McKinsey report: सिर्फ 33 साल और भारत हो जाएगा बुजुर्ग

McKinsey report: रिपोर्ट के अनुसार,भारत के पास आर्थिक विकास के लिए अपनी आबादी से फायदा उठाने के लिए अभी भी कुछ समय है, लेकिन यह अपेक्षा से कहीं ज्यादा तेज़ी से बूढ़ा हो रहा है।;

Written By :  Neel Mani Lal
Update:2025-01-17 14:04 IST

सिर्फ 33 साल और भारत हो जाएगा बुजुर्ग   (photo: social media)

McKinsey report: भारत युवा देश है लेकिन जवानी हमेशा बरकरार नहीं रहती। देशों के साथ भी ऐसा ही होता है। भारत भी बुजुर्ग होने की राह पर है और बुजुर्ग होने में 33 साल बाकी हैं।

मैककिंसे एंड कंपनी की नवीनतम रिपोर्ट में पाया गया है कि भारत के पास 2050 तक एडवांस्ड अर्थव्यवस्थाओं के बराबर 'बूढ़ा' होने में सिर्फ़ 33 साल बाकी हैं। अनुमान है कि भारत एडवांस्ड अर्थव्यवस्थाओं के समान ही समर्थन अनुपात तक पहुँच जाएगा। समर्थन अनुपात प्रति 65 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के लोगों पर काम करने की आयु वाले व्यक्तियों की संख्या को कहते हैं।

क्या कहती है रिपोर्ट

रिपोर्ट के अनुसार,भारत के पास आर्थिक विकास के लिए अपनी आबादी से फायदा उठाने के लिए अभी भी कुछ समय है, लेकिन यह अपेक्षा से कहीं ज्यादा तेज़ी से बूढ़ा हो रहा है। बहुत तेज़ प्रगति के बावजूद, भारत अभी भी कम आय वाला देश है, इसलिए इसे बूढ़े होने से पहले अमीर बनने की ज़रूरत है। रिपोर्ट कहती है कि भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी आज विश्व बैंक की उच्च आय सीमा का सिर्फ़ 18 प्रतिशत है।


धीमी आर्थिक वृद्धि

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के जनसांख्यिकीय बदलाव का पहला परिणाम धीमी आर्थिक वृद्धि होगी, क्योंकि 1997 से 2023 तक भारत की लाभकारी जनसांख्यिकी ने प्रति व्यक्ति जीडीपी ग्रोथ में प्रति वर्ष 0.7 प्रतिशत अंक जोड़े। लेकिन 2050 तक यह लाभ घटकर प्रति वर्ष केवल 0.2 प्रतिशत अंक रह जाएगा।

दूसरा परिणाम पब्लिक फाइनेंस और परिवारों पर वृद्ध लोगों का सपोर्ट करने का दबाव होगा। आज भारत में 65 वर्ष या उससे अधिक उम्र के प्रत्येक वरिष्ठ नागरिक के लिए 10 कामकाजी आयु के लोग (15 से 64 वर्ष) हैं। 1997 में ये संख्या 14 थी। 2050 तक वर्तमान अनुमानों के अनुसार प्रति वरिष्ठ नागरिक केवल 4.6 कामकाजी लोग होंगे और 2100 तक सिर्फ 1.9 होंगे। आज जापान में यही अनुपात है।


क्या करना होगा

- रिपोर्ट ने कहा है कि भारत को श्रम बाजारों में अपने नागरिकों की अपेक्षाकृत कम भागीदारी को बढ़ाने और तेजी से प्रोडक्टिविटी ग्रोथ को बनाए रखने की जरूरत है।

-भारत में 20 से 49 वर्ष की उम्र कैटेगरी वाली श्रम शक्ति में महिला भागीदारी तुलनात्मक रूप से कम है। भारत में ये 29 प्रतिशत है जबकि कई उभरती अर्थव्यवस्थाओं में 50 से 70 प्रतिशत, और उच्च आय वाले देशों में औसतन 74 प्रतिशत है। सो, महिला भागीदारी को बढ़ाने के लिए भारत के पास एक बड़ा मौका है।

- पिछले दशकों में तेज़ वृद्धि के बावजूद, श्रमिक उत्पादकता अभी भी 9 डॉलर प्रति घंटा है, जबकि उच्च आय वाले देशों में यह औसतन 60 डॉलर है, इसलिए देश के पास इनोवेशन, इनवेस्ट और टेक्नोलॉजी अपनाने के ज़रिए काफ़ी मार्जिन है।

- भारत में वैश्विक खपत का 9 प्रतिशत हिस्सा है, 2050 में इसके बढ़कर 16 प्रतिशत होने की उम्मीद है। जबकि एडवांस्ड अर्थव्यवस्थाओं में हिस्सेदारी स्थिर या घटने की उम्मीद है।


- रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के भीतर, श्रम और उपभोग पैटर्न भी बदलेंगे। अगर उम्र के लिहाज से भागीदारी स्थिर रहती है, तो सीनियर सिटीजन और वृद्धों द्वारा काम किए जाने वाले घंटों का प्रतिशत 2.9 प्रतिशत से बढ़कर 5.4 प्रतिशत हो जाएगा। अगर सीनियर सिटीजन अपनी भागीदारी बढ़ाते हैं, तो यह और भी बढ़ जाएगा। इससे 65 और उससे अधिक उम्र के लोगों द्वारा खपत 8 प्रतिशत से बढ़कर 15 प्रतिशत हो जाएगी।

Tags:    

Similar News