आखिर क्यों नहीं परोसी जाती एक साथ तीन रोटियां, वजह जानकर हो जाएंगे सावधान..

यही वजह है कि लोग अक्सर 3 के अंक से बचते हैं। विषम संख्या में काम करना हो तो शुरुआत 5 के अंक से की जाती है। पूजा-पाठ हो या किसी को उपहार देना हो, हर जगह 3 के अंक को निषेध माना जाता है।

Update: 2020-12-01 02:24 GMT
यही वजह है कि लोग अक्सर 3 के अंक से बचते हैं। विषम संख्या में काम करना हो तो शुरुआत 5 के अंक से की जाती है। पूजा-पाठ हो या किसी को उपहार देना हो, हर जगह 3 के अंक को निषेध माना जाता है।

जयपुर: हमारे यहां पुराने समय से घर के भोजन और उसके परोसने के तरीके को मान्यता मिलती रही है। घर पर महिलाएं भोजन तैयार करने के बाद उसे प्यार से परोसकर परिवार को खिलाती हैं। इस बात पर जरूर गौर किया होगा कि भोजन की थाली में कभी एक साथ तीन रोटियां नहीं रखी जाती हैं। आखिर क्यों खाने की थाली में एकसाथ तीन रोटियां नहीं परोसी जाती है।

किसी को खाना खिलाते समय कभी 3 रोटियां नहीं दी जाती हैं। इसके लिए घर के बड़े-बुजुर्ग अक्सर मना भी करते हैं। होटल या रेस्तरां में भी 3 रोटियां परोसने का चलन नहीं है। खाने के समय 2 या 4 रोटियां ही परोसी जाती हैं। इसके कई कारण हैं, जिनकी वजह से 3 अंक की चीजों को अच्छा नहीं मानते हैं।

 

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इसके पीछे वजह

 

हिन्दू धर्म में 3 की संख्या को अशुभ माना जाता है। यही वजह है कि लोग अक्सर 3 के अंक से बचते हैं। विषम संख्या में काम करना हो तो शुरुआत 5 के अंक से की जाती है। पूजा-पाठ हो या किसी को उपहार देना हो, हर जगह 3 के अंक को निषेध माना जाता है।

 

संख्या 3 की अशुभता को देखते हुए किसी भी शुभ काम के लिए इसे दूर रखने का ही प्रयास किया जाता है। तभी किसी भी अच्छे काम में तीन चीजों को शामिल नहीं किया जाता है। पूजा की थाली हो या फिर कोई हवन, उसमें भी सिर्फ तीन वस्तुओं को साथ नहीं रखा जाता है। 3 अंक वाली तिथि के दिन भी शुभ काम नहीं किए जाते हैं। यही कारण है कि खाने की प्लेट में भी एकसाथ तीन रोटी नहीं रखी जाती है।

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त्रयोदशी संस्कार से पहले निकाले जाने वाले भोजन में

दरअसल हिन्दू धर्म में मान्यता है कि 3 रोटियां किसी व्यक्ति के निधन के पश्चात उसके त्रयोदशी संस्कार से पहले निकाले जाने वाले भोजन में ली जाती है। जो भोजन निकाला जाता है उसको निकालने वाले के अलावा और कोई नहीं देखता है। इसी कारण से किसी व्यक्ति की थाली में 3 रोटियां परोसना मृतक के भोजन के समान माना जाता है। इसके साथ ही 3 रोटियां खाने से व्यक्ति के मन में शत्रुता के भाव उत्पन्न होने लगते हैं। यह मान्यता काफी पुराने समय से चलती आ रही है। 3 रोटी मृत व्यक्ति को समर्पित होती है। अगर किसी को 3 रोटी देने का मतलब मृत व्यक्ति को देने से समझा जाता है।

वैज्ञानिक कारण

इसके पीछे वैज्ञानिक कारण भी है। विशेषज्ञों की मानें तो किसी भी व्यक्ति के भोजन में दो रोटियां एक कटोरी दाल, 50 ग्राम चावल और एक कटोरी सब्जी ही अनिवार्य होता है। यानी इसे ही एक व्यक्ति के लिए संतुलित आहार मानते है जिससे व्यक्ति को काफी मात्रा में ऊर्जा प्राप्त होती है और वह ज्यादा खाने से बच भी जाता है। ऐसे में 3 या अधिक रोटी रख दें तो आप खा लेंगे जो आपके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं होगा। अगर धार्मिक और वैज्ञानिक दृष्टि से देखा जाए तो हर तरह से 3 रोटियां खाना संतुलित आहार नहीं है।

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