बिस्कुट उद्योग की मांग, GST दर 12 प्रतिशत करने की जरूरत

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत बिस्किट पर 18 फीसदी कर लगता है, जिससे बिस्किट निर्माता मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। इसे देखते हुए, भारतीय बिस्किट मैन्युफैक्च र्स एसोसिएशन (आईबीएमए) ने इस पर जीएसटी दर घटाकर 12 फीसदी करने की मांग की है। आईबीएमए ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि यह उद्योग 18 फीसदी जीएसटी के बाद मंद पड़ गया है और इसे दोबारा सुचारु करने के लिए जीएसटी की दर 12 फीसदी करने की जरूरत है।

Update: 2018-01-16 12:21 GMT

नई दिल्ली: वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के तहत बिस्किट पर 18 फीसदी कर लगता है, जिससे बिस्किट निर्माता मुश्किल दौर से गुजर रहे हैं। इसे देखते हुए, भारतीय बिस्किट मैन्युफैक्च र्स एसोसिएशन (आईबीएमए) ने इस पर जीएसटी दर घटाकर 12 फीसदी करने की मांग की है। आईबीएमए ने मंगलवार को एक बयान में कहा कि यह उद्योग 18 फीसदी जीएसटी के बाद मंद पड़ गया है और इसे दोबारा सुचारु करने के लिए जीएसटी की दर 12 फीसदी करने की जरूरत है।

बिस्किट एक बड़े पैमाने पर उपभोग किया जाने वाला खाद्य उत्पाद है, स्वच्छता से संसाधित बिस्किट के उपभोक्ता मुख्य रूप से गरीब वर्ग के लोग हैं, लेकिन बिस्किट को एक प्रीमियम उत्पाद समझा गया है, जिसे समृद्ध समाज द्वारा उपभोग किया जाने वाला समझकर इसे उच्च कर प्रणाली में शामिल कर लिया गया है।

12 प्रतिशत की आवश्यकता

आईबीएमए के अध्यक्ष बी. पी. अग्रवाल ने कहा, "बिस्किट कम लागत पर स्वच्छता, ऊर्जा, पोषण की तलाश करने वाले रिक्शा चालकों और कम पैसा पाने वाले मजदूरों द्वारा उपयोग किया जाने वाला आम उत्पाद है। इसी तरह के खाद्य उत्पादों जैसे मिठाइयां (पांच फीसदी), प्रसंस्कृत सूखे मेवे (पांच फीसदी), चाय (पांच फीसदी), जूस, नमकीन, जाम/जेली, नूडल्स, पास्ता, टमाटर केच-अप (सभी 12 फीसदी) पर जीएसटी कम है। जबकि बिस्किट पर जीएसटी 18 फीसदी है। हम सरकार से इस फैसले की समीक्षा करने का आग्रह करते हैं। इस उद्योग के विकास में ठहराव से बचने के लिए जीएसटी दर 12 फीसदी करने की आवश्यकता है।"

गुणवत्ता पर हो नियंत्रण

आईबीएमए भारत में बिस्किट निर्माताओं का सबसे बड़ा संगठन है। आईबीएमए को 2004 में स्थापित किया गया था, ताकि सभी बिस्किट निर्माता एक साथ मिलकर उद्योग के लिए गुणवत्ता नियंत्रण और गुणवत्ता बढ़ाने की दिशा में काम कर सकें। साथ ही बेहतर प्रबंधकीय और संसाधन प्रथाओं को प्रोत्साहित करें और पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा दें।

आईएएनएस

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