Bihar में सहनी और मांझी हुए बेअसर, अब नहीं कर पाएंगे सियासी खेल, भाजपा की बड़ी सेंधमारी
Bihar News: बिहार की सियासत में इन दिनों वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी को लगातार सियासी झटके लग रहे हैं। भाजपा ने वीआईपी के 3 विधायकों को तोड़कर सहनी को सबसे बड़ा झटका दिया है।
Bihar News: बिहार में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में बड़ी सेंधमारी करते हुए विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के मुखिया मुकेश सहनी (Mukesh Sahni) से अपना हिसाब चुका लिया है। बिहार (Bihar News) में हुए बड़े सियासी खेल में वीआईपी के तीन विधायकों ने भाजपा का दामन थाम लिया है। इस कदम के बाद अब 77 विधायकों के साथ भाजपा राज्य की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी बन गई है। बिहार में बहुमत की सरकार के लिए 122 विधायकों के समर्थन की जरूरत है और अब एनडीए के समर्थक विधायकों की संख्या बढ़कर 127 हो गई है।
राज्य में जीतन राम मांझी (Jitan Ram Manjhi) के चार विधायक हैं जबकि सहनी खुद एमएलसी हैं और उनकी पार्टी में अब कोई विधायक नहीं रह गया है। दोनों नेता समय-समय पर राज्य की एनडीए सरकार को आंखें दिखाते रहे हैं मगर अब उनकी धमकी का कोई असर नहीं पड़ने वाला है। सहनी तो अब पूरी तरह भाजपा के रहमो करम पर निर्भर हो गए हैं क्योंकि उनकी विधानपरिषद सदस्यता भी जल्द ही समाप्त होने वाली है।
सहनी को लगा भारी सियासी झटका
बिहार की सियासत में इन दिनों वीआईपी के मुखिया मुकेश सहनी को लगातार सियासी झटके लग रहे हैं। बोचहां विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में वे पार्टी के दिवंगत विधायक मुसाफिर पासवान के बेटे अमर पासवान को प्रत्याशी बनाना चाहते थे मगर राजद ने अमर पासवान को अपने सिंबल पर चुनाव मैदान में उतार दिया। भाजपा पहले ही इस सीट पर बेबी कुमारी को प्रत्याशी बना चुकी है। अब भाजपा ने वीआईपी के 3 विधायकों को तोड़कर सहनी को सबसे बड़ा झटका दिया है।
वीआईपी के तीन विधायकों राजू सिंह, स्वर्णा सिंह और मिश्री लाल यादव ने पार्टी से इस्तीफा देते हुए भाजपा की सदस्यता ग्रहण कर ली है। उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष विजय कुमार सिन्हा को भाजपा के पक्ष में अपना समर्थन पत्र सौंप दिया है।
सहनी को अपनी पार्टी में टूट की आशंका पहले से ही बनी हुई थी और उन्होंने इस बाबत आशंका भी जताई थी। सहनी को यूपी चुनाव में भाजपा के खिलाफ उम्मीदवार उतारने पर पार्टी के एक सांसद ने खामियाजा भुगतने की धमकी दी थी। इसी के बाद उन्होंने खुद के एनडीए से बाहर होने की आशंका भी जताई थी। अब यह आशंका सही साबित हुई है।
सहनी हुए पैदल और मांझी बेअसर
बिहार के पिछले विधानसभा चुनाव में वीआईपी और जीतन राम मांझी की पार्टी हम के 4-4 विधायक चुनाव जीतकर सदन में पहुंचे थे। बाद में वीआईपी के एक विधायक मुसाफिर पासवान का निधन हो गया था। पार्टी के बाकी तीन विधायकों ने अब भाजपा का दामन थाम लिया है। पिछले चुनाव में भाजपा के 74 विधायक चुने गए थे और अब तीन विधायकों के साथ पार्टी के विधायकों की संख्या 77 हो गई है। अब भाजपा राज्य में सबसे बड़ा राजनीतिक दल बन गई है क्योंकि राजद के 75 विधायक चुनाव में विजयी हुए थे।
राज्य की एनडीए सरकार को अब 127 विधायकों का समर्थन हासिल है। मुकेश सहनी की पार्टी अब पूरी तरह पैदल हो चुकी है जबकि जीतन राम मांझी के चार और एक निर्दलीय विधायक के समर्थन वापस लेने पर भी नीतीश सरकार की सेहत पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने भी किया हमला
वीआईपी में टूट के बाद भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष डॉ संजय जायसवाल ने कहा कि मुकेश सहनी ने खुद अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारी है। उन्होंने कहा कि तीनों विधायक हमेशा से बीजेपी के ही थे और 2020 के चुनावों में उन्हें भाजपा की ओर से ही लड़ाने की तैयारी थी।
सहनी अगर एनडीए में न शामिल हुए होते हैं तो तीनों विधायक भाजपा के टिकट पर ही चुनाव मैदान में उतरते। बोचहां उपचुनाव में भाजपा के खिलाफ प्रत्याशी उतारकर सहनी ने खुद ही अपने ताबूत में आखिरी कील ठोक ली। अब उन्हें अपनी राजनीतिक हैसियत का पता लग गया है।
अब छोड़ना होगा मंत्री पद भी
बिहार में हुए ताजे घटनाक्रम से अब मुकेश सहनी के साथ मंत्री पद छोड़ने के अलावा कोई रास्ता नहीं बचा है। मौजूदा समय में वे नीतीश कैबिनेट में पशु व मत्स्य संसाधन मंत्री हैं। आने वाले जुलाई महीने में उन्हें और बड़ा झटका लगने वाला है। उनका एमएलसी का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो जाएगा और भाजपा से बैर मोल लेने के बाद अब उनके पास दोबारा विधानपरिषद का सदस्य बनने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है।
इसी कारण माना जा रहा है कि वे जल्द ही मंत्री पद भी छोड़ सकते हैं। वे छह साल के कार्यकाल वाली सीट मांग रहे थे मगर भाजपा ने उन्हें छोटी अवधि के लिए ही परिषद का सदस्य बनाया था।