Bank Loan Waived Off: बैंकों ने साल भर में माफ़ कर दिए 1.7 ट्रिलियन रुपये के कर्जे
Bank Loan Waived Off: निजी क्षेत्र के बैंकों में एचडीएफसी बैंक ने 11,030 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए, आईसीआईसीआई बैंक ने 6,198 करोड़ रुपये और एक्सिस बैंक ने 8,346 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए।
Bank Loan Waived Off: भारतीय बैंकों ने वित्त वर्ष 2023-24 में 1.7 ट्रिलियन रुपये के ऋण माफ किए हैं, जबकि वित्त वर्ष 23 में यह आंकड़ा 2.08 ट्रिलियन रुपये था। लोकसभा में एक प्रश्न के उत्तर में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी द्वारा दिए गए आंकड़ों के अनुसार, वित्त वर्ष 2024 में बैंकों द्वारा ऋण माफ करना पिछले पांच वर्षों में सबसे कम है। आंकड़ों से पता चलता है कि वित्त वर्ष 2020 में बैंकों ने 2.34 ट्रिलियन रुपये के ऋण माफ किए थे, वित्त वर्ष 21 में 2.03 ट्रिलियन रुपये माफ किए और वित्त वर्ष 22 में यह संख्या 1.75 ट्रिलियन रुपये थी।
सबसे उदार पंजाब नेशनल बैंक
वित्त वर्ष 2024 में पंजाब नेशनल बैंक ने सबसे अधिक 18,317 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए, उसके बाद यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (18,264 करोड़ रुपये) और भारतीय स्टेट बैंक (16,161 करोड़ रुपये) का स्थान रहा।
आंकड़ों के अनुसार, निजी क्षेत्र के बैंकों में एचडीएफसी बैंक ने 11,030 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए, आईसीआईसीआई बैंक ने 6,198 करोड़ रुपये और एक्सिस बैंक ने 8,346 करोड़ रुपये के ऋण माफ किए।
ये बैंक जो भी ऋण माफ़ करते हैं वह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मानदंडों और बैंकों के बोर्ड की नीतियों के अनुसार होता है। ऋण भी बट्टे खाते वाले यानी एनपीए वाले माफ़ किये जाते हैं, जो ऐसे ऋण होते हैं जिनकी वापसी की गुंजाइश नहीं होती है।
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी चौधरी ने संसद में अपने जवाब में कहा कि "इस तरह के बट्टे खाते में डालने से उधारकर्ताओं की देनदारियों की छूट नहीं मिलती है और इसलिए, बट्टे खाते में डालने से उधारकर्ता को कोई लाभ नहीं होता है। उधारकर्ता पुनर्भुगतान के लिए उत्तरदायी बने रहते हैं और बैंक इन खातों में शुरू की गई वसूली कार्रवाई को जारी रखते हैं।"
वैसे, वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2023-24 के दौरान कुल राइट-ऑफ 9.90 लाख करोड़ रुपये से अधिक था। इसी अवधि के दौरान, केवल 1.84 लाख करोड़ रुपये की वसूली की जा सकी, जो कुल राइट-ऑफ राशि का केवल 18.5 प्रतिशत था। प्रभावी रूप से, यदि राइट-ऑफ राशि औसतन 5 रुपये थी, तो 1 रुपया भी वसूल नहीं किया जा सका।