Good News : रेटिंग एजेंसी Moody's का अनुमान, मौजूदा वित्त वर्ष में 9.5 प्रतिशत रह सकता है भारत का GDP
मूडीज ने कहा, कोरोना महामारी (corona pandemic) तथा इसकी दूसरे लहर के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी के साथ रिकवर कर रही है। कहने के मतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है।
Good News : एक तरफ हालिया वैश्विक संकट तथा रूस के यूक्रेन पर हमले के कारण जहां चारों और तनाव का माहौल है। दुनियाभर के शेयर बाजार इस दबाव को नहीं झेल पा रहे हैं और लगातार गिरावट से जूझ रहे हैं। कच्चे तेल की कीमतें प्रति बैरल 100 डॉलर के करीब जा पहुंची हैं, जिससे एक बार फिर आने वाले दिनों में महंगाई बढ़ने का खतरा बढ़ गया है। ऐसे में भारत के लिए एक अच्छी खबर आई है।
दरअसल, अंतरराष्ट्रीय रेटिंग एजेंसी (International Rating Agency) मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) ने मौजूदा वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का विकास दर 9.5 प्रतिशत रहने का अनुमान जाहिर किया है। बता दें, कि पहले रेटिंग एजेंसी ने यह दर 7 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया था।
भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर
रेटिंग एजेंसी मूडीज ने अपने ग्लोबल मेट्रो आउटलुक (Global Metro Outlook) 2022 23 रिपोर्ट (Report) में कहा है कि कोरोना महामारी (corona pandemic) तथा इसकी दूसरे लहर (corona second wave) के बाद भारतीय अर्थव्यवस्था (Indian Economy) तेजी के साथ रिकवर कर रही है। कहने के मतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था तेजी से पटरी पर लौट रही है।
RBI के अनुमान से भी ज्यादा ग्रोथ रेट
मूडीज (Moody's) ने वित्त वर्ष 2022 23 में भारतीय अर्थव्यवस्था के 8.4 प्रतिशत की दर से विकास करने का अनुमान जाहिर किया है। वहीं, मूडीज का ये भी कहना है, कि यह भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) के अनुमान से 60 बेसिस प्वाइंट (basis point) ज्यादा है। यहां आपको बता दें, कि RBI ने भारतीय अर्थव्यवस्था के 2022- 23 में 7.8 फीसद की दर से विकास करने का अनुमान जताया है।
..तो ये डाल सकता है नकारात्मक प्रभाव
मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस (Moody's Investors Service) के अनुसार, भारत में सेल्स टैक्स कलेक्शन (sales tax collection) में हालिया समय में तेजी देखने को मिल रही है। रिटेल एक