What is PMI: क्या है परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स, भारत ने अमेरिका और चीन को कैसे पछाड़ा ?
Definition of Purchasing Managers Index (PMI): परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) एक आर्थिक संकेतक है, जो विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की व्यापार गतिविधियों को दर्शाता है। हाल ही में, भारत ने पीएमआय (PMI) में अमेरिका और चीन को पीछे छोड़कर वैश्विक अर्थव्यवस्था में अपनी मजबूती साबित की है।;
Definition Of PMI (Photo Credit - Social Media)
What is PMI & Its Effects: भारत की अर्थव्यवस्था(Economy Of India) लगातार मजबूत हो रही है और कई वैश्विक आर्थिक संकेतकों में यह अन्य देशों को पीछे छोड़ रहा है। हाल ही में, भारत ने परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) के मामले में अमेरिका और चीन को भी पीछे छोड़ दिया है। यह उपलब्धि भारतीय अर्थव्यवस्था की तेजी से बढ़ती उत्पादन क्षमता, सेवा क्षेत्र की मजबूती और वैश्विक निवेशकों के बढ़ते विश्वास को दर्शाती है।
लेकिन सवाल यह है कि पीएमआय (PMI) क्या होता है? यह किसी देश की आर्थिक सेहत को कैसे दर्शाता है और भारत ने इसमें कैसे बढ़त हासिल की? इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स क्या है, यह कैसे काम करता है, और भारत के उच्च स्कोर के पीछे क्या कारण हैं।
परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) क्या है - Definition of Purchasing Managers' Index PMI
परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) किसी देश के विनिर्माण (मैन्युफैक्चरिंग) और सेवा (सर्विस) क्षेत्रों में व्यापार गतिविधियों का एक प्रमुख आर्थिक संकेतक है। यह इंडेक्स विभिन्न कंपनियों के खरीद प्रबंधकों (Purchasing Managers) से एकत्र किए गए सर्वेक्षणों पर आधारित होता है और किसी देश की आर्थिक वृद्धि या गिरावट का आकलन करता है।
PMI को 0 से 100 के पैमाने पर मापा जाता है:
- 50 से ऊपर का स्कोर:- अर्थव्यवस्था में विस्तार (विकास) हो रहा है।
- 50 से नीचे का स्कोर:- अर्थव्यवस्था संकुचन (गिरावट) की ओर है।
- 50 का स्कोर:- आर्थिक गतिविधियों में कोई बदलाव नहीं हुआ।
यह इंडेक्स विभिन्न व्यवसायों में नए ऑर्डर, उत्पादन, रोजगार, आपूर्ति वितरण और इन्वेंट्री स्तरों के आधार पर तय किया जाता है।
पीएमआय (PMI) की गणना कैसे की जाती है?(How to count PMI)
- पीएमआय (PMI) को पांच मुख्य घटकों के आधार पर तैयार किया जाता है:
- नए ऑर्डर (New Orders): यह दर्शाता है कि कंपनियों को कितने नए ऑर्डर मिले हैं और वे कितने बढ़े या घटे हैं।
- उत्पादन (Production): कंपनियों का कुल उत्पादन कैसा रहा?
- रोजगार (Employment): कंपनियों ने कितने नए कर्मचारियों को नियुक्त किया या निकाला?
- आपूर्ति वितरण (Supplier Delivery Time): माल और सेवाओं की आपूर्ति कितनी तेज या धीमी हुई?
- इन्वेंट्री स्तर (Inventory Levels): कंपनियों के पास कितना स्टॉक उपलब्ध है?
- इस डेटा को हर महीने कंपनियों के खरीद प्रबंधकों से एकत्र कर विश्लेषण किया जाता है और इसका औसत निकालकर PMI तैयार किया जाता है।
भारत ने अमेरिका और चीन को कैसे छोड़ा पीछे?
