'रोग दोष निकट नहीं आवे...', कोरोना का होगा निदान, हनुमान जयंती पर ऐसे करें ध्यान

श्रीराम के भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव हनुमान जयंती 08 अप्रैल को है। भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था। जिस दिन हनुमान जी ने जन्म लिया, उस दिन मंगलवार था।

Update: 2020-04-07 17:48 GMT

जयपुर: श्रीराम के भक्त हनुमान जी का जन्मोत्सव हनुमान जयंती 08 अप्रैल को है। भगवान शिव के अवतार माने जाने वाले हनुमान जी का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को चित्रा नक्षत्र और मेष लग्न में हुआ था। जिस दिन हनुमान जी ने जन्म लिया, उस दिन मंगलवार था। इस वजह से प्रत्येक मंगलवार को हनुमान जी की आराधना की जाती है। हनुमान जी को भय का नाश करने वाले माने देवता माना जाता हैं। आज कोरोना महामारी के खतरे से हर व्यक्ति आतंकित है। ऐसे में कलयुग के भगवान हनुमान का स्मरण करना चाहिए।

ज्योतिष की गणना के अनुसार

ज्योतिष की गणना के अनुसार हनुमान जी का जन्म 58 हजार 112 वर्ष पहले तथा लोकमान्यता के अनुसार त्रेतायुग के अंतिम चरण में चैत्र पूर्णिमा को मंगलवार को सुबह 6.03 बजे भारत देश में आज के झारखंड राज्य के गुमला जिले के आंजन नाम के छोटे से पहाड़ी गाँव के एक गुफा में हुआ था। इन्हें बजरंगबली के रूप में जाना जाता है क्योंकि इनका शरीर एक वज्र की तरह था। वे पवन-पुत्र के रूप में जाने जाते हैं। वायु अथवा पवन (हवा के देवता) ने हनुमान को पालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

 

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इस बार हनुमान जयंती चैत्र पूर्णिमा पर हस्त नक्षत्र, बालव करण, व्यतिपात योग व आनंद योग, सिद्धयोग के साथ सर्वार्थ सिद्धि योग हैं। इस हनुमान जयंती पर इस प्रकार के योग 430 वर्ष बाद आते हैं।हनुमान जयंती के दिन सुंदरकांड का पाठ और हनुमान चालीसा का जाप विशेष फलदायी होता है।

मान्यता के अनुसार,भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल नवमी को हुआ। इसके पांच दिन बाद उनकी सेवा के लिए भगवान शिव का ग्यारहवां रुद्रावतार हनुमान जी के रूप में चैत्र शुक्ल पूर्णिमा को अवतरित हुआ।इसलिए भक्त हनुमान की जयंती पर ब्रह्मचर्यपूर्वक राम, सीता, हनुमान का जाप करते हुए हनुमान जी के चरित्र का गुणगान व कीर्तन करना चाहिए।

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करें यह काम

* हनुमान जयंती के दिन पूजा सुबह ही करें, सिंदूर का अथवा लाल कपड़े का चोला सुबह ही चढ़ाएं।

*हनुमान जी को पुरुष वाचक पुष्प जैसे गेंदा, हजारा, कनेर, गुलाब आदि ही चढ़ाएं। स्त्रीवाचक फूलों को जैसे जूही, चमेली, चम्पा, बेला आदि न चढ़ाएं।

*प्रसाद के रूप में मालपुआ, लड्डू, हलुआ, चूरमा, केला, अमरूद आदि का भोग लगाएं।

*गाय के घी के दीपक को अर्पित करें। दोपहर तक कोई भी नमकीन चीज न खाएं।

*ऊर्जा उत्साह और बल प्राप्त करने के लिए हनुमान चालीसा, सुंदर काण्ड का पाठ करें।

*पूजन में लाल व पीले वस्त्र, केसरयुक्त चंदन, मूंज की यज्ञोपवीत, विशेष शुभ प्रभावी होते हैं।

 

हनुमानजी को मिले थे इतने वरदान

*भगवान सूर्य ने हनुमानजी को अपने तेज का सौवां भाग देते हुए कहा कि जब इसमें शास्त्र अध्ययन करने की शक्ति आ जाएगी, तब मैं ही इसे शास्त्रों का ज्ञान दूंगा, जिससे यह अच्छा वक्ता होगा और शास्त्रज्ञान में इसकी समानता करने वाला कोई नहीं होगा। धर्मराज यम ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह मेरे दण्ड से अवध्य और निरोग होगा।

*कुबेर ने वरदान दिया कि इस बालक को युद्ध में कभी विषाद नहीं होगा तथा मेरी गदा संग्राम में भी इसका वध न कर सकेगी।भगवान शंकर ने यह वरदान दिया कि यह मेरे और मेरे शस्त्रों द्वारा भी अवध्य रहेगा।देव शिल्पी विश्वकर्मा ने वरदान दिया कि मेरे बनाए हुए जितने भी शस्त्र हैं, उनसे यह अवध्य रहेगा और चिंरजीवी होगा।

*देवराज इंद्र ने हनुमानजी को यह वरदान दिया कि यह बालक आज से मेरे वज्र द्वारा भी अवध्य रहेगा।जलदेवता वरुण ने यह वरदान दिया कि दस लाख वर्ष की आयु हो जाने पर भी मेरे पाश और जल से इस बालक की मृत्यु नहीं होगी।

*परमपिता ब्रह्मा ने हनुमानजी को वरदान दिया कि यह बालक दीर्घायु, महात्मा और सभी प्रकार के ब्रह्दण्डों से अवध्य होगा। युद्ध में कोई भी इसे जीत नहीं पाएगा। यह इच्छा अनुसार रूप धारण कर सकेगा, जहां चाहेगा जा सकेगा। इसकी गति इसकी इच्छा के अनुसार तीव्र या मंद हो जाएगी।

बजरंग बली सिंदूरी

एक बार हनुमान जी ने माता सीता को मांग में सिंदूर भरते हुए देखा। उन्होंने माता सीता से इसका कारण पूछा तो उन्होंने कहा कि वह प्रभु श्रीराम को प्रसन्न रखने के लिए सिंदूर लगाती हैं। यह सुनकर हनुमान जी ने सारा सिंदूर स्वयं के ऊपर उड़ेल लिया। जब श्री राम ने उनको इस तरह देखा तो हनुमान जी ने कहा कि प्रभु मैंने आपकी प्रसन्नता के लिए ये किया है।

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