Hero vs Honda: हीरो होंडा कैसे बन गई हीरो और होंडा, सबकी चहेती मानी जाने वाली गाड़ी के क्यों हुए दो टुकड़े, आइए जानते हैं फैक्ट्स

Hero Honda Split: चलिए जानते हैं आखिर क्यों जापानी कंपनी होंडा ने भारतीय कंपनी हीरो को मझधार में छोड़ कर खुद को अलग कर लिया।

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2023-02-10 18:20 IST

हीरो होंडा (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

Hero vs Honda: भारत में सबसे पहले जिस मोटर साइकल का क्रेज सबके सर चढ़ कर बोला है तो वो है हीरो होंडा (Hero Honda) का। भारत की सबसे बड़ी साइकिल बनाने वाली कंपनी हीरो और जापान की जानी मानी कंपनी होंडा के कॉलोब्रेशन ने इंडिया ही नहीं कई देशों को ड्यूरेबल और सस्ती मोटरसाइकिल की सौगात दी। लेकिन ऐसा क्या हुआ कि इतनी शोहरत और मुनाफे में चल रही ये कंपनी अचानक टूट गई और हीरो व होंडा अलग हो गए। अब इसे होंडा का लालच कहें या फिर बिजनेस का तरीका जिसके चलते ये कहा जाता है कि जापानी कंपनी होंडा ने भारतीय कंपनी हीरो को मझधार में छोड़ कर खुद को अलग कर लिया।

आइए जानते हैं इससे जुड़े इतिहास के बारे में

हीरो (Hero) की बात की जाए तो इसकी नींव ब्रजमोहन लाल मुंजाल ने 1956 में रखी थी। 29 सालों में ही सबसे बड़ी साइकिल बनाने की कंपनी के तौर पर यह सामने आई थी। 80 के दशक तक हीरो अपनी साइकिलों को लोग खूब पसंद कर रहे थे। यही वजह थी की कंपनी इन्हें एक्सपोर्ट करना शुरू कर चुकी थी। इसी दौरान मुंजाल ने देखा कि मोटरसाइकिल का बाजार भी तेजी से बढ़ रहा है। इस दौरान इंडिया में मोटरसाइकिल के नाम पर कुछ ही ऑप्‍शन थे। अब मुंजाल ने इसके लिए प्लान किया। किसी विदेशी कंपनी के साथ बेहतर टेक्नोलॉजी की मोटरसाइकिल को इंडिया में लॉन्च करने की योजना पर काम करना शुरू किया जाय।

इसी के चलते ब्रजमोहन ने होंडा (Honda) को बिजनेस प्रपोजल भेजा। होंडा भी इस दौरान इंडियन मार्केट में उतरने की सोच रही थी। हीरो का प्रपोजल उसे पसंद आ गया। दोनों कंपनियों ने 1984 में एक एग्रीमेंट तैयार किया। इसके तहत हीरो मोटरसाइकिल की बॉडी मैन्युफैक्चर करेगा और होंडा इंजन सप्लाई करेगी। इसके साथ ही एक और समझौता हुआ, वो था कि दोनों ही कंपनियां कभी भी प्रतिद्वंदी के तौर पर अपना प्रोडक्ट लॉन्च नहीं करेंगी।

साभार- सोशल मीडिया

किस सन में हीरो होंडा बाइक हुई लॉन्च

वो दिन भी आया जब 1985 में हीरो होंडा की पहली मोटरसाइकिल CD 100 लॉन्च हुई। मोटरसाइकिल ने मिडिल क्लास या कहें वर्किंग क्लास को अपना मुरीद बना दिया था। बजाज और लेमरेटा चला रहे लोगों को स्कूटर से ज्यादा माइलेज मोटरसाइकिल में मिल रहा था, साथ ही ये लुक्स और वजन में हल्की और देखने में जबरदस्त थी। हीरो होंडा की सफलता और उसके युवा पीढ़ी के बीच इसके बढ़ते क्रेज को देख कर दूसरी दो पहिया वाहन बनाने वाली कंपनियों ने भी इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया। जिसमें सबसे पहले बजाज कंपनी ने मोटरसाइकिल बनाने में हाथ आजमाया, वहीं सुजुकी, यामाहा और टीवीएस ने भी दो पहिया वाहन ने अपनी बाइक को पेश कर देश में अपनी जगह बनाना शुरू किया।

