Bihar Politics: अब नीतीश कुमार नहीं होंगे बिहार के सीएम! संसदीय बोर्ड तय करेगा नया मुख्यमंत्री
Bihar Politics: बिहार में इस बार नया मुख्यमंत्री देखने को मिल सकता है। गठबंधन में इस बार कुछ नया हो सकता है।;
Bihar Politics (Photo: Social Media)
Bihar Politics: बिहार में विधानसभा चुनाव जैसे जैसे नजदीक आ रहे हैं वैसे राजनीति सरगर्मी बढती जा रही है। वर्तमान में भारतीय जनता पार्टी ने जनता दल यूनाइटेड के साथ गठबंधन करके सरकार चला रही है। लेकिन अब भाजपा और जेडीयू कितने समय तक साथ रहेंगे, ये भी सवाल खड़ा हो रहा है। दरअसल, शुक्रवार की सुबह भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने एक ऐसा बयान दे दिया, जिसके बाद जेडीयू को बड़ा झटका लगा। जायसवाल ने कहा कि अब बिहार में नया मुख्यमंत्री का चेहरा होगा।
भाजपा अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि अब बिहार का मुख्यमंत्री संसदीय बोर्ड तय करेगा। एनडीए के सभी सहयोगी दल मिलकर सीएम फेस का फैसला करेंगे। नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार का चुनाव होगा। अब देखने वाली बात ये होगी कि क्या नीतीश कुमार भाजपा की इस रणनीति का हिस्सा होंगे या वह अपना कोई नया प्लान लाएंगे। वहीं, प्रदेश के कैबिनेट विस्तार में नीतीश कुमार ने जिस तरह से बीजेपी के झोली में मंत्रियों को दिया, उसके हिसाब से अंदाजा लगाया जा सकता है कि बिहार की राजनीति में कुछ बड़े बदलाव के संकेत हैं। इस बार नीतिश कुमार एनडीए का साथ मिलकर चुनाव लड़ने की तैयारी में हैं।
लाडले सीएम की निभा रहे भूमिका
हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बिहार के भागलपुर पहुंचे थे। यहां पीएम ने विपक्ष को खरी खोटी सुनाकर नीतीश कुमार को लाडला सीएम बताया। सियासी जानकारों ने इसके अपने अपने मायने बताए। कहना है कि नीतीश कुमार सीएम 'पद' के लिए लाडले हैं। लेकिन दिलीप जायसवाल के बयान के बाद कयास लगाए जा रहे कि बिहार में भी कहीं महाराष्ट्र वाली स्थिति न पैदा हो जाए। चुनाव परिणाम के बाद कहीं भाजपा नीतीश को उनकी ही दल बदल नीति का आइना न दिखा दे। नीतीश कुमार ने भाजपा को सात नए मंत्री देकर जातीय समीकरण को साध लिया है। इससे तय है कि ये मंत्रिपद देने का प्रभाव भाजपा पर पड़ सकता है।
बिहार में किसके पास कितने विधायक
बिहार में वर्ष 2020 में हुएऐ विधानसभा चुनाव के अनुसार राष्ट्रीय जनता दल के पास सबसे अधिक विधायक रहे। राजद से जेडीयू गठबंधन कर नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बनें। इसके बाद टूटकर भाजपा का दामन थाम कर एनडीए का साथ मिलकर सरकार बनाई। देखिए बिहार में किसका कितना सियासी जाल।
क्र. सं. | पार्टी | विधायक |
1. | बीजेपी | 78 |
2. | हम | 04 |
3. | जेडीयू | 45 |
4. | स्वतंत्र | 01 |
5. | राजद | 79 |
6. | कांग्रेस | 19 |
7. | सीपीआई (एमएल) | 12 |
8. | सीपीआई | 02 |
9. | सीपीआई (एम) | 02 |
10. | मजलिस | 01 |
बिहार में 20 साल की जीत पर एक नजर
जेडीयू और बीजेपी ने 2005 के विधानसभा चुनाव में गठबंधन कर चुनाव लड़ा। सीट शेयरिंग के बाद जेडीयू के खाते में 139 सीट लड़ने को आई और 88 सीटें जीती जबकि बीजेपी सिर्फ 102 पर लड़ी और 55 सीटें जीती। 2010 चुनाव में जेडीयू ने 141 सीटों पर चुनाव लड़ा और 115 सीटें जीती थी, जबकि बीजेपी ने 102 सीटों पर चुनाव लड़ा और 91 सीटें जीती। दोनों चुनावों में नीतीश कुमार अहम भूमिका या यूं कहें कि शीर्ष भूमिका में रहे। 2015 के विधानसभा चुनाव में नीतीश कुमार महा गठबंधन के साथ मिलकर लड़े। जेडीयू को लड़ने के लिए 101 सीटें मिलीं। जीत भी 71 सीट पर मिली, यहां नीतीश की सीटों के साथ कद भी घटने लगा। 2020 के विधानसभा चुनाव में एक बार फिर नीतीश कुमार एनडीए के झंडे तले लड़े। नीतीश कुमार की पार्टी को यहां कुल 115 सीटें लड़ने को मिली, जबकि बीजेपी के हिस्से में 110 सीटें लड़ने को आई। जेडीयू को केवल 43 सीट पर जीत मिली, जबकि बीजेपी 2020 में 74 सीट पर जीती थी।