सूर्य ग्रहण 2020: जानें कैसे राहु के प्रतिशोध का परिणाम है ग्रहण, क्या पड़ता है प्रभाव
भारतीय ज्योतिष में इस दिन रात को लगने वाले इस ग्रहण को खंडग्रास ग्रहण मानते है। जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आता है तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। लेकिन चंद्रमा जब आंशिक रूप से सूर्य को ढके तो इसे खंडग्रास सूर्य ग्रहण कहते हैं।
लखनऊ: साल 2020 का दूसरा और आखिरी सूर्य ग्रहण 14 दिसंबर को लगने जा रहा है। सूर्य ग्रहण से पहले शक्र वृश्चिक राशि गोचर कर रहे है जिसका प्रभाव भी इस ग्रहण पर पड़ेगा । 14 दिसंबर का सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि और ज्येष्ठा नक्षत्र में लग रहा है। इस सूर्य ग्रहण का सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा वहीं देश-विदेश पर भी सूर्य ग्रहण का असर देखने को मिलेगा। सूर्य ग्रहण का असर भारत से लेकर अमेरिका तक देखने को मिलेगा।
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14 दिसंबर का सूर्य ग्रहण सोमवार को पड़ रहा है। इस दिन अमावस्या भी है। भारतीय ज्योतिष में इस दिन रात को लगने वाले इस ग्रहण को खंडग्रास ग्रहण मानते है। जब पृथ्वी और सूर्य के बीच चंद्रमा आता है तो इस स्थिति को सूर्य ग्रहण कहते हैं। लेकिन चंद्रमा जब आंशिक रूप से सूर्य को ढके तो इसे खंडग्रास सूर्य ग्रहण कहते हैं। यानी 14 दिसंबर को होने वाला सूर्य ग्रहण आंशिक ग्रहण है।
सूर्य ग्रहण का समय
सूर्य ग्रहण भारतीय समयानुसार 14 दिसंबर को शाम 7 बजकर 3 मिनट से आरंभ और 15 दिसंबर की रात 12 बजकर 23 मिनट पर सूर्य ग्रहण का समापन होगा। यह ग्रहण करीब 5 घंटे से ज्यादा लंबे वक्त तक रहेगा।
इन बातों का रखें ध्यान
सूतक काल इस सूर्य ग्रहण में मान्य नहीं होगा लेकिन फिर भी जो लोग ग्रहण के दौरान सूतक काल के नियमों का पालन करते हैं वे ग्रहण के समय भोजन न करें, गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान घर से बाहर न निकलें. ग्रहण के दौरान यात्रा करने से भी बचना चाहिए। ग्रहण की अवधि के समय खाने पीने की वस्तुओं में तुलसी के पत्तों को रख देना चाहिये। ग्रहण के समय स्नान ना करें लेकिन समाप्त होने पर अवश्य स्नान करना चाहिये। इससे शुद्धिकरण हो जाता है।
चूंकि इस समय प्रकृति बहुत संवेदनशील होती है, इसलिए हर बात का ध्यान रखना जरूरी हो जाता है। जहां तक सूतक की बात है, यह सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों के समय लगता है। बस घटना के समय भौगोलिकता को देखकर इसका समय तय किया जाता है। इस बार भारत में यह ग्रहण नहीं देखा जाएगा इसलिए यहां इसका सूतक नहीं लग रहा है। ग्रहण के पहले मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं और ग्रहण खत्म होने पर शुद्धिकरण के बाद खोले जाते हैं।
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असर और महत्व-
ग्रहण एक आम खगोलीय घटना है जिसका जीवन पर खास महत्व नहीं होता, लेकिन ज्योतिषीय गणना में इसे काफी महत्वपूर्ण माना गया है। सूर्यग्रहण रात्रि में होने के कारण इसका यहां सूतक भी नहीं लगेगा और न ही किसी को विशेष सावधानियां अपनानी पड़ेंगे। अगर यह ग्रहण दिखाई देता तो गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी बड़ती लेकिन इस बार इसका असर नहीं होगा।
सूर्य ग्रहण को सीधे आंखों से नहीं देखने की सलाह दी जाती है। इसका कारण यह है कि सूर्यग्रहण के दौरान सूर्य से काफी हानिकारक सोलर रेडिएशन निकलते हैं जिससे कि आंखों के नाजुक टिशू डैमेज हो जाते हैं। वलयाकार सूर्य ग्रहण तब लगता है जब चांद पृथ्वी से बेहद दूर रहने हुए सूर्य और पृथ्वी के बीच में इस तरह से आ जाता है। जिससे चांद सूर्य की आधे से ज्यादा रोशनी को रोक लेता है।
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पौराणिक कथा- राहु का प्रतिशोध
मत्स्यपुराण की कथानुसार, जब समुद्र मंथन से अमृत निकला था तो राहु नाम के दैत्य ने देवताओं से छिपकर उसे पी लिया था। यह होते हुए सूर्य और चंद्रमा दोनों ने देख लिया था। इस बात की जानकारी उन्होंने भगवान विष्णु को दी। यह सुन विष्णु जी को बहुत क्रोध आ गया। उन्होंने राहु के इस अन्यायपूर्ण कृत के चलते उसे मृत्युदंड देने के लिए उस पर सुदर्शन चक्र से वार किया। ऐसा करने पर राहु का सिर उसके धड़ से अलग हो गया। लेकिन उसने अमृतपान किया हुआ था जिसके चलते उसकी मृत्यु नहीं हुई। वहीं, राहु ने सूर्य और चंद्रमा से प्रतिशोध लेने के लिए दोनों पर ग्रहण लगा दिया। इसे ही आज सूर्यग्रहण और चंद्रग्रहण के नाम से जाना जाता है।
14 दिसंबर 2020 को पड़ने वाले ग्रहण को दक्षिण अमेरिका, दक्षिण अफ्रीकी देशों व प्रशांत महासागर के कुछ इलाकों में देखा जा सकेगा। साल 2021 में दो सूर्य ग्रहण पडेंगे। पहला 10 जून को होगा तो दूसरा 10 दिसंबर 2021 को।