सोमवार का खास महत्व: कन्याओं को मिलेगा मनचाहा वर, सावन में ऐसे करें पूजा व व्रत

शिवपर्व शुरू हो चुका है। शिव दिवस से ही शुरू और शिव दिवस को ही समाप्त हो रहा यह सावन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस बार भगवान शिव का प्रिय मास सावन में  विशेष संयोग बन रहा है। खास यह कि सोमवार से इस माह की शुरुआत हो रही और समापन भी सोमवार को ही होगा।

Update: 2020-07-11 16:48 GMT

लखनऊ: शिवपर्व शुरू हो चुका है। शिव दिवस से ही शुरू और शिव दिवस को ही समाप्त हो रहा यह सावन बहुत ही महत्वपूर्ण है। इस बार भगवान शिव का प्रिय मास सावन में विशेष संयोग बन रहा है। खास यह कि सोमवार से इस माह की शुरुआत हो रही और समापन भी सोमवार को ही होगा। यह काफी शुभ फलदायक है। 6 जुलाई से सावन की शुरुआत हो चुकी है और 3 अगस्त को रक्षाबंधन यानी सावन पूर्णिमा है। काफी सालों बाद इस बार सावन मास में पांच सोमवार है।

 

खास बात यह कि वैधृति योग के साथ सावन प्रारंभ हो रहा है और आयुष्मान योग के साथ इस मास की समाप्ति। सोमवार, सावन मास, वैधृति योग व आयुष्मान योग सभी के मालिक स्वत: शिव ही हैं। इस लिए इस बार का सावन खास है। इनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। निर्धन को धन और नि:संतान को संतान की प्राप्ति होती है। कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है।

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सावन में सोमवार का विशेष महत्व

आदि देव भगवान शिव का यह महीना बड़ा ही महत्वपूर्ण है। सावन मास में प्रत्येक सोमवारी का विशेष महत्व है। अमूमन सावन में चार सोमवारी होती है, लेकिन इस बार पांच सोमवारी है। सभी सोमवारी की पूजा के लिए मंत्र अलग-अलग हैं।

पहली सोमवारी को महामायाधारी की पूजा: सावन की पहली सोमवार को महामायाधारी भगवान शिव की आराधना की जाती है। पूजा क्रिया के बाद शिव भक्तों को ‘ऊं लक्ष्मी प्रदाय ह्री ऋण मोचने श्री देहि-देहि शिवाय नम: का मंत्र 11 माला जाप करना चाहिए। इस मंत्र के जाप से लक्ष्मी की प्राप्ति, व्यापार में वृद्धि और ऋण से मुक्ति मिलती है।

 

द्वितीय सोमवारी को करें महाकालेश्वर की पूजा: दूसरी सोमवार को महाकालेश्वर शिव की विशेष पूजा करने का विधान है। श्रद्धालु को ‘ऊं महाशिवाय वरदाय हीं ऐं काम्य सिद्धि रुद्राय नम: मंत्र का रुद्राक्ष की माला से कम से कम 11 मामला जाप करना चाहिए। महाकालेश्वर की पूजा से सुखी गृहस्थ जीवन, पारिवारिक कलह से मुक्ति, पितृ दोष व तांत्रिक दोष से मुक्ति मिलती है।

तृतीय सोमवार को अर्धनारीश्वर की पूजा: सावन की तृतीय सोमवार को अर्धनारीश्वर शिव का पूजन किया जाता है। इन्हें खुश करने के लिए ‘ऊं महादेवाय सर्व कार्य सिद्धि देहि-देहि कामेश्वराय नम: मंत्र का 11 माला जाप करना श्रेष्ठ माना गया है। इनकी विशेष पूजन से अखंड सौभाग्य, पूर्ण आयु, संतान प्राप्ति, संतान की सुरक्षा, कन्या विवाह, अकाल मृत्यु निवारण व आकस्मिक धन की प्राप्ति होती है।

 

 

चौथी सोमवारी को तंत्रेश्वर शिव की आराधना: चौथी सोमवारी को तंत्रेश्वर शिव की विशेष पूजा की जाती है। इस दिन कुश के आसन पर बैठकर ‘ऊं रुद्राय शत्रु संहाराय क्लीं कार्य सिद्धये महादेवाय फट् मंत्र का जाप 11 माला शिवभक्तों को करनी चाहिए। तंत्रेश्वर शिव की कृपा से समस्त बाधाओं का नाश, अकाल मृत्यु से रक्षा, रोग से मुक्ति व सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।

पांचवीं सोमवार को शिव स्वरूप भोले की पूजा: पांचवीं सोमवार को श्री त्रयम्बकेश्वर की पूजा की जाती है। वैसे साधन को जो सावन में किसी कारण कोई सोमवारी नहीं कर पाते हैं उन्हें पांचवी सोमवारी करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। इसमें रुद्राभिषेक, लघु रुद्री, मृत्युंजय या लघु मृत्युंजय का जाप करना चाहिए।

 

पूजन विधि

गंगा जल, दूध, शहद, घी, शर्करा व पंचामृत से बाबा भोले का अभिषेक कर वस्त्र, यज्ञो पवित्र, श्वेत और रक्त चंदन भस्म, श्वेत मदार, कनेर, बेला, गुलाब पुष्प, बिल्वपत्र, धतुरा, बेल फल, भांग आदि चढ़ायें। उसके बाद घी का दीप उत्तर दिशा में जलाएं। पूजा करने के बाद आरती कर क्षमार्चन करें।

शिव पूजा से मिलने वाले फल रोगों से मिलती है मुक्ति

शरीर में अद्भुत ऊर्जा की अनुभूति

शक्ति में बढ़ोतरी 4, मनोवांछित फल की प्राप्ति

अकाल मृत्यु और भय से मुक्ति

कुंवारी कन्याओं को मनचाहा वर की प्राप्ति

नवीन कार्य की पूर्ति

ग्रहों से शांति

संतान सुख की प्राप्ति

आरोग्यता

नौकरी की प्राप्ति

समस्त बाधाओं से मुक्ति

 

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महत्वपूर्ण तिथियां

06 जुलाई- पहली सोमवार

13 जुलाई- दूसरी सोमवार

19जुलाई- तीसरी सोमवार

26जुलाई- चौथी सोमवारी

03 अगस्त- पांचवी सोमवारी

 

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