अगर आपकी जीवनसंगिनी है ऐसी तो समझ लीजिए खुद को लकी
हिन्दू धर्म में तो पत्नी को पति की अद्धांगिनी कहते हैं। इसी के साथ पत्नी को घर की लक्ष्मी भी मानते हैं। महाभारत व गरुड़ पुराण में पत्नी की कुछ अच्छाई बताई गई हैं और जिनकी पत्नी में ये गुण होते हैं, उनके पति को भाग्यशाली मानते हैं।
जयपुर: शादी के बाद चाहे पुरुष हो या स्त्री उनकी जिंदगी का दूसरा चैप्टर शुरु होता है। शादी के ये जोड़ा पति-पत्नी बन जाते है। और इनका रिश्ता आपसी समझ और विश्वास पर टिका होता हैं। हिन्दू धर्म में तो पत्नी को पति की अद्धांगिनी कहते हैं। इसी के साथ पत्नी को घर की लक्ष्मी भी मानते हैं। महाभारत व गरुड़ पुराण में पत्नी की कुछ अच्छाई बताई गई हैं और जिनकी पत्नी में ये गुण होते हैं, उनके पति को भाग्यशाली मानते हैं।
बकरीद पर कुर्बानी महज एक प्रतीक है, जो दूसरों व जरूरतमंदों के लिए दी जाती है
जो पत्नी अपने पति को ही सबकुछ मानती है, उसी के आदेश का पालन करती है, उसे शास्त्रों में पतिव्रता कहते है। पति की आज्ञा का पालन पत्नी सदैव अपने पति की सेवा में लगी रहती है, भूल कर भी कभी पति का दिल दुखाने वाली बात नहीं कहती। हर प्रकार के पति को प्रसन्न रखने का प्रयास करती है। पति के अलावा वह कभी भी किसी अन्य पुरुष के बारे में नहीं सोचती। धर्मग्रंथों में ऐसी ही पत्नी को पतिपरायणा कहा गया है।
संजय लीला भंसाली अपनी मूवी ‘इंशाल्लाह’ में, इस अभिनेत्री को दे सकते हैं मौका
घर के काम में जो पत्नी घर के सभी कार्य जैसे- भोजन बनाना, साफ-सफाई करना, घर को सजाना, कपड़े-बर्तन आदि साफ करना, बच्चों की जिम्मेदारी ठीक से निभाना, घर आए अतिथियों का मान-सम्मान करना, कम संसाधनों में घर चलाना आदि कामों में निपुण होती है, उसे ही कुशल गृहणी मानते हैं।
एक पत्नी का सबसे पहले यही धर्म होता है कि वह अपने पति व परिवार के हित में सोचे व ऐसा कोई काम न करे जिससे पति या परिवार का अहित हो। गरुड़ पुराण के अनुसार, जो पत्नी प्रतिदिन स्नान कर पति के लिए सजती-संवरती है, कम खाती है, कम बोलती है तथा सभी मंगल चिह्नों से युक्त है। जो निरंतर अपने धर्म का पालन करती है तथा अपने पति का प्रिय करती है, उसे ही सच्चे अर्थों में पत्नी मानना चाहिए। जिसकी पत्नी में यह सभी गुण हों, उसे किस्मत वाला समझना चाहिए।
अब तक नहीं जानते थे तो अब जान लें, सिंदूर लगाते समय दें ध्यान तो खुद-ब- खुद बना रहेगा आपका सुहाग
पत्नी को अपने पति से हमेशा संतुलित भाषा में बात करनी चाहिए। प्यार के साथ व धीरे-धीरे। पति के अलावा पत्नी को घर के अन्य सदस्यों जैसे- सास-ससुर, देवर-देवरानी, जेठ-जेठानी, ननद आदि से भी प्रेमपूर्वक ही बात करनी चाहिए। बोलने के सही तरीके से ही पत्नी अपने पति व परिवार के अन्य सदस्यों के मन में अपने प्रति स्नेह पैदा कर सकती है।