Law Firm Wachtell Lipton: अडानी ग्रुप के लिए मैदान में उतरा 'वॉच टेल', ट्विटर से विवाद में Elon Musk को लाया था घुटनों पर!
Wachtell Lipton: अमेरिकी लॉ फर्म वॉच टेल की स्थापना वर्ष 1965 में वकीलों के छोटे समूह ने मिलकर की थी। समय के साथ वॉच टेल की ख्याति दुनिया भर में फैली। अब अडानी ने हायर किया है।
Wachtell Lipton: दुनिया के टॉप के अरबपतियों की लिस्ट में शामिल भारतीय कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) और अमेरिकी रिसर्च फर्म हिंडनबर्ग (Hindenburg) इन दिनों सुर्ख़ियों में है। दरअसल, हिंडेनबर्ग की नेगेटिव रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के कंपनियों के शेयर में सुनामी आ गई। शेयर औंधे मुंह गिरे। जिसके बाद अडानी न सिर्फ दुनिया के सबसे अमीर 20 शख्स की सूची से बाहर हुए, उन्हें जबरदस्त नुकसान भी उठाना पड़ा। मगर, अब अडानी हिंडनबर्ग के खिलाफ आर-पार की लड़ाई के मूड में हैं। अडानी ग्रुप ने अमेरिकी लॉ फर्म वॉचटेल (US Law Firm Wachtell) को हायर किया है।
गौतम अडानी एक तरफ शॉर्ट सेलर कंपनी हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से हुए नुकसान की भरपाई में जुटे हैं, तो दूसरी तरफ इस फार्म को सबक सिखाने की भी ठान चुके हैं। अडानी समूह ने अमेरिकी की महंगी और विवादित मामलों को लड़ने में माहिर मानी जाने वाली लॉ फर्म वॉच टेल (US Law Firm Wachtell) को हायर किया है। आपको बता दें ये वही लॉ फार्म है जिसने पिछले साल Twitter का केस अपने हाथ में लिया था और दुनिया के सबसे अमीर शख्स एलन मस्क को घुटने पर ला दिया था। तो चलिए जानते हैं लॉ फर्म वॉच टेल और इससे काम के बारे में...
अडानी ग्रुप हिंडनबर्ग को सबक सिखाने के मूड में
अडानी समूह बुरे दौर से उबरने की कोशिशों में जुटा है। निवेशक एक बार फिर अडानी के शेयरों में निवेश करते दिख रहे हैं। हालांकि, फाइनेंशियल टाइम्स की खबर की मानें तो हिंडनबर्ग रिपोर्ट से अडानी समूह को उबरने में अभी समय लगेगा। लेकिन, कंपनी ने निवेशकों में फिर से विश्वास बहाली और ग्रुप की रेपुटेशन को हुए नुकसान का बदला लेने के लिए बड़ी तैयारी कर ली है। ख़बरों के अनुसार, भारत की सिरिल अमरचंद मंगलदास फर्म ने अडानी-हिंडनबर्ग मामले (Adani-Hindenburg Case) के लिए अमेरिकी की प्रसिद्ध लॉ फर्म वाचटेल (Wachtell) से संपर्क साधा है। आपको बता दें कि, इस कंपनी का नेतृत्व गौतम अडानी के समधी सिरिल श्रॉफ करते हैं।
अमेरिकी लॉ फर्म 'वॉच टेल' क्यों है खास?
अमेरिकी लॉ फर्म वॉच टेल (Wachtell) की स्थापना 1965 में वकीलों के एक समूह ने की थी। लेकिन, समय के साथ एक छोटा ग्रुप फार्म के रूप में स्थापित हो गया। शुरुआत में ये फर्म अपने क्लाइंट को कानूनी लड़ाई में सलाह देती थी। समय के साथ इस फर्म ने अपना विस्तार किया। जब इसकी पहचान बड़ी हुई तो वकीलों की संख्या भी बढ़ गई। वर्तमान समय में लॉ फर्म 'वॉच टेल' एक बड़ी और एक्सपर्ट वकीलों की टीम के जरिए कंपनी के मर्जर, अधिग्रहण और कॉर्पोरेट से जुड़े बड़े विवादित मामलों को निपटाने का काम करती है।
Twitter-Elon Musk विवाद गया था वॉचटेल के हाथ
अमेरिका सहित वैश्विक स्तर पर वॉचटेल आज बड़ा ब्रांड बन चुका है। ये बड़े लेन-देन और सबसे जटिल विवादों से संबंधित मामलों को निपटाने आदि के रूप में ख्यातिप्राप्त है। आप इसकी पहचान का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि जब ट्विटर-एलन मस्क (Twitter-Elon Musk) के बीच विवाद हुआ था तो ये मामला वॉचटेल के दरवाजे तक पहुंचा था। पिछले साल टेक्नोलॉजी सेक्टर की ये सबसे बड़ी डील थी। ट्विटर-मस्क विवाद ने तब दुनियाभर में सुर्खियां बटोरी थी। अब, गौतम अडानी के नेतृत्व वाली समूह और हिंडनबर्ग केस भी इसी फर्म के हाथ गई है।
दुनिया के सबसे अमीर शख्स को किया था मजबूर
'वॉच टेल' विवादित मामलों की कानूनी लड़ाई लड़ने में माहिर मानी जाती है। टेस्ला सीईओ एलन मस्क (Tesla CEO Elon Musk) ने जब 44 अरब डॉलर में ट्विटर से डील (Twitter Deal) तोड़ी थी। तब Twitter ने 'वॉचटेल' को ही हायर किया था। तब वॉचटेल ने ही अदालत में ट्विटर (Twitter) की ओर से जोरदार पक्ष रखा था। ट्विटर के साथ डील से पीछे हट चुके एलन मस्क को इस डील को पूरा करने के लिए वॉचटेल ने ही बाध्य किया था। वॉचटेल न सिर्फ केस लड़ने का हुनर जानती है, ये फर्म सामने वाले को घुटने पर लाने के लिए भी जानी जाती है। वॉचटेल सबसे महंगी लॉ फर्मों में से एक है।
आपको बता दें, कि अडानी समूह पहले ही हिंडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट को ख़ारिज कर चुकी है। ग्रुप ने उन सभी दावों को ख़ारिज करती रही है जो नाथन एंडरसन के नेतृत्व वाली हिंडनबर्ग रिसर्च में किया गया है।