हाल ही में प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, भारत का पीएमआय (PMI) मैन्युफैक्चरिंग 56.5 और सर्विस सेक्टर पीएमआय ( PMI) 61.2 पर पहुंच गया, जो अमेरिका और चीन दोनों से अधिक है।
भारत की सफलता के पीछे मुख्य कारण:
1. मजबूत घरेलू मांग
- भारत में तेजी से बढ़ती मध्यवर्गीय आबादी के कारण उत्पादों और सेवाओं की मांग लगातार बढ़ रही है।
- ई-कॉमर्स और डिजिटल लेन-देन में बढ़ोतरी ने व्यापार गतिविधियों को बढ़ावा दिया।
- लोग अधिक खर्च कर रहे हैं, जिससे भारतीय कंपनियों को उत्पादन और सेवाओं में विस्तार करने का अवसर मिला।
2. सरकार की आर्थिक नीतियां और सुधार
- ‘मेक इन इंडिया’ और ‘प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI)’ जैसी सरकारी योजनाओं ने विनिर्माण क्षेत्र को मजबूती दी।
- एमएसएमइ (MSME)सेक्टर को दिए गए नए प्रोत्साहन से छोटे और मध्यम व्यवसायों को बढ़ावा मिला।
- GST और अन्य कर सुधारों ने व्यापार करने को आसान बनाया।
3. वैश्विक निवेश और FDI (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) का बढ़ना
- दुनिया की कई बड़ी कंपनियां चीन से भारत की ओर शिफ्ट हो रही हैं।
- इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा, ऑटोमोबाइल और टेक्सटाइल सेक्टर में विदेशी निवेश तेजी से बढ़ रहा है।
- एप्पल, टेस्ला और सैमसंग (Apple, Tesla and Samsung) जैसी कंपनियां भारत में अपने उत्पादन केंद्र स्थापित कर रही हैं।
4. विनिर्माण क्षेत्र में सुधार
- भारत अब ‘मेक इन इंडिया’ से ‘मेक फॉर द वर्ल्ड’ की ओर बढ़ रहा है।
- ऑटोमोबाइल, फार्मास्युटिकल, और टेक्सटाइल उद्योगों ने निर्यात में रिकॉर्ड वृद्धि दर्ज की है।
- सस्ते श्रम और उच्च दक्षता के कारण भारत एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनता जा रहा है।
5. सेवा क्षेत्र में मजबूती
- आईटी, बैंकिंग, और टेलीकॉम क्षेत्रों ने अच्छी वृद्धि दर्ज की।
- बिजनेस प्रोसेस आउटसोर्सिंग (BPO) और डिजिटल सेवाओं की मांग तेजी से बढ़ी।
- भारत के स्टार्टअप इकोसिस्टम में झोमाटो, बैजूज और पेटिम (Zomato, Byju’s, and Paytm) जैसी कंपनियों की सफलता ने निवेशकों का भरोसा बढ़ाया।
6. चीन की आर्थिक मंदी और अमेरिका की बढ़ती महंगाई
- चीन की अर्थव्यवस्था संकट में है, जिससे कई कंपनियां चीन से उत्पादन हटाकर भारत में ला रही हैं।
- अमेरिका में बढ़ती महंगाई और ब्याज दरों के कारण वहां की अर्थव्यवस्था धीमी पड़ रही है।
- भारत की स्थिर मुद्रास्फीति और मजबूत उपभोक्ता मांग ने इसे निवेशकों के लिए एक आकर्षक गंतव्य बना दिया है।
भारत के लिए पीएमआय(PMI)में बढ़त के फायदे
- नए निवेशकों का आकर्षण: वैश्विक निवेशक भारत में अधिक पूंजी निवेश करने के लिए प्रेरित होंगे।
- रोजगार के अवसर: नए उद्योग और व्यवसाय खुलने से नौकरियों की संख्या में वृद्धि होगी।
- आर्थिक स्थिरता: भारत का आर्थिक विकास लंबे समय तक मजबूत बना रहेगा।
- रुपए की मजबूती: मजबूत PMI डेटा से भारतीय रुपये को भी स्थिरता मिलेगी।
- निर्यात में वृद्धि: भारत अब एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है, जिससे निर्यात में बढ़ोतरी होगी।
चुनौतियाँ और आगे की राह
हालांकि भारत की पीएमआय(PMI) रैंकिंग उत्साहजनक है, लेकिन कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- कच्चे माल की बढ़ती लागत
- वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान
- ऊर्जा संकट और महंगे ईंधन की समस्या
इन चुनौतियों से निपटने के लिए सरकार को टेक्नोलॉजी और इनोवेशन पर ध्यान केंद्रित करना होगा, ताकि उत्पादन की लागत कम हो और अर्थव्यवस्था सतत रूप से बढ़ती रहे।
भारत का परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (PMI) अमेरिका और चीन से आगे निकलना भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह दर्शाता है कि भारत न केवल एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था है, बल्कि दुनिया के प्रमुख आर्थिक केंद्रों में से एक बनने की राह पर है। यदि सरकार सही नीतियों और आर्थिक सुधारों को जारी रखती है, तो भारत आने वाले वर्षों में वैश्विक व्यापार और विनिर्माण का एक बड़ा हब बन सकता है।
इस सफलता का सीधा असर आम जनता पर भी पड़ेगा जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, जीवन स्तर सुधरेगा और भारत की आर्थिक ताकत विश्व पटल पर और अधिक मजबूत होगी।