Gayatri Mantra: गायत्री के जप की महिमा
Gayatri Mantra in Hindi: गायत्री मंत्र का जप करने की महिमा अत्यंत गरिमामयी है। गायत्री मंत्र एक प्राचीन वैदिक मंत्र है जो देवी गायत्री को समर्पित है। इस मंत्र का जाप साधक को आध्यात्मिक और मानसिक शक्ति की प्राप्ति में सहायता प्रदान करता है।
ॐ भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात्।
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गायत्री का जप मानव मात्र, चाहे किसी भी जाति, धर्म, संप्रदाय आदि का क्यों न हो, कर सकता है,क्यों कि यह विशुद्ध रूप से सद्बुद्धि प्रदान करने का मंत्र है। आज सबको सद्बुद्धि की विशेष जरूरत है।सद्बुद्धि ही हमको नेक रास्ते पर जाने को प्रेरित करती है। सत्कर्म करा कर पुण्य लाभ के रूप में सुख-संपन्नता दिलाती है। स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं,उस महाराजा भगवान से कुछ माँगना हो तो छोटी वस्तु न माँगें, बड़ी वस्तु सद्बुद्धि ही है, वही माँगी जानी चाहिये। जो समस्त सुख-समृद्धि व सुअवसरों को प्रदान करती है। गायत्री जप नर नारी, बाल-वृद्ध तथा युवा सभी लोग कर सकते हैं । गायत्री साधना का प्रयोग कोई भी इंसान अपने जीवन को ही प्रयोगशाला मानकर स्वयं करके देखे, वह स्वयं अनुभव करेगा कि वास्तव में विचारों एवं भावों में सकारात्मक परिवर्तन आता जायेगा। उसका आंतरिक तेज बढ़ता जायेगा और आत्मविश्वास बढ़ता हुआ प्रखर व्यक्तित्व एवं उज्ज्वल चरित्र बनता चला जायेगा।
उसके आसपास के माहौल पर भी उसका असर दिखाई देगा। पूरे घर परिवार एवं पडोस आदि में सात्विकता,शांति प्रेम एवं सद्भाव बढ़ता हुआ सभी अनुभव करेंगे।गायत्री साधक का चिंतन उत्कृष्ट, चरित्र आदर्शमय तथा व्यवहार उदार व सेवाभावी हो जाता है । सादा जीवन उच्च विचार से युक्त ऊँचा जीवन बनता चला जाता है। गरीबी से मुक्ति, दुःख दारिद्र्य से छुटकारा, रोग व्याधि से छुटकारा तथा भौतिक एवं आध्यात्मिक उन्नति सुनिश्चित रूप से होती है। यह अल्पावधि में की गयी साधना हर तरह से कल्याणकारी, सभी श्रेष्ठ मनाकामनाओं की पूर्ति करने वाली है। यदि साधक नियमित रूप से कुछ दिनों-महीनों तक इस साधना को श्रद्धा-भावना के साथ करें तो थोड़ी ही अवधि में इसके सत्परिणाम अवश्य प्राप्त होंगे। इसके अनुभव किसी भी गायत्री साधक-परिजन से सुने-समझे जा सकते हैं । ऐसा प्रयोग गायत्री परिवार के संस्थापक, युगऋषि, वेदमूर्ति, तपोनिष्ठ पंण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने अपने जीवन में किया । तभी उन्होंने 'गायत्री परिवार' की स्थापना कर विचारशील वर्ग में अपने अनुभूतियों को अभिव्यक्त किया। इस परिवार में विश्व भर के हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई एवं अन्य धर्मों के भावनाशील, विचारवान् लोग जुडते चले जा रहे हैं। अत: आओ, पुन: देश का गौरव बढायें । गायत्री की साधना कर मनुष्य में देवत्व जगायें और धरती पर स्वर्ग उतारें।