्रत को करना चाहिए। व्रत के महात्म्य को सुनने वाले को भी मोक्ष की प्राप्ति होती है।



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