Crude Oil Price: सऊदी अरब ने दाम बढ़ाये, क्रूड ऑयल नई ऊंचाई पर, बढ़ सकते हैं पेट्रोल-डीजल के दाम

Crude Oil Price Hike: विश्व की सबसे बड़ी तेल निर्यातक कंपनी सऊदी अरामको (Saudi Aramco) ने एशियाई और यूरोपीय ग्राहकों के लिए कच्चे तेल (Crude Oil) की कीमतों को बढ़ा दिया है।

Report :  Neel Mani Lal
Update:2022-06-07 11:45 IST

Crude Oil Price (Image Credit : Social Media)

Crude Oil Price : दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक सऊदी अरब (Saudi Arab) के अरामको (Aramco) ने एशिया, उत्तर-पश्चिमी यूरोप और भूमध्य सागर में ग्राहकों के लिए क्रूड ऑयल की कीमतों में बढ़ोतरी (Crude Oil Price Hike) की है। लेकिन अमेरिका (America) के लिए कीमतें नहीं बढ़ाई गईं हैं।

अरामको ने एशिया के लिए अपने प्रमुख अरब लाइट क्रूड ऑयल की कीमत बढ़ा दी। इस तेल का सबसे बड़ा ग्राहक आधार एशिया में ही स्थित है। भले ही अमेरिका के लिए अरामको की कीमतें अपरिवर्तित बनी हुई हैं, लेकिन अन्य बाजारों के लिए इसकी बढ़ोतरी अंतरराष्ट्रीय बाजारों में उपभोक्ता मुद्रास्फीति को और आगे ले गई है। यूएस बेंचमार्क वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट अभी से ही 1.8 फीसदी बढ़ कर तीन महीने के उच्च स्तर पर पहुंच गया है। जबकि ब्रेंट क्रूड ऑयल (Brent Crude Oil) फ्यूचर्स भी एशिया में 2 फीसदी तक बढ़ गया।

पेट्रोलियम निर्यातक देशों के संगठन और उसके सहयोगियों (ओपेक+) द्वारा जुलाई और अगस्त में प्रति दिन 648, 000 बैरल प्रति दिन उत्पादन बढ़ाने के निर्णय के बावजूद अरामको की कीमतों में बढ़ोतरी हुई है। ये प्रोडक्शन बढ़ने से कीमतें घटने की संभावनाओं पर ब्रेक लगाने जैसा है। ओपेक प्लस देशों से प्रोडक्शन बढ़ाने का आग्रह इसीलिए किया जा रहा था ताकि बाजार में कीमतें घटें। वैसे भी, ओपेक प्लस द्वारा बढ़ा हुआ उत्पादन प्रतिबंधों और बहिष्कार के कारण वैश्विक बाजार से रूसी तेल की बंदी को कवर करने के लिए पर्याप्त नहीं है।

एक्सपर्ट्स का कहना है कि अरामको की कीमतों में बढ़ोतरी तेल मजबूत मांग की ओर इशारा करती है, विशेष रूप से एशिया के लिए, जहां महामारी लॉकडाउन में ढील दी जा रही है। सऊदी और संयुक्त अरब अमीरात जितना प्रोडक्शन बढ़ा रहे हैं वह तेल की कीमतों पर काबू पाने के लिए पर्याप्त आपूर्ति बढ़ाने के लिए बहुत कम है।

रूस का एक्सपोर्ट शीर्ष स्तर पर

रूस का तेल निर्यात छह सप्ताह के उच्च स्तर पर पहुंच गया है, लेकिन उसे मुनाफा कम हो रहा है क्योंकि एशियायी खरीदार डिस्काउंट पर कच्चे तेल की खरीदारी कर रहे हैं।।ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, 3 जून तक समुद्री मार्ग से रूस की कच्चे तेल की शिपमेंट अप्रैल के बाद से उच्चतम दर पर पहुंच गई। लेकिन कुल राजस्व में 9 मिलियन डॉलर या लगभग 5 फीसदी की गिरावट आई है। रूस से भेजे जाने वाले कुल मात्रा में 3 जून तक की वृद्धि हुई और रूसी जहाजों ने औसतन 3.94 मिलियन बैरल एक दिन में शिपमेंट किया जो 27 मई को समाप्त सप्ताह की तुलना में लगभग 10 फीसदी ज्यादा है।

भारत की खरीद

भारत ने विशेष रूप से रूसी तेल की अपनी खरीद बढ़ा दी है। मई के दौरान, भारतीय बंदरगाहों ने अप्रैल में 270,000 बैरल की तुलना में लगभग 660,000 बैरल रूसी तेल पाया। एक नए समझौते के तहत, भारत और भी अधिक रूसी तेल आयात करने पर विचार कर सकता है क्योंकि सरकारी रिफाइनर रूस के रोसनेफ्ट पीजेएससी से सीधे छूट लेना चाहते हैं।

नए तरीके

प्रतिबंधों और युद्ध से बचने के लिए अधिक से अधिक व्यापारी कच्चे तेल के प्रवाह को बनाए रखने के लिए रचनात्मक तरीके विकसित कर रहे हैं। मई में अटलांटिक महासागर के मध्य में एक दुर्लभ गतिविधि देखी गई। इसमें जहाज-से-जहाज कार्गो स्थानांतरण हुआ। ऐसा ट्रांसफर आमतौर पर समुद्र के बीच में नहीं किया जाता है। विश्लेषकों का कहना है कि जैसे-जैसे रूसी कच्चे तेल और उत्पादों के लिए सामान्य व्यापार मार्ग बंद हो रहे हैं, और जैसे-जैसे खरीदारी तेजी से दंडित और बदनाम होती जा रही है, इससे आने वाले महीनों में और अधिक छल और अस्पष्टता देखने की उम्मीद करनी चाहिए। यानी तेल विक्रेता और खरीदार और नायाब तरीके अपनाएंगे।

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