जब चला उठापटक का दौर

हीरो होंडा के गठजोड़ की कहानी जहां अभी तक बड़ी रोचक चल रही थी। वहीं अब इसके सामने एक बुरा दौर भी आया, जापानी करेंसी में उछाल के साथ ही स्पेयर पार्ट्स महंगे होने लगे थे। हीरो होंडा के लिए किफायती बाइक बनाना दिनों दिन मुश्किल होता जा रहा था। साथ ही कंपीटीटर्स भी इस संयुक्त वेंचर की मार्केट को तोड़ने लगे थे। लेकिन लोगों का विश्वास कंपनी नहीं तोड़ना चाहती थी। इसी के चलते हीरो ने नुकसान में लोगों को किफायती मोटरसाइकिल लंबे समय तक बेचना जारी रखा।

1990 में डॉलर का एक्सचेंज प्राइस रेग्युलेट होने के बाद कंपनी को कुछ राहत हुई। फिर एक बार प्रॉफिट का दौर शुरू हो गया। कुछ ही सालों में कंपनी का प्रॉफिट 10 मिलियन डॉलर को भी पार कर गया। लेकिन इसी के साथ हीरो और होंडा में गांठ पड़ जाने के कारण अनबन का दौर शुरू हो गया था। विदेशी कंपनी होंडा कुछ ज्यादा चालाक निकली। दरअसल, हीरो होंडा की मोटरसाइकिलें इंडिया के साथ बांग्लादेश, पाकिस्तान, नेपाल और भूटान में ही एक्सपोर्ट हो रही थीं। लेकिन शातिराना चाल के तहत होंडा अमेरिका और रूस जैसे विकसित देशों में अपनी मोटरसाइकिलों को एक्सपोर्ट कर रही थी। हीरो पर ये करने की पाबंदी थी।

हीरो के सामने थी कड़ी चुनौती

जापानी कंपनी होंडा की शातिराना चालबाजियों के बाद भी अब हीरो चाह कर भी होंडा से अलग नहीं हो सकती थी, क्योंकि इंजन के लिए वे होंडा पर ही निर्भर थी। अब हीरो ने विकल्प के तौर पर इंजन मैन्युफैक्चरिंग का काम भी शुरू कर दिया। हालांकि हीरो ने इस इंजन के साथ बाइक मार्केट में नहीं उतारी थी। लेकिन होंडा को जब इस बात का पता चला तो उसे यह बात बेहद नागवार गुजरी। दोनों कंपनियों के बीच की अनबन बढ़ने लगी।

शातिराना चालबाजियों बनी विभाजन का सबब

दोनों ही दो पहिया बनाने वाली कंपनियों के बीच अनबन इतनी बढ़ी की करार होने के बाद भी होंडा ने 1999 में होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड के नाम से अपनी एक अलग कंपनी बना ली। होंडा के बैनर तले मोटरसाइकिलें लॉन्च करना शुरू कर दिया। ये मोटरसाइकिलें सीधे हीरो होंडा की मोटरसाइकिलों को मात देने लगीं। तभी एक्टिवा को लॉन्च कर होंडा ने स्कूटर सेगमेंट में भी एंट्री मार ली।

अब होंडा अपनी कंपनी के साथ ही हीरो होंडा से भी प्रॉफिट उठाने लगी। यहां पर सामने आए ब्रजमोहन मुंजाल के बेटे पवन मुंजाल और उन्होंने होंडा की इस मनमानी का खुलकर विरोध किया। उन्होंने होंडा को अपनी मोटरसाइकिलें बेचना बंद करने या फिर हीरो से करार तोड़ने की बात कही। 16 दिसंबर, 2010 को हीरो और होंडा अलग हो गईं। होंडा ने कंपनी के अपने 26 प्रतिशत शेयर 1.2 अरब डॉलर में हीरो को ही बेच दिए। ये उस दौरान हुई सबसे बड़ी डील्स में से एक थी।

और कहीं पीछे रह गई होंडा

हीरो ने इसके बाद अपनी अलग बाइक मार्केट में उतारीं। जो लोग हीरो की काबलियत पर शक कर रहे थे उनका मुंह हीरो ने खास अंदाज में बंद किया। हीरो ने होंडा गाड़ियों को पीछे धकेलते हुए देश की ही नहीं दुनिया की सबसे बड़ी कंपनियों में से एक बन कर सामने आई। कहना गलत न होगा कि आज हीरो की मोटरसाइकिल का प्रोडक्‍शन दुनिया भर में सबसे ज्यादा है।

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