Budget 2021: पटरी पर आयेगी अर्थव्यवस्था, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का वादा
अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2021-22 में भारत की विकास दर 11 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है लेकिन एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि अगर इस बजट में सरकार ने भारी मात्रा में खर्च नहीं बढ़ाया तो अर्थव्यवस्था को विकास के रास्ते पर वापस लाने में दिक़्क़त होगी।
नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वादा किया है कि इस बार का बजट का सबसे अलग होगा। इस सदी का सबसे बेहतर बजट होगा। कोरोना संकट के बीच केंद्रीय बजट ऐसे समय में पेश किया जाएगा जब आधिकारिक तौर पर भारत पहली बार आर्थिक मंदी के दौर से गुज़र रहा है। एक अनुमान है कि वित्त वर्ष 2020-21 का अंत अर्थव्यवस्था के 7.7 प्रतिशत तक सिकुड़ने के साथ पूरा होगा। ये हालात तब हैं जबकि भारत की अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे पटरी पर लौट रही है, भारत की अर्थव्यवस्था दुनिया की छठी सबसे बड़ी है।
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अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के अनुसार 2021-22 में भारत की विकास दर 11 प्रतिशत से अधिक होने की उम्मीद है लेकिन एक्सपर्ट्स ने चेतावनी दी है कि अगर इस बजट में सरकार ने भारी मात्रा में खर्च नहीं बढ़ाया तो अर्थव्यवस्था को विकास के रास्ते पर वापस लाने में दिक़्क़त होगी। बाजार में, लोगों के पास पैसा नहीं है सो सरकार नयी योजनायें लाकर जब तक खर्चे नहीं बढ़ाएगी तब तक हालात बदल नहीं पाएंगे।
बड़े फ़ैसलों का समय
सरकार को भी राजस्व बढ़ाना है और मुमकिन है कि ‘कोरोना टैक्स’ लगाया जाये। सीमित अवधि का ये टैक्स कॉर्पोरेट क्षेत्र के लिए हो सकता है। सरकार के सामने चुनौती कमज़ोर सरकारी स्वास्थ्य व्यवस्था का पुनर्निर्माण करना भी है। इसके अलावा किसानों का मसला, सीमाओं की सुरक्षा की चिंता है।
बेरोज़गारी की चुनौती
आर्थिक विशेषज्ञों के अनुसार सरकार के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक रोज़गार के नए अवसर पैदा करना है। 2012 में देश में बेरोज़गारी दर दो प्रतिशत थी लेकिन आज यह 9.1 प्रतिशत पहुँच चुकी है। इसकी बहुत बड़ी वजह कोरोना से उपजा आर्थिक संकट है। हालाँकि कोरोना से पहले ही बेरोजगारी 45 साल के रिकॉर्ड स्तर पर थी। महामारी के बाद और भी बिगड़ गयी है।
मंदी से उबरना है
कोरोना महामारी से हुए नुक़सान से उबरना और विकास दर को गति देना दूसरी सबसे बड़ी चुनौती है। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल का अनुमान है कि लॉकडाउन और महामारी के कारण भारत ने अपने सकल घरेलू उत्पाद का चार प्रतिशत खो दिया है। कई अर्थशास्त्रियों का मानना है कि महामारी से पहले अर्थव्यवस्था जहाँ थी, इसे वहां तक पहुँचने के लिए तीन साल तक निरंतर 8.5 प्रतिशत वृद्धि की ज़रूरत होगी।
आर्थिक विशेषज्ञों का तर्क है कि सरकार के लिए राजकोषीय अनुशासन के बारे में बहुत अधिक परवाह किए बिना बड़े पैमाने पर ख़र्च करने की ज़रूरत है। ग़रीबों और छोटे व्यवसाय वालों की जेब में पैसे आने चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल मई में 20 लाख करोड़ रुपये ख़र्च करने की घोषणा की थी और इसे स्टिमुलस पैकेज कहा था। जनधन और दूसरी योजनाओं के तहत सरकार ने हाशिये पर रह रहे ग़रीबों के खातों में कुछ पैसे डाले लेकिन इससे मांग बढ़ने वाली नहीं थी क्योंकि मदद की राशि बहुत कम थी और ये समाज के सभी ग़रीबों को नहीं मिली। छोटे व्यापारियों को कोई मदद नहीं मिली। बाद में बैंकों में नकदी तो आई लेकिन छोटे व्यापारियों को इतना नुक़सान हुआ था कि वो बैंकों से क़र्ज़ लेने की स्थिति में भी नहीं थे।
