काल भैरव जयंती: आज के दिन जरूर करें ये काम, बुरी शक्तियों का होगा नाश

तीनों लोकों में उनके भक्त का कोई अनिष्ट भी नहीं कर सकता है। काल भैरव जयंती साल  दिसंबर 7 तारीख यानि आज और 8 दिसंबर को मनाई जाएगी। काल भैरव जयंती को कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

Update: 2020-12-07 02:40 GMT
इस दिन व्रत रखकर कुंडली में मौजूद राहु के दोष से भी मुक्ति मिलती है। तंत्र साधन करने वाले लोगों के लिए भी कालाष्टमी का दिन बहुत खास होता है।

लखनऊ : भगवान शिव का विग्रह रूप काल भैरव बाबा को माना गया है। भैरव बाबा शिवजी का पांचवा अवतार हैं। इनके दो रूप हैं, पहला बटुक भैरव और दूसरा काल भैरव। बटुक भैरव भक्तों को अभय वरदान देने वाले हैं और काल भैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले माने गए हैं। भैरव बाबा अपराधियों को भयंकर दंड देने के लिए जाने जाते हैं। यदि भैरव बाबा किसी से नाराज हो जाएं तो उनसे कोई भी देव नहीं बचा सकते। तीनों लोकों में उनके भक्त का कोई अनिष्ट भी नहीं कर सकता है। काल भैरव जयंती साल दिसंबर 7 तारीख यानि आज और 8 दिसंबर को मनाई जाएगी। काल भैरव जयंती को कालाष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।

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मुहूर्त और महत्व

अष्टमी तिथि की शुरुआत, 7 दिसंबर, शाम 6:49 बजे से अष्टमी तिथि समाप्त 8 दिसंबर, शाम 5:19 पर। काल भैरव को भगवान शिव का रौद्र रूप माना जाता है। वह समस्त पापों और रोगों का नाश करने वाले हैं। कालाष्टमी के दिन श्रद्धापूर्वक वर्त रखने से भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त होती है।इस दिन व्रत रखकर कुंडली में मौजूद राहु के दोष से भी मुक्ति मिलती है। तंत्र साधन करने वाले लोगों के लिए भी कालाष्टमी का दिन बहुत खास होता है।

 

कथा

हमारे पौराणिक ग्रंथों के अनुसार काल भैरव का अवतरण बुरी शक्तियों के नाश के लिए हुआ था। काल भैरव को भगवान शिव का ही अवतार माना जाता है.एक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा, विष्णु और महेश में बहस हो गई और बातों-बातों में भगवान ब्रह्मा ने शिवजी की निंदा कर दी, जिसके चलते भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव की उत्पत्ति हुई। ऐसा माना जाता है कि अपने जिस मुख से ब्रह्मा जी ने भगवान शिव की निंदा की थी उस सिर को काल भैरव ने काट डाला।

इसके बाद भगवान शिव ने ब्रह्मा हत्या के पाप से मुक्ति के लिए काल भैरव को पृथ्वी लोक में भेजा और उनसे कहा कि अपने हाथ में ब्रह्मा जी के सिर को ले जाओ और जहां भी यह गिरेगा वहीं पर तुम्हारे सारे पापों का नाश हो जाएगा। माना जाता है कि उनका सिर काशी में गिरा था। आज भी हिंदू धर्म में आस्था रखने वाले लोग जब भी काशी जाते हैं तो काशी विश्वनाथ के दर्शनों के साथ-साथ वहां काल भैरव के दर्शन भी करते हैं। काल भैरव का आशीर्वाद पाकर कई कष्टों से मुक्ति मिलती है।

 

ऐसे मिलेगा बाबा भैरव का आशीर्वाद

 

काल भैरव के हाथ में त्रिशूल, तलवार और डंडा होता है और ये उनके दंड न्यायधीश होने का संकेत है। इसलिए भैरव बाबा को दंडपाणि भी कहा जाता है। कालभैरव बाबा की कृपा पाने के लिए भक्तों को कालाष्टमी पर उनकी पूजा जरूर करनी चाहिए। कहा जाता है कि बाबा की पूजा से देवी दुर्गा भी प्रसन्न होती हैं। कालाष्टमी पर किन उपायों से भैरव बाबा का आशीर्वाद पाया जा सकता है।

* इस दिन भगवान शिव की पूजा जरूर करें। इससे काल भैरव प्रसन्न होते हैं। कालाष्टमी के दिन शिवलिंग पर 21 बिल्वपत्र चढ़ाने चाहिए। यदि विशेष कृपा चाहिए तो इस दिन बिल्वपत्र पर चंदन से 'ॐ नम: शिवाय' लिखकर उसे भगवान अर्पित करना चाहिए।

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*कालाष्टमी के दिन भैरव बाबा के मंदिर में जा कर सिंदूर, सरसों का तेल, नारियल, चना, चिरौंजी, पुए और जलेबी चढ़ाना चाहिए। इससे आपकी मनचाही इच्छा पूरी हो सकेगी।

*काल भैरव बाबा के समक्ष कालाष्टमी के दिन सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। फिर वही बैठकर श्रीकालभैरवाष्टकम् का पाठ करें। हर मासिक कालाष्टमी पर किया गया ये उपाय आपकी हर समस्या का अंत कर देगा और आपकी मनोकामना पूर्ण होगी।

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