Dollar vs Rupee: डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरावट से नहीं होता है खाली नुकसान, जानिए इकॉनमी को कैसे मिलता है फ़ायदा
Dollar vs Rupee: ऐसा नहीं है कि केवल रूपये के कमजोर होने से नुकसान ही होता है। कुछ सेक्टर को इससे फायदा भी पहुंचता है।
Dollar vs Rupee: रूपये के लगातार टूटने से देश में हाहाकार मचा हुआ है। मंगलवार को जब बाजार खुला तो एक डॉलर का मूल्य 80.01 रूपये हो गया था। डॉलर के मुकाबले रूपये का ये अब तक का रिकॉर्ड गिरावट है। रूपये के लगातार कमजोर होने से देश में महंगाई के बढ़ने की संभावना (Inflation likely to rise) भी अधिक हो गई है। क्योंकि भारत एक आयातक देश है, जहां अधिकतर उत्पाद विदेशों से आयात किए जाते हैं। ऐसे में रूपये की कमजोरी भारत के लिए चिंता का सबब है।
लेकिन ये सिर्फ सिक्के का एक पहलू है, रूपये के कमजोर होने का दूसरा पहलू भी है। ऐसा नहीं है कि केवल रूपये के कमजोर होने से नुकसान ही होता है। कुछ सेक्टर को इससे फायदा भी पहुंचता है। तो आइए जानते हैं कि ऐसे कौन से सेक्टर हैं, जो रूपये में गिरावट से लाभान्वित होते हैं –
निर्यातकों को लाभ (benefits to exporters)
मुद्रा में गिरावट किसी देश के लिए जरूरी एक बुरी खबर है मगर निर्यात आधारित सेक्टर्स को इससे फायदा मिलता है। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था यूएसए की करेंसी यूएस डॉलर को लगभग तमाम देश स्वीकार करते हैं, इसलिए दुनिया का 80 प्रतिशत व्यापार अमेरिकी डॉलर में होता है। इसलिए देश के निर्यातकों को फायदा होगा, क्योंकि पेमेंट डॉलर में मिलेगा, जिसे वह रूपये में बदलकर अधिक कमाई कर सकेंगे।
रूपये में गिरावट से विदेशी आयतकों को एक डॉलर के मुकाबले अधिक रूपये मिलते हैं, जिससे वे और ज्यादा आयात करते हैं और भारत का निर्यात बढ़ता है जिससे देश का भुगतान संतुलन सुधरता है, जिससे अंततः फायदा इकॉनमी को होता है।
पर्यटन क्षेत्र को फायदा (tourism sector benefits)
जिन देशों की करेंसी का मूल्य डॉलर के मुकाबले घट रहा है, वहां विदेशी पर्यटकों की संख्या में जोरदार वृद्धि देखी जाती रही है। विदेशी पर्यटकों को कम कीमत में अधिक घरेलू करेंसी मिलेगी और यात्रा का खर्च कम हो जाएगा इससे देश का विदेश मुद्रा भंडार भी बढ़ता है। हालांकि डॉलर के मुकाबले रूपये में कमजोरी भारतीय पर्यटकों के लिए झटका है, क्योंकि विदेश घूमने का पैकेज दिनों दिन महंगा होता जा रहा है।
आईटी –फार्मा सेक्टर के लिए अच्छे दिन
रूपये में गिरावट का दौर आईटी – फार्मा सेक्टर के लिए किसी अच्छे दिन से कम नहीं है। सॉफ्टवेयर सर्विसेज एक्सपोर्ट से आईटी उद्योग को फायदा होगा क्योंकि उन्हें अब निर्यात करने पर जो डॉलर मिल रहे हैं उनकी वैल्यू दिनों दिन बढ़ती जा रही हैं। वहीं फार्मा कंपनियां भी अपने उत्पाद को निर्यात कर भारी मुनाफा कमा रही हैं। इसके अलावा यदि कोई एनआरआई पैसा देश में किसी अपने को भेजता है तो उसका फायदा होगा और साथ ही देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ेगा।
रूपये के कमजोर होने से नुकसान
भारत अपनी जरूरत का 83 प्रतिशत पेट्रोलियम उत्पाद आयात करता है। रूपये में गिरावट से पेट्रोलियम उत्पादों का आयात महंगा हो जाएगा। इससे भुगतान संतुलन बिगड़ता है और चालू खाता बढ़ जाता है। कच्चे तेल के महंगे आयात से देश पेट्रोल–डीजल के दाम बढ़ंगे, जो आखिरकार महंगाई को बढ़ाएगी। इसके अलावा रूपये के कमजोर होने से भारतीयों के लिए विदेश में पढ़ना और घूमना भी काफी मंहगा हो जाएगा।