Electric Vehicles Price: EV बैटरी के लिए एक और नई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना लाने वाली है सरकार, अब इन वाहनों की कीमतों का गिरेगा ग्राफ
Electric Vehicles Price:भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते प्रभाव को देखकर सरकार देश में EV को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी के अलावा और भी कई तरह की योजनाओं पर विचार कर रही है। कई लाभकारी योजनाओं का जल्द ही ऐलान करने वाली है।
Electric Vehicles Price: पर्यावरण संरक्षण की एक बड़ी चुनौती के साथ ही साथ पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतें ऑटो मार्केट में एक बड़े बदलाव का सबब बनीं हैं। जिसके उपरांत इलेक्ट्रिक वाहन एक बड़ा सकारात्मक विकल्प बन कर ऑटो सेक्टर के समक्ष प्रस्तुत हुआ। वर्तमान समय में भी इलेक्ट्रिक वाहनों की खूबियों और सरकार द्वारा इनपर दी जा रही सब्सिडी के चलते इनकी लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ रही है। अब रोड पर दौड़ता हुआ हर तीसरा वाहन इलेक्ट्रिक सेगमेंट का नजर आना शुरू हो चुका है। भविष्य में इलेक्ट्रिक वाहनों के बढ़ते प्रभाव को देखकर सरकार देश में EV को बढ़ावा देने के लिए सब्सिडी के अलावा और भी कई तरह की योजनाओं पर विचार कर रही है। यही वजह है कि केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने और इलेक्ट्रिक पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों को उनके इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई लाभकारी योजनाओं का जल्द ही ऐलान करने वाली है। चूंकि देखा जाता है कि इलेक्ट्रिक वाहनों में लगने वाली बैटरी के लिए हम पूरी तरह से विदेशों पर निर्भर करते हैं।
यही वजह है कि इलेक्ट्रिक वाहनों की आधी से ज्यादा कीमत उसकी बैटरी की होती है। इसीलिए इलेक्ट्रिक वाहन तुलनात्मक दृष्टि से ज्यादा महंगें साबित होते हैं। इस समस्या का तोड़ निकालने के लिए सरकार इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले बैटरी के निर्माण के लिए एक नई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना को जल्द ही धरातल पर लाने वाली है। फिलहाल अभी इस योजना को लागू करने की रणनीति पर काम कर रही है। आइए जानते हैं केंद्र सरकार की
आइए जानते हैं PLI योजना के बारे में
इस योजना का उद्देश्य भारतीय कंपनियों को देश में अपना उत्पादन बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करना है। साथ ही यह विदेशी कंपनियों को भारत में अपना कारोबार स्थापित करने के लिए प्रेरित करना है। इलेक्ट्रिक वाहनों के चलन में आने के साथ ही इससे जुड़े कुछ अहम मुद्दे भी उभर कर सामने आने लगे हैं। जिसमें सबसे बड़ी समस्या है इलेक्ट्रिक वाहनों की महंगी कीमतें और इनके मेंटीनेंस के लिए सर्विस सेंटर का अभाव। इन्हीं सारी समस्या का हल निकालने के लिए आयात घटा कर देश के भीतर ज्यादा से ज्यादा यूटिलिटी प्रोडक्ट्स का होम प्रोडक्शन बढ़ाना। जिसके लिए मार्च, 2020 में केंद्र सरकार ने PLI योजना का आगाज किया गया था।
PLI योजना के तहत इलेक्ट्रिक सेगमेंट की है सबसे अधिक मांग
2023 वर्ष में संसद में पेश की गई आर्थिक सर्वे की रिपोर्ट के अनुसार, PLI योजना के तहत इलेक्ट्रिक सेगमेंट की डिमांड सबसे ज्यादा है। इसमें अन्य उत्पादों के साथ ही साथ अब इसमें इलेक्ट्रॉनिक और ऑटोमोबाइल सेक्टर भी शामिल हैं। इसकी बढ़ती मांग के चलते प्रति वर्ष के आंकड़ों के अनुसार इसका निर्यात लगभग 55.1 प्रतिशत की दर से तेज़ी से इसका ग्राफ ऊपर चढ़ता जा रहा है।
क्या कहते हैं केंद्रीय बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह
PLI योजना को जल्द से जल्द ऑटो सेक्टर में लागू किए जाने के विषय पर केंद्रीय मंत्री बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने एक कार्यक्रम के दौरान जानकारी देते हुए यह बताया कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों को बढ़ावा देने के साथ इनकी लागत कम करने के लिए EV बैटरी के लिए एक और PLI योजना को मंजूरी देने की तैयारी कर रही है।
पेट्रोल और डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों के कारण भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की लोकप्रियता काफी तेजी से बढ़ रही है। सरकार भी देश में EV को बढ़ावा देने के लिए इलेक्ट्रिक चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर का विस्तार करने और इलेक्ट्रिक पार्ट्स बनाने वाली कंपनियों को पीएलआई योजना के जरिए प्रोत्साहन देने का प्रयास कर रही है। इलेक्ट्रिक गाड़ियों में इस्तेमाल होने वाले बैटरी के निर्माण के लिए सरकार की नई प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना निश्चित ही एक बड़ा बदलाव लाने वाली है।
इलेक्ट्रिक वाहनों को कीमतों में होगी भारी गिरावट
केंद्रीय मंत्री बिजली और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह का मानना है कि यदि देश में घरेलू उत्पादन के जरिए इलेक्ट्रिक व्हीकल की बैटरी का उत्पादन बढ़ाया जाए तो इससे विदेशों से मंगाई जाने वाली बैटरी की तुलना में इन पर आने वाली लागत में भारी कमी आए। जिसके उपरांत इलेक्ट्रिक वाहनों की कीमतों में भी गिरावट आएगी। यही वजह है कि सरकार अब EV बैटरी के निर्माण पर जोर दे रही है। बता दें, ज्यादातर कंपनियों इलेक्ट्रिक गाड़ियों की बैटरी को विदेशों से आयात करती हैं, जिससे इनकी लागत बढ़ जाती है। ऐसे में अगर इन बैटरियों को देश में बनाया जाए तो इससे इलेक्ट्रिक वाहनों को कीमतों में भारी गिरावट देखी जा सकती है।
सोडियम-आधारित बैटरी लाने की योजना पर भी काम कर रही सरकार
ईधन के स्रोतों के विकल्प अब दिन पर दिन नए रूप में सामने आ रहें हैं। डीजल और पेट्रोल जैसे विकल्पों से अलग हट कर अब वर्तमान में ईंधन के नवीन स्रोतों में सरकार सोडियम-आधारित बैटरी लाने की योजना पर भी काम कर रही है। सरकार देश में अब इलेक्ट्रिक ऊर्जा को भी बढाने की योजना पर भी विचार कर रही है।
इलेक्ट्रिक गाड़ियों में अब ईंधन स्रोतों के बदलाव के दौर में लिथियम-आयन बैटरी का इस्तेमाल होने लगा है। जिनके लिए हमें दूसरे देशों पर निर्भर रहना पड़ता है। हालांकि भारत में जम्मू में कुछ सीमित मात्रा में लिथियम प्लांट मौजूद हैं। देश में तेज़ी से विस्तार लेते इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार में बैट्री की खपत को पूरा करने के लिए भारी मात्रा में लिथियम प्लांट की जरूरत है। जिसे बेहद सीमित मात्रा के दायरे में रहकर पूरा करना नामुमकिन है।
ACC बैटरी के निर्माण पर रहेगा अधिक जोर
वायु प्रदूषण की समस्या से निजात पाने के लिए अब कई तरह के ईंधन स्रोतों को इजाद करने के लिए शोध किए जा रहें हैं। PLI योजना को लागू कर ACC बैटरी के निर्माण के लिए दो वर्ष पहले मई, 2021 में 18,100 करोड़ रुपये की मंजूरी सरकार ने जारी की थी। ACC बैटरी के निर्माण के लिए मंजूर किए गए लगभग 45,000ee करोड़ रुपये की राशि का इस्तेमाल घरेलू और विदेशी निवेश को सकल घरेलू उत्पादन में बदलना था। इस योजना का लक्ष्य अब देश में 50GW बैटरी स्टोरेज का मैन्युफैक्चरिंग करना होगा। इसी योजना को प्रभावी बनाने के लिए ACC बैटरी के निर्माण पर अब पूरी तरह से ध्यान लगाया जाएगा। इस बैटरी की ये खूबी है कि इसमें ज्यादा से ज्यादा ऊर्जा स्टोर करने की क्षमता होती है यानी इसमें एडवांस स्टोरेज तकनीक मौजूद मिलती है जो बैटरी लाइफ की क्षमता को चार गुना ज्यादा बढ़ा देती है।