भारत बंद के असर पर कैट का ये दावा, सीमाएं सील से दिल्ली के कारोबार को लगी 300 करोड़ की चपत

Bharat bandh Cait: कैट का दावा है किसानों के प्रदर्शन ने दिल्ली में व्यापार को प्रभावित किया है। इससे अब तक लगभग 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

Report :  Viren Singh
Update:2024-02-16 18:46 IST

Bharat bandh Cait (सोशल मीडिया)  

Bharat bandh on Cait: कनफ़ेडरेशन ऑफ़ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (कैट) ने दावा है कि किसान संगठनों द्वारा शुक्रवार को बुलाए गए भारत बंद का असर ज्यादा नहीं दिखा। कैट की अपील पर देश भर के व्यापारियों ने अपने प्रतिष्ठान खोले और बाज़ारों में सामान्य रूप से कारोबार हुआ। भारत बंद का बाज़ारों में कोई प्रभाव नहीं दिखा। हालांकि दिल्ली कूच के लिए हरियाणा के शंभू बार्डर पर डटे हुए किसानों के प्रदर्शन की वजह से दिल्ली की सारी सीमाएं सील होने से राजधानी दिल्ली के कारोबार को काफी प्रभावित किया है।

दिल्ली को लगी 300 करोड़ की चपत 

कैट का दावा है किसानों के प्रदर्शन ने दिल्ली में व्यापार को प्रभावित किया है। इससे अब तक लगभग 300 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। आस-पास के राज्यों से दिल्ली के लिए खरीदारी करने के लिए प्रतिदिन आमतौर पर लगभग 5 लाख व्यापारिय अन्य राज्यों से दिल्ली ख़रीददारी करने आते हैं, जो अब पिछले तीन दिनों से दिल्ली नहीं आ रहे हैं ।

इन जगहों के व्यापार को भी बड़ा नुकसान

इसके अलावा, रोड ब्लॉक क्षेत्रों के पास स्थित दुकानों को व्यापार का बहुत बड़ा नुकसान हो रहा है, क्योंकि हाईवे ब्लॉक न केवल ग्राहकों को प्रभावित करता है बल्कि लॉजिस्टिक कार्यों को भी प्रभावित करती है।

समाधान निकालते रखें उपभोक्ताओं के हितों का ध्यान

कैट के राष्ट्रीय अध्यक्ष बी सी भरतिया एवं राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल ने कहा कि यह सत्य है कि देश भर में बड़ी संख्या में किसान नुक़सान की खेती कर रहा है, तो मूल प्रश्न यह है कि किसान की नुक़सान की खेती को लाभ में कैसे बदला जाये। सरकार और किसानों के बीच बातचीत इस मुख्य बिंदु पर होनी चाहिए और कोई भी फ़ार्मूला निकालते समय अर्थव्यवस्था के अन्य वर्गों एवं उपभोक्ताओं के हितों को भी ध्यान में रखा जाना आवश्यक है।

किसान अन्नदाता है तो व्यापारी भी करदाता

उन्होंने कहा कि वर्तमान में किसानों की जो मांगे है, यदि उनको पूरा किया गया तो अर्थव्यवस्था पर क्या विपरीत प्रभाव अथवा वित्तीय बोझ पड़ेगा, उस पर भी ध्यान दिया जाना जरूरी है। खंडेलवाल ने किसानों को एकमात्र प्रदाता (अन्नदाता) के रूप में चिह्नित करने पर कहा कि यदि किसान अन्नदाता है तो व्यापारी भी करदाता है जिनका राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। व्यापारियों का राष्ट्रीय खजाने में योगदान कभी भी कम नहीं आंका जाना चाहिए।

सहमतिजनक समाधान में काम की सलाह

दोनों व्यापारी नेताओं ने कहा कि ऐसे समय में जब सरकार और किसान नेताओं के बीच बातचीतों के बीच किसी भी प्रकार के बंद का कोई औचित्य नहीं है। उन्होंने कहा कि उन्हें सरकार से पूरी उम्मीद है कि वो इस समस्या का सर्वमान्य हल अवश्य निकलेगी। कैट ने किसानों की समस्या को शांतिपूर्ण बातचीत के लिए अपनी पुनः आवाज को दोहराया और सभी संबंधित पक्षों को सहमतिजनक समाधान की दिशा में काम करने की सलाह दी है।

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