यहां आखिर भगवान शिव क्यों हैं दुखी, कहां गईं माता पार्वती? पढ़ें इस मंदिर की कहानी

कोरोना संक्रमण के चलते, लॉक डाउन से सभी  लोग  परेशान है। किसी को रेस्टोरेंट का खाना चाहिए तो किसी  को मधुशाला का स्वाद, लेकिन बूंदी के लोग इसलिए दुखी है क्योकि ग्रीन जोन में होने के बावजूद वे घरों में बंद है, अपनी अपनी पत्नियों के साथ। बूंदी में सबसे ज्यादा दुखी है हिंडोली की

Update:2020-06-12 09:05 IST

बूंदी : कोरोना संक्रमण के चलते, लॉक डाउन से सभी लोग परेशान है। किसी को रेस्टोरेंट का खाना चाहिए तो किसी को मधुशाला का स्वाद, लेकिन बूंदी के लोग इसलिए दुखी है क्योकि ग्रीन जोन में होने के बावजूद वे घरों में बंद है, अपनी अपनी पत्नियों के साथ। बूंदी में सबसे ज्यादा दुखी है हिंडोली की रामसागर झील के रघुनाथ घाट मंदिर के महादेव जी। हम आज मौत के डर से और कोरोना से बचने के लिए क्वारंटाइन हो रहे हैं। लेकिन एक मंदिर ऐसा है जहां भोलेनाथ की याद में मां पार्वती क्वारंटाइन है। ये मंदिर राजस्थान में है। इस मंदिर के बारे मान्यता है कि ऐसा मंदिर जहां पार्वतीजी होम क्वारटाइन में और भगवान शिव का इंतजार कर रही है।

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कुंवारे युवक चुराते हैं मंदिर

कहते हैं कि जिस लड़के की शादी नहीं हो पाती है, अगर वह इस मंदिर से गुपचुप पार्वतीजा की मूर्ति चुरा ले जाए तो उसकी शादी जल्द हो जाती है। यही वजह है कि कुंवारे मंदिर से रात के अंधेरे में गुपचुप मां पार्वती की मूर्ति उठा ले जाते हैं। शादी होने पर वापस रख जाते हैं तो कोई दूसरा कुंवारा ले जाता है। इस बार लॉकडाउन होने से शादियां ही नहीं हो रही हैं, ऐसे में न तो मंदिर में मूर्ति वापस आ पा रही है, न ही कुंवारों की कतार कम हो पा रही है।

राज्य के बूंदी जिले के हिंडोली कस्बे में ये मंदिर है, जहां से मूर्ति चुराकर ले जाने पर कोई पुलिस केस दर्ज नहीं होता। यहां रामसागर झील किनारे रघुनाथ घाट मंदिर से पार्वतीजी की मूर्ति चुराने के पीछे की वजह अनूठी है। इससे कुंवारों की शादी हो जाती है।

 

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इस बार लंबा इंतजार

मंदिर में महादेव (शिवलिंग) के बगल में ही पार्वतीजी की मूर्ति स्थापित है। पर महादेव जोड़े के साथ कम ही नजर आते हैं, क्योंकि कुंवारे पहले से ताक में रहते हैं। फिलहाल, सावन के पहले से पार्वतीजी महादेव से बिछुड़ी हुई हैं। वे किसी कुंवारे के घर होम क्वारंटाइन में हैं। लॉकडाउन के चलते इस बार अक्षय तृतीया जैसे मुहूर्त पर भी शादियां नहीं हुईं। लॉकडाउन नहीं टूटा और शादियां नहीं हुई तो जुलाई से चार महीने के लिए देव सो जाएंगे, ऐसे में कम ही उम्मीद है कि पार्वतीजी महादेव के पास जल्द लौट आएंगी। कतार में लगे कुंवारों को इस बार लंबा इंतजार करना पड़ सकता है।

 

एक-दो महीने ही मां पार्वती रहती हैं महादेव के साथ

पिछले 35 साल से मंदिर में पुजारी के रूप में सेवा दे रहे रामबाबू पाराशर बताते हैं कि अब तक 15-20 बार पार्वतीजी की मूर्ति चोरी हो चुकी है। चुराने वालों की शादियां भी हो चुकी हैं। हमें चोरी का पता चल भी जाता है तो भी किसी को टोकते नहीं। साल में बमुश्किल एक-दो महीने ही पार्वतीजी की प्रतिमा मंदिर में विराजित रह पाती हैं। लौटते ही उन्हें फिर कोई चुरा ले जाता है।

 

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