ईडी का बड़ा एक्शन...20 हजार करोड़ के मनी लॉन्ड्रिंग मामले में एमटेक ग्रुप के 35 ठिकानों पर पड़ी रेड

ED Raids: ईडी की छापेमारी एमटेक समूह और उसके निदेशकों, जिनमें अरविंद धाम, गौतम मल्होत्रा और अन्य शामिल हैं, पर की गई।

Report :  Viren Singh
Update:2024-06-20 15:11 IST

ED Raids (सोशल मीडिया) 

ED Raids: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने गुरुवार को दिल्ली-एनसीआर, मुंबई और नागपुर में करीब 35 परिसरों की तलाशी ली। यह छापेमारी एक कंपनी और उसके प्रमोटरों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग जांच के तहत की गई। इन प्रमोटरों पर 20,000 करोड़ रुपये से अधिक के कथित बैंक ऋण धोखाधड़ी को अंजाम देने का आरोप है।

एमटेक समूह और उसके निदेशकों के ठिकानों पर रेड

सूत्रों के मुताबिक, ईडी की छापेमारी एमटेक समूह और उसके निदेशकों, जिनमें अरविंद धाम, गौतम मल्होत्रा और अन्य शामिल हैं, पर की गई। जांच एजेंसी ने आज सुबह इन निदेशकों के दिल्ली, गुरुग्राम, नोएडा, मुंबई और नागपुर में करीब 35 व्यावसायिक और आवासीय परिसरों पर छापे मारे गए हैं। उन्होंने बताया कि यह जांच एमटेक की एक समूह इकाई- एसीआईएल लिमिटेड के खिलाफ सीबीआई की एफआईआर से शुरू हुई है। मिली जानकारी के मुताबित इस एफआईआर में कुछ सूचीबद्ध कंपनियों में 20,000 करोड़ रुपये से अधिक की बैंक धोखाधड़ी का आरोप है। इन कंपनियों को एनसीएलटी की कार्यवाही में नाममात्र की कीमत पर अधिग्रहित कर लिया गया था। इससे बैंकों के समूह को नाममात्र की वसूली ही मिली। सूत्रों की मानें तो सुप्रीम कोर्ट ने भी ईडी जांच की मांग की थी।

इसलिए हथियाया गया बैंक से पैसा

ईडी के अनुसार, इससे सरकारी खजाने को लगभग ₹10,000- ₹15,000 करोड़ का नुकसान हुआ है। ईडी का मानना है कि ऋण राशि को रियल एस्टेट, विदेशी निवेश और नए उपक्रमों में निवेश करने के लिए हथियाया गया। समूह ने फर्जी बिक्री, पूंजीगत संपत्ति, देनदार और लाभ दिखाए गए ताकि अधिक ऋण प्राप्त किया जा सके और इसे गैर-निष्पादित परिसंपत्ति (एनपीए) के रूप में टैग न किया जाए। यह आरोप लगाया गया है कि सूचीबद्ध कंपनियों के शेयरों में हेरफेर और "धांधली" की गई थी और उनके वित्तीय विवरणों को ऑडिटर और पेशेवरों की मिलीभगत से बड़े ऋण हासिल करने के लिए "विंडो-ड्रेस्ड" किया गया था।

हजारों करोड़ रुपये शेल कंपनियों को ट्रांसफर

ईडी ने पाया कि हजारों करोड़ की संपत्ति कथित तौर पर शेल कंपनियों को हस्तांतरित की गई थी। इसके अतिरिक्त, कई विदेशी संपत्तियां कथित तौर पर स्थापित की गईं और बेनामी निदेशकों और शेयरधारकों का उपयोग करके नई पहचान के तहत कथित तौर पर अभी भी धन छिपाया गया है।

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