सेहत के लिए व्रत करता है दवा का काम, मन व तन के विकार को दूर करता है उपवास

मन की शांत व मनोकामना की पूर्ति के लिए ईश्वर की आराधना करते है। ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए साधना को अपनाते है।  ये साधना हम ध्यान या फिर उपवास व व्रत से पूरा करते हैं। इसे मानते हुए किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति  के लिए हम व्रत से देवी देवताओं को प्रसन्न करते हैं।

Update:2023-05-29 00:21 IST

जयपुर: मन की शांत व मनोकामना की पूर्ति के लिए ईश्वर की आराधना करते है। ईश्वर को प्रसन्न करने के लिए साधना को अपनाते है। ये साधना हम ध्यान या फिर उपवास व व्रत से पूरा करते हैं। इसे मानते हुए किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति के लिए हम व्रत से देवी देवताओं को प्रसन्न करते हैं। बिना जल व भोजन के भूखे पेट रहना व्रत कहलाता है। हिंदु धर्म में कई तरह के व्रत रखे जाते हैं। जिनमें कई कुछ घंटो के लिए, कभी दिनभर के लिए तो नवरात्रों में 8-9 दिन के लिए रखते हैं।

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ये है महत्व व फायदे...

धर्म का आसान मार्ग व्रत है। चाहे कोई भी धर्म हो, उनमें किसी ना किसी रुप में व्रत या उपवास रखा जाता है। व्रत के आचरण से तन और मन की शुद्धि, पापों से दूरी, धर्म के प्रति समर्पण आदि की प्राप्ति होती है। वैदिक काल में कई से कथा है जिनमें ऋषि-मुनियों के कठोर तप व व्रत का वर्णन मिलता है। महादेव के पाने लिए माता पार्वती ने हजारों हजार साल तक व्रत व तपस्या किया था। समय के बदलाव के साथ साथ व्रत के नियमों में भी बदलाव आया है। शास्त्रों में व्रत रखने और इसे खोलने के नियम बताए गए हैं।

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व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठ कर नहा धोकर अपने भगवान की पूजा और ध्यान करने के बाद पानी पिया जाता है।व्रत के दौरान एक बार फलाहार कर सकते हैं, लेकिन अन्न नहीं खाया जाता। व्रत के दिन शरीर को आराम देना जरुरी है। अगर मेहनत का कार्य करते हैं तो उसमें कमजोरी महसूस हो सकती है।व्रत के दिन धार्मिक भजन या कथाएं सुनने से मन पवित्र होता है और सकारात्मक सोच का विकास होता है।ज्यादातर व्रतों का समापन चंद्रमा को जल चढा कर किया जाता है, इसके साथ साथ धूप दीप पूजा आरती से देवी देवताओं की स्तुति भी की जाती है।

सेहत के लिए व्रत करना फायदेमंद है। चिकित्सा की दृष्टि से व्रत करने से शरीर को कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। व्रत करने से पाचन तन्त्र को आराम मिलता है और शरीर पर भोजन का भार नही होता, ऐसी स्थिति में शरीर में उपस्थित विषैलों पदार्थो को निकलने का समय मिल जाता है। और पाचन शक्ति भी मजबूत होती है। व्रत शरीर के लिए दवा के सामान है। व्रत करना आर्थराइटिस, अस्थमा, उच्च रक्तचाप, हमेशा बनी रहने वाली थकान, कोलाइटिस, स्पास्टिक कोलन, लकवे के कई प्रकारों के साथ-साथ न्यूराल्जिया, न्यूरोसिस और कई तरह की मानसिक बीमारियों में फायदेमंद होता है।

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माना जाता है की व्रत जितना लंबा होगा शरीर की ऊर्जा उतनी ही अधिक बढ़ती है। व्रत करने वालों को सांस का विकार नहीं होता इससे आत्मविश्वास बढ़ता है ताकि आप अपने शरीर और जीवन पर अधिक नियंत्रण हासिल कर सकें। विद्वानों का मानना है इंसान को सप्ताह में कम से कम एक दिन बिना किसी धार्मिक कारण के भी व्रत रखता है तो शरीर को एक नई उर्जा मिलती है। आपको स्वस्थ रखने में मददगार होता है।

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