बिटकॉइन 89,000 डॉलर के पार, भारत में क्या है क्रिप्टोकरेंसी की कानूनी पोजीशन?
Crypto Currency : डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर वापस आने के बाद क्रिप्टोकरेंसी बाजार में नई रफ़्तार देखने को मिल रही है।
Crypto Currency : डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिकी राष्ट्रपति पद पर वापस आने के बाद क्रिप्टोकरेंसी बाजार में नई रफ़्तार देखने को मिल रही है। बिटकॉइन 90,000 डॉलर के करीब पहुंच गया है जबकि एक दिन पहले ही यह 80,000 डॉलर के पार पहुंचा था। 11 नवंबर को बिटकॉइन ने 89,623 डॉलर का अभूतपूर्व उच्च स्तर छुआ, और कई निवेशकों का अनुमान है कि यह नए रिकॉर्ड बना सकता है और संभवतः इसी साल के अंत तक 1,00,000 डॉलर तक पहुंच सकता है।
भारत के क्रिप्टो ट्रेडिंग के नियम
भारत के क्रिप्टोकरेंसी नियम काफी जटिल हैं। वैसे तो क्रिप्टोकरेंसी का व्यापार करना और इन्हें अपने पास रक्ल्हना कानूनी है लेकिन इन्हें लेनदेन के रूप में मान्यता नहीं दी गई है। इसका मतलब है कि लोग बिटकॉइन और एथेरियम जैसी डिजिटल प्रॉपर्टी खरीद और बेच सकते हैं, लेकिन उनका इस्तेमाल रोजमर्रा के लेन-देन के लिए नहीं कर सकते।
भारतीय रिज़र्व बैंक, वित्त मंत्रालय और भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) क्रिप्टो गतिविधियों की देखरेख करते हैं। 2018 में रिज़र्व बैंक ने क्रिप्टो लेनदेन के लिए बैंकिंग सहायता पर प्रतिबंध लगा दिया था, लेकिन मार्च 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे पलट दिया, जिससे क्रिप्टो एक्सचेंजों के लिए बैंकिंग सेवाएँ बहाल हो गईं।
क्रिप्टोकरेंसी पर टैक्स
2022 के केंद्रीय बजट के तहत, क्रिप्टोकरेंसी लेनदेन से होने वाली आय पर 30 प्रतिशत की एक समान दर से टैक्स लगाया जाता है, साथ ही सालाना 50,000 रुपये से अधिक के लेनदेन पर 1 प्रतिशत टीडीएस लगाया जाता है।
इन्क्सोमे टैक्स एक्ट की धारा 2(47ए) के तहत क्रिप्टोकरेंसी को "वर्चुअल डिजिटल एसेट्स" (वीडीए) के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जो गिफ्ट कार्ड या वाउचर को छोड़कर ज्यादातर क्रिप्टो परिसंपत्तियों को कवर करता है।
मार्च 2023 से क्रिप्टो एसेट्स को शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के अंतर्गत भी लाया गया है, जिसके तहत एक्सचेंजों और क्रिप्टो सर्विस प्रोवाइडर्स को केवाईसी आवश्यकताओं सहित मनी लांड्रिंग विरोधी कानूनों का अनुपालन करना आवश्यक है। इस काम का एन्फोर्समेंट वित्तीय खुफिया इकाई द्वारा की जाती है।
प्रस्तावित क्रिप्टोकरेंसी विनियमन विधेयक
क्रिप्टोकरेंसी और आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक, 2021 का उद्देश्य रिज़र्व बैंक द्वारा जारी केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) के लिए प्लेटफार्म तैयार करते हुए निजी क्रिप्टोकरेंसी पर प्रतिबंध लगाकर उद्योग को रेगुलेट करना है। विधेयक के पारित होने में देरी हुई है, जिससे कई नियामक पहलू अनसुलझे रह गए हैं।
विधेयक के मुख्या प्रस्तावों में मनी लांड्रिंग और धोखाधड़ी को कम करने के लिए निजी डिजिटल मुद्राओं को प्रतिबंधित करना शामिल है। विधेयक में भुगतानों को आधुनिक बनाने और लेनदेन को बढ़ाने के लिए सीबीडीसी की स्थापना का भी प्रस्ताव है। प्रस्तावित डिजिटल मुद्रा बोर्ड ऑफ इंडिया (डीसीबीआई) क्रिप्टो संबंधित नियमों की देखरेख करेगा। ई रुपी के तौर पर भारत में डिजिटल करेंसी एक ट्रायल के रूप में 1 दिसंबर, 2022 को पेश की गयी थी। इस पायलट प्रोजेक्ट में पाँच शहरों: मुंबई, नई दिल्ली, बेंगलुरु, भुवनेश्वर और चंडीगढ़ में चुनिंदा ग्राहक और व्यापारी शामिल हैं। ई-रुपी एक डिजिटल टोकन के रूप में कार्य करता है।
अमेरिकी में क्रिप्टो उत्साह
बिटकॉइन को अक्सर अमेरिका में एक "सुरक्षित संपत्ति" के रूप में वर्गीकृत किया जाता है, जो इसे प्रतिभूति रेगुलेशन से बचाता है। डोनाल्ड ट्रम्प के चुनाव अभियान में अमेरिका को ग्लोबल डिजिटल एसेट केंद्र के रूप में स्थापित करने और एक राष्ट्रीय बिटकॉइन रिजर्व विकसित करने के वादे शामिल थे। हालाँकि इसकी कोई योजना सामने नहीं आई है लेकिन ट्रम्प की जीत से लोगों और निवेशकों में उत्साह बढ़ा है, जिससे क्रिप्टो माइनिंग और ट्रेडिंग स्टॉक को बढ़ावा मिला है। बिटकॉइन में उछाल से क्रिप्टो बाजार के अन्य हिस्सों में भी तेजी आई है। ईथर और डॉगकॉइन जैसे छोटे टोकन में उछाल आया है।
क्रिप्टो निवेशकों को उम्मीद है कि अमेरिकी प्रतिभूति और विनिमय आयोग के अध्यक्ष गैरी जेन्सलर की जगह लेने के ट्रम्प के इरादे से अधिक सहज वातावरण बनेगा। ट्रम्प ने सितंबर में एक नया क्रिप्टो वेंचर, वर्ल्ड लिबर्टी फाइनेंशियल भी लॉन्च किया था।
बहरहाल, विश्लेषकों ने चेतावनी दी है कि क्रिप्टो बाजार बहुत अस्थिर बना हुआ है, इस्लिओये लोगों को सावधानी से और सोच समझ कर इधर का रुख करना चाहिए। विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि क्रिप्टो बाजार में तेज गिरावट के साथ-साथ लाभ की भी आशंका है।