Solar Eclipse 2020: सैकड़ों साल बाद लगेगा ऐसा सूर्य ग्रहण, जानिए सूतक काल
अब आने वाली 21 जून को एक और ग्रहण लग रहा है। यह सूर्य ग्रहण होगा। इसे धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह चंद्र ग्रहण के मात्र 16 दिन बाद लग रहा है जो भारत में खंडग्रास रूप में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण में सूतक मान्य नहीं था लेकिन सूर्य ग्रहण में सूतक का काल मान्य होगा।
लखनऊ: अब आने वाली 21 जून को एक और ग्रहण लग रहा है। यह सूर्य ग्रहण होगा। इसे धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि यह चंद्र ग्रहण के मात्र 16 दिन बाद लग रहा है जो भारत में खंडग्रास रूप में दिखाई देगा। चंद्र ग्रहण में सूतक मान्य नहीं था लेकिन सूर्य ग्रहण में सूतक का काल मान्य होगा। इसकी अवधि 12 घंटे पहले से ही लग जाएगी। यह ग्रहण भारत, दक्षिण पूर्व यूरोप एवं पूरे एशिया में देखा जा सकेगा। पिछले साल के आखिरी सप्ताह और इस साल के पहले सप्ताह में ग्रहण का संयोग था। पहले सूर्य ग्रहण उसके बाद चंद्र ग्रहण लगा था। अब इस बार पहले चंद्र ग्रहण लगा है और उसके बाद सूर्य ग्रहण होगा। इसके बाद आगामी 5 जुलाई को एक बार फिर से चंद्र ग्रहण लगेगा।
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सूतक काल
यह पूर्ण सूर्य ग्रहण है। यह ग्रहण कंकणाकृति है। इसमें चंद्रमा पूरी तरह से पृथ्वी को ढक लेगा। पूर्ण सूर्य ग्रहण होने की वजह से दिन में अंधेरा हो जाएगा। धार्मिक दृष्टि से यह सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटे पहले से ही शुरू हो जाएगा।
सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पहले लग जाएगा। सूतक 20 जून की रात 10 बजे से शुरू हो जाएगा। सूर्य ग्रहण का मध्य 12 बजकर 24 मिनट दोपहर पर होगा। ग्रहण का मोक्ष दोपहर 2 बजकर 7 मिनट पर होगा।
समय
भारतीय समयानुसार, सूर्य ग्रहण 21 जून को सुबह 9 बजकर 15 मिनट पर लगेगा और शाम 3 बजकर 4 मिनट तक रहेगा। पूर्ण ग्रहण को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर देखा जा सकेगा।
यहां देख पाएंगे
यह सूर्य ग्रहण अफ्रीका के कई हिस्सों में, सेंट्रल रिपब्लिक, कांगो और इथोपिया में , पाकिस्तान के दक्षिण भाग में, उत्तरी भारत और चीन में देखा जा सकेगा। भारत में यह खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा।
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दुर्लभ सूर्य ग्रहण
21 जून को लगने वाले सूर्य ग्रहण को बहुत दुर्लभ हैं। ज्योतिष का मानना है कि सूर्य ग्रहण अब 900 साल बाद ही लगेगा।ग्रहण के दौरान सूर्य वलयाकार की स्थिति में केवल 30 सेकंड तक ही रहेगा। उत्तराखंड के आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) के सीनियर सांइटिस्ट व पूर्व निदेशक डॉ. वहाबउद्दीन के मुताबिक़, यह सूर्य ग्रहण एक अद्भुत संयोग है। इस बार के सूर्यग्रहण में जो स्थिति बनने जा रही है, इसी वजह से यह दुर्लभ ग्रहणों में माना जा रहा है है। सूर्य व चंद्रमा के बीच की दूरी ही इसकी खास वजह है।
राजस्थान में भी दिखेगा
बता दें कि वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चन्द्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच आता है लेकिन उसकी पृथ्वी से काफी दूरी होती है जो कि वलय (रिंग) के रूप में दिखाई पड़ती है। इसे ही वलयाकार सूर्य ग्रहण कहते हैं।21 जून को राजस्थान में दो जगहों पर सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य का सिर्फ एक प्रतिशत भाग ही दिखाई देगा। इसकी आकृति कंगन जैसी दिखेगी। जहां पर यह दृश्य दिखाई देगा वह स्थान राजस्थान के श्रीगंगानगर जिले के घडसाना और सूरतगढ़ हैं। उत्तरी राजस्थान में करीब 20 किमी की पट्टी में सूर्य का 99 प्रतिशत भाग ग्रहण में नजर आएगा। शेष राजस्थान के लोगों को आंशिक सूर्य ग्रहण दिखेगा। राजस्थान के लोग पहली बार वलयाकार सूर्य ग्रहण देख सकेंगे।
सूर्य ग्रहण को भूलकर भी खाली या नग्न आंखों से देखने की गलती नहीं करना चाहिये। यह आंखों के लिए बेहद नुकसानदायक है। इससे कुछ ही समय बाद आंखों की रोशनी जा सकती है। ग्रहण को देखने के लिए हमेशा सोलर चश्मा पहनें एवं जानकारों की सलाह के अनुसार ही सेफ डिवाइस का यूज करें।