Barley Top crop: जौ की ये 5 उन्नत किस्में करा सकती किसानों को तगड़ा मुनाफा, यहां होती है डिमांड
Barley Top crop: भारत में जौ की फसल लगाने के लिए रबी सीजन काफी अच्छा माना गया है और यह इस सीजन में देश में सबसे अधिक बोई जाने वाली फसलों में से एक है। इसको लगाकर किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
Barley Top crop: आज कल खेती में भी अच्छा मुनाफा होने लगा है, क्योंकि अब किसान परंपरागत खेती के साथ उन फसलों का भी उत्पादन कर रहें, जिनमें उनको तगड़ा लाभ मिल रहा है। अगर किसी किसान के पास 3 से 4 बीघा खेती है तो वह गेहूं धान के अलावा अन्य फसलें भी उगा रहे हैं और यह फसलें किसानों को तगड़ा मुनाफा प्रदान कर रही हैं। मुनाफे वाली खेती को देखते हुए अब पढ़े लिखे लोगों ने भी खेती को अपना पेशा बना लिया है और अन्य किसानों की तुलना में यह अधिक लाभ कमा रहे हैं।
ऐसे में अगर आप किसान या फिर आपके खेती और उसे करवाते हैं तो जौ की फसल लगाकर तगड़ा लाभ अर्जित कर सकते हैं, क्योंकि शीत के सीजन में बाजारों में लोगों के बीच इसकी मांग अधिक रहती है, जिसके चलते फसल पर अच्छी कीमत मिलती है। हालांकि अन्य सीजन में भी मांग रहती है और दाम भी अच्छा मिलता है जौ की यह टॉप 5 उन्नत किस्में हैं, जिसको लगाकर अच्छा लाभ कमा सकते हैं। आइये इस लेख के जरिए आपको बता दें कि कौन जौ की टॉप 5 उन्नत किस्में हैं।
उन्नत किस्में यहां होती है सबसे डिमांड
दरअसल, भारत में जौ की फसल लगाने के लिए रबी सीजन काफी अच्छा माना गया है और यह इस सीजन में देश में सबसे अधिक बोई जाने वाली फसलों में से एक है। वैसे तो देश में किसान मंजुला, आजाद, जागृति, बी.एच. 75 ,पी.एल. 172, सोनू एवं डोलमा जैसे पुरानी जौ किस्मों का उत्पादन कर रहे हैं। हालांकि अगर किसान जौ में अधिक लाभ चाहते हैं तो डी डब्ल्यू आर बी 92, डी डब्ल्यू आर बी 160, आरडी-2907, करण-201, 231 व 264 और आरडी-2899 जैसे जौ फसलें लगा सकते हैं। इन फसलों का उपयोग माल्ट एवं बीयर और पशु चारे के लिए होता है। इन जगहों में फसलों को बेचकर
आरडी-2899
जौ की आरडी-2899 यह नवीनतम किस्सों की फसल है। इसको तैयार होने में कुल 110 दिन का समय लगता है, जबकि आम जौ किस्में 125 से 130 दिन में तैयार होती हैं। और इसी पैदा वाली प्रति हैक्टेयर 55 से 60 क्विंटल होती है।
डीडब्ल्यूआरबी-160
डीडब्ल्यूआरबी-160 भी जौ की उन्नत किस्म की फसल है। यह फसल 131 दिन में तैयारी हो जाती है। इस फसल का सबसे अधिक उत्पादन को पंजाब, हरियाणा, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, राजस्थान में होता है। हालांकि अन्य राज्य के किसान भी इसको लगा सकते हैं। एक किसान का कहना है कि इसको लगाकर किसान औसत प्रति हेक्टेयर 53.72 क्विंटल उत्पादन कर सकते हैं, जबकि संभावित उपज 70.07 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है।
आरडी-2907
जौ की आरडी-2907 किस्म को लगाकर किसान 125 व 130 दिनों कटाई कर सकते हैं। इसकी सबसे अधिक पैदावारी उत्तर भारत में होती है और उसका उत्पादन 38 से 40 क्विंटल प्रति हैक्टेयर होती है।
करण 201, 231 और 264
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने जौ की करण-201, 231 और 264 किस्म को विसकित किया है। इससे उपयोग से किसानों का लाभ बढ़ा है। यह जौ के बेहतर उत्पादन करने वाली उन्नत किस्मों में से एक है। इसकी पैदावारी प्रति हेक्टेयर 42.5 और 46 क्विंटल है।
डीडब्ल्यूआरबी- 92
डीडब्ल्यूआरबी 92 जौ की उन्नत किस्म की फसल और यह माल्ट परिवार से आती है। इसका उपयोग माल्ट एवं बीयर बनाने के लिए होता है। यह फसल 131 दिन तैयार हो जाती है और इसकी औसत उपज की बात करें तो 49.81 किग्रा/हेक्टेयर है, जबकि अधिक उपज 53-55 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होती है।
ICAR का यह कहना
इन फसलों पर भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान करनाल (IIWBR) कहना है कि अगर किसान जौ की इन टॉप 5 किस्मों की खेती करता है तो सबसे पहले इसका उत्पादन अधिक होता वहीं किसान मुनाफा अधिक कमाते हैं।