मूल न्यूनतम सार्वभौमिक आय
कुछ एक्सपर्ट्स का कहना है कि बुनियादी न्यूनतम सार्वभौमिक आय योजना को शुरू करने का ये सबसे अच्छा समय है। वैसे सरकार शहरी मनरेगा के रूप में ऐसी योजना शुरू कर सकती है। भारत के पास दुनिया के सबसे बड़े गारंटी देने वाले रोज़गार कार्यक्रम मनरेगा को लागू करने और इसे सालों से चलाने का अनुभव है और ये ऐसी योजना है जिसने ग़रीबी रेखा के नीचे से 17 करोड़ लोगों के जीवनस्तर को बेहतर करने योगदान दिया है। सो इस तरह की दूसरी योजना भी शुरू कर की जा सकती है।
इनकम टैक्स
रिपोर्टों से पता चलता है कि सरकार द्वारा आगामी बजट 2021-22 में आयकर स्लैब बरकरार रखने की संभावना है। इसका मतलब यह है कि व्यक्तिगत कर दरों में कोई भी परिवर्तन नहीं किया जाएगा। हालांकि, वित्त मंत्रालय बचत, स्वास्थ्य देखभाल और किफायती आवास को बढ़ावा देने के लिए कर छूट को कम करने पर विचार कर रहा है। यह ध्यान देने की बात है कि व्यक्तिगत कर के मोर्चे पर कोई बदलाव होगा क्योंकि सरकार ने 2020 में एक वैकल्पिक कर स्लैब संरचना पेश की थी जिसमें कम कर और कोई छूट नहीं थी।
वर्तमान में, 2.5 लाख तक की कर योग्य आय वाले लोगों के लिए कोई कर नहीं है, जबकि 2.5 -5 लाख रुपये के बीच के लिए 5%, 5-10 लाख वार्षिक आय समूह के लिए 20% और 10 लाख रुपये से अधिक आय वाले लोगों के लिए 30% है। नई कर व्यवस्था में कर की दरें थोड़ी अलग हैं।
स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा 25,000 रुपये से अधिक हो सकती है
वित्त मंत्रालय द्वारा टैक्स स्लैब के साथ छेड़छाड़ करने के बजाय लोगों को घर खरीदने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए कर राहत देने की संभावना है, खासकर किफायती खंड में। कथित तौर पर एफएम धारा 80C के तहत वर्तमान में 1.5 लाख रुपये तक की कटौती को बढ़ाकर दो लाख कर सकता है। स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती की सीमा 25,000 रुपये से अधिक हो सकती है।
विशेषज्ञ यह भी मांग करते हैं
विशेषज्ञ यह भी मांग करते हैं कि सामान्य व्यक्ति के मामले में आयकर छूट सीमा 2.5 से बढ़ाकर 5 लाख की जानी चाहिए, वरिष्ठ नागरिक के मामले में 3 से 6 लाख और सुपर वरिष्ठ नागरिक के मामले में 5 से 8 लाख होनी चाहिए। 10 लाख तक की आय के लिए 10%, 10-20 लाख तक आय के लिए 20% और 20 लाख से अधिक की आय के लिए 30% तक होनी चाहिए।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने 2021 के एक अभूतपूर्व बजट का वादा किया था लेकिन हालात को देखते हुए यह संभव नहीं दिखता क्योंकि उनके समक्ष तमाम चुनौतियां है। ऐसे परिदृश्य में, केंद्रीय बजट 2021-22 महामारी से पीड़ित आम आदमी को और अधिक राहत देने की इच्छा कर सकता है। लेकिन यह करना बेहद कठिन होगा।
कृषि सेक्टर पर फोकस
केंद्रीय बजट ऐसे समय में पेश किया जाने वाला है जब केंद्र सरकार की ओर से पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों ने दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाल रखा है और वे इन कानूनों की वापसी की मांग पर अड़े हुए हैं। ऐसे में हर किसी की नजर इस बात पर टिकी है कि किसानों को लेकर बजट में क्या घोषणा की जाती हैं। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के बड़े आंदोलन को देखते हुए माना जा रहा है कि सरकार किसानों के हित में कुछ बड़े उपायों की घोषणा कर सकती है।
2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय कर रखा है
सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का लक्ष्य तय कर रखा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर समय-समय पर इस बात पर जोर देते रहे हैं कि सरकार का लक्ष्य अगले साल तक किसानों की आय में दोगुना बढ़ोतरी करने का है। ऐसे में माना जा रहा है कि कृषि सेक्टर और किसानों को राहत पहुंचाने वाली बड़ी योजनाओं का एलान किया जा सकता है।
वित्त वर्ष 2021-22 में सरकार का फोकस कृषि और उससे जुड़े सेक्टर पर बने रहने की उम्मीद है। केंद्र सरकार किसानों की आय बढ़ाना चाहती है। किसान हितों के लिए समय-समय पर सरकार की ओर से घोषणाएं की जाती रही हैं। ऐसे में आने वाले बजट में भी कृषि क्षेत्र से जुड़े इंफ्रास्ट्रक्चर पर विशेष जोर दिया जा सकता है।
कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदलना होगा
इसके साथ ही ग्रामीण क्षेत्र के बुनियादी ढांचे से जुड़ी विभिन्न योजनाओं के लिए भी अतिरिक्त फंड का आवंटन किया जा सकता है। सरकार का मकसद इस आवंटन के जरिए कृषि क्षेत्र की तस्वीर बदलना होगा। भंडारण की सुविधा न होने के कारण किसानों को अभी तक काफी नुकसान उठाना पड़ता है। किसानों की ओर से भंडारण की सुविधाएं बढ़ाने की मांग कई बार की जा चुकी है ताकि सरप्लस उत्पादन होने पर उन्हें कृषि उत्पादों को औने-पौने दामों में बेचकर घाटा न उठाना पड़े। सरकार की ओर से किसानों की इस महत्वपूर्ण मांग को पूरा करने की दिशा में भी कदम उठाए जा सकते हैं।
सरकार ने वित्त वर्ष 2020-21 के बजट में कृषि क्षेत्र के लिए दो लाख करोड़ रुपए के प्रावधान किया था। इतनी बड़ी राशि का अधिकांश उपयोग नगद प्रोत्साहन और सब्सिडी के मद में ही किया गया है। कृषि सेक्टर के बुनियादी ढांचे से जुड़े विकास के लिए काफी कम फंड का आवंटन किया गया।
प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के जरिए किसानों की मदद की जा रही है
मौजूदा समय में सरकार की ओर से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना के जरिए किसानों की मदद की जा रही है। इस योजना के तहत किसानों को हर वित्त वर्ष में तीन किस्तों में 6000 रुपए की मदद दी जा रही है। सरकार का कहना है कि मदद की राशि छोटी जरूर है मगर इस राशि से किसान अपनी छोटी मोटी जरूरतें पूरी कर सकते हैं। छोटे किसानों को सरकार की मदद से फायदा पहुंचने के बात भी कहीं जा रही है। आने वाले दिनों में पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सहित कोई राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं।
सरकार की ओर से किसान हितैषी होने की छवि बनाने की कोशिश जरूर की जाएगी
ऐसे में सरकार की ओर से किसान हितैषी होने की छवि बनाने की कोशिश जरूर की जाएगी। यही कारण है कि माना जा रहा है कि बजट में कृषि सेक्टर और किसानों के लिए लोकलुभावन घोषणाएं की जा सकती हैं। किसानों को देश की तरक्की और विकास की रीढ़ माना जाता रहा है और किसान राजनीतिक दलों का भविष्य तय करने में भी बड़ी भूमिका निभाते रहे हैं। ऐसे में सरकार किसानों के लिए बड़ी घोषणाएं करके उनका दिल जीतने की कोशिश कर सकती है।
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मौजूदा समय का माहौल भी सरकार को किसानों के लिए बड़ी घोषणाएं करने के लिए मजबूर करेगा। सरकार की ओर से पारित नए कृषि कानूनों के खिलाफ तमाम किसान संगठन एकजुट हो गए हैं और उन्होंने सरकार के रवैये को किसान विरोधी बताते हुए बड़ा हमला बोला है। ऐसे माहौल में सरकार किसानों के लिए बड़ी घोषणाएं करके उनका दिल जीतने की कोशिश जरूर करेगी। इसके साथ ही खेती को देश की अर्थव्यवस्था का मजबूत आधार माना जाता रहा है। ऐसे में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण किसानों के लिए बड़ी घोषणाएं करके उनका समर्थन पाने की कोशिश कर सकती हैं।
रिपोर्ट- नीलमणि लाल
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