Sawan Putrada Ekadashi 2023: संतान की चाहत होगी पूरी,इस दिन करें पुत्रदा एकादशी व्रत, बन रहा बहुत खास संयोग

Sawan Putrada Ekadashi 2023 Shubh Muhurat: पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से जिनको औलाद नहीं है उनको भी औलाद होती है। इस व्रत के प्रभाव से संतान की दीर्घा.ु होती है। यह उत्तम व्रत साल में दो बार आता है। इस बार सावन में इस व्रत के दिन अति उत्तम योग बन रहा है, जानते हैं कैसे...

Update: 2023-08-22 10:20 GMT
Sawan Putrada Ekadashi 2023 Shubh Muhurat (सांकेतिक तस्वीर, सोशल मीडिया)

Putrada Ekadashi Vrat 2023 Kab Hai पुत्रदा एकादशी की व्रत 2023 सावन मास में इस बार 3 साल बाद 4 एकादशी ( ekadashi Vrat) व्रत पड़ा है। 4 जुलाई के दिन से ही सावन शुरू हो गया है। अब 27 अगस्त को पुत्रदा एकादशी कहते है। इस दिन से सृष्टि के पालनहार का ध्यान और जागरण होता है। सभी एकादशियों में इसका अपना महत्व है, लेकिन पुत्रदा एकादशी के दिन व्रत और पूजा से भगवान विष्णु की कृपा मिलती है। इस साल 2023 में पुत्रदा एकादशी (Parama Ekadashi) 27 अगस्त को पड़ेगी। पुत्रदा एकादशी साल में दो बार आती है एक पौष माह में दूसरा सावन माह मे।

पुत्रदा एकादशी का महत्व (Putrada Ekadashi ka Mahatva)

एकादशी का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन भगवान विष्णु के साथ भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फलों की प्राप्ति होती है। भगवान शिव स्वयं कुबेर भगवान को पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने को कहा था। इस व्रत के प्रभाव से भगवान संतानहीन को संतान देते हैं। माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने से वंश सुख-संपदा, धन-दौलत की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हर संकट और समस्या दूर हो जाती है।

पुत्रदा एकादशी निसंतान दंपति के लिए यह व्रत बहुत फलदायी माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार पूरे विधि-विधान और श्रद्धा के साथ इस व्रत को करने से संतान सुख की प्राप्ति अवश्य होती है। यह व्रत करने से मनुष्य के समस्त पापों का नाश होता है और मरणोपरांत मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस व्रत के महत्व के बारे में सबसे पहले भगवान श्रीकृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया था।

पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से संतान सुख बढ़ता हैष महिलाएं अपने बच्चों की लंबी उम्र के लिए भी यह व्रत करती हैं। इस दिन व्रत करने से सभी तरह की शारीरिक परेशानियां भी दूर होने लगती हैं। माना जाता है कि इस व्रत को करने से जिस फल की प्राप्ति होती है, वह हजारों सालों तक तपस्या करने से भी नहीं मिलता है।

पुत्रदा एकादशी का धार्मिक और वैज्ञानिक महत्व है। इस दौरान धार्मिक भजन-कीर्तन और विष्णु-लक्ष्मी, तुलसी समेत शिव आराधना को जरूरी बताया गया है।पुत्रदा एकादशी का व्रत काफी शुभ और पुण्यकारी माना जाता है।

पुत्रदा एकादशी के दिन भगवान विष्णु के कृष्ण अवतार की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से संतान की प्राप्ति होती है। पुत्रदा एकादशी के दिन पूजा करते समय इस मंत्र का जाप अवश्य ही करना चाहिए।

“ॐ क्लीं देवकी सुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते,
देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहम शरणम् गता” “ॐ क्लीं कृष्णाय नमः”।

पुत्रदा एकादशी का शुभ मुहूर्त-

उदया तिथि को देखते हुए सावन पुत्रदा एकादशी का व्रत 27 अगस्त रविवार को रखा जाएगा।

पुत्रदा एकादशी तिथि प्रारम्भ - 26 अगस्त,शनिवार को रात 12 . 08 मिनट से शुरू हो रही है

पुत्रदा एकादशी तिथि समाप्त - 27 अगस्त , रविवार को रात 09.32 मिनट तक मान्य रहेगी।

पुत्रदा एकादशी पूजा का समय: पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह के समय है। इस समय सर्वार्थ सिद्धि योग है। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05. 56 मिनट से सुबह 07 .16 मिनट तक होगा। सर्वार्थ सिद्धि योग पूजा पाठ के लिए शुभ माने जाते हैं।

पुत्रदा एकादशी व्रत पारण- 28 अगस्त को सुबह 05: 57 मिनट से सुबह 08:31 मिनट तक है। इस बीच में कभी भी पारण किया जा सकता है।

ब्रह्म मुहूर्त :04:34 AM से 05:17 AM

अमृत काल : 09:26 PM से 11:12 P

अभिजित मुहूर्त: 12:03 PM से 12:54 PM

पुत्रदा एकादशी पर भगवान विष्णु की उपासना करने से पितरों का श्राद्ध व तर्पण करने से विशेष लाभ मिलता है।भगवान विष्णु को पंचामृत अर्पित करने से पूजा का विशेष फल मिलता है।

पुत्रदा एकादशी पूजा विधि

पुत्रदा एकादशी के समय एकादशी के दिन प्रातः काल घर की सफाई के बाद नित्य कार्यो से निवृत्त होकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद व्रत का संकल्प लेकर घर में लकड़ी की चौकी पर पीला वस्त्र बिछाकर भगवान विष्णु की तस्वीर या मूर्ति को गंगा जल से स्नान कराकर स्थापित करें। इसके बाद भगवान को पीला वस्त्र अर्पित करें। फिर भगवान श्रीहरि को धूप, दीप, पुष्प, मौसमी फल, तुलसी और मिष्ठान अर्पण करें और व्रत कथा का पाठ कर आरती करें। चूंकि एकादशी के दिन सावन माह का आखिरी सोमवार भी है। ऐसे में भगवान विष्णु को बेल पत्र अर्पित करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है। इस दिन भगवान महादेव का अभिषेक भी जरूर करें।

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