अरुण जेटली ने कहा- देश की आर्थिक रफ्तार 2016-17 में धीमी पड़ी

सरकार ने भी अब यह बात स्वीकार कर ली है कि 2016-17 में देश की विकास दर धीमी हुई है। शुक्रवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह बात लोकसभा में कही कि भारत की जीडीपी 2015-16 में 8 प्रतिशत की तुलना में 2016-17 में गिरकर 7.1 प्रतिशत रह गई है। आर्थिक रफ्तार धीमी होने के कारण औद्योगिक क्षेत्र और सेवा क्षेत्र की रफ्तार भी धीमी रही।

Update:2017-12-30 14:14 IST

नई दिल्ली: सरकार ने भी अब यह बात स्वीकार कर ली है कि 2016-17 में देश की विकास दर धीमी हुई है। शुक्रवार को वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यह बात लोकसभा में कही कि भारत की सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 2015-16 में 8 प्रतिशत की तुलना में 2016-17 में गिरकर 7.1 प्रतिशत रह गई है। आर्थिक रफ्तार धीमी होने के कारण औद्योगिक क्षेत्र और सेवा क्षेत्र की रफ्तार भी धीमी रही।

वित्त मंत्री ने लोकसभा के अपने संबोधन में कहा कि 2016 में वैश्विक आर्थिक वृद्दि की रफ्तार धीमी रही है। इसी के साथ-साथ जीडीपी के मुकाबले कम स्थायी निवेश, कॉर्पोरेट सेक्टर की बैलेंसशीट का दबाव में बने रहना, औद्योगिक क्षेत्र की क्रेडिट ग्रोथ में गिरावट और कई ऐसे कारण रहे हैं जिनकी वजह से इस वित्तीय वर्ष में आर्थिक वृद्दि धीमी रही है।

केंद्रीय सांख्यिकी कार्यालय के हाल के आंकड़ों की बात की जाए तो भारत की GDP वृद्दि दर 2014-15 में 7.5 प्रतिशत, 2015-16 में 8 प्रतिशत और 2016-17 में 7.1 प्रतिशत रही है। वहीं वित्त वर्ष 2017-18 की पहली तिमाही में GDP 5.7 प्रतिशत रही और दूसरी तिमाही में यह 6.3 प्रतिशत रही है।

अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में करेंगे मदद

वित्त मंत्री ने कहा, अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) के अनुमानित स्लोडाउन के बावजूद, 2016 में भारत की अर्थव्यवस्था ने सबसे तेज़ी से वृद्दि की और 2017 में भी सबसे तेज़ी से बढ़ रही दूसरी अर्थव्यवस्था है। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि अर्थव्यवस्था के सुधार के लिए कई कदम उठाए हैं, विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना, FDI नीति में सुधार और वस्त्र उद्द्योग के लिए स्पेशल पैकेज देना, परिवहन एवं ऊर्जा क्षेत्र के साथ-साथ शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्र के इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए ठोस उपाय करना आदि ऐसे कदम हैं जो अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने में मदद करेंगे।

50 हज़ार करोड़ कर्ज लेने की घोषणा

एक तरफ जहां सरकार ने अर्थव्यवस्था को गति प्रदान करने के कदम गिनाए। वहीं दूसरे तरफ उसने बुधवार को 50 हज़ार करोड़ रुपए का कर्ज लेने की घोषणा की। इसलिए ये अनुमान लगाया जा रहा है कि सरकार वित्तीय घाटे को 2018 में 3.2 प्रतिशत पर लाने के अपने लक्ष्य से चूक सकती है। साथ ही RBI के कर्ज सस्ता करने की भी उम्मीद कम है। यदि कम दर पर निवेशकों को कर्ज नहीं मिलता है तो इस बात की उम्मीद कम ही है कि वह महंगी दर पर कर्ज लेकर निवेश करेंगे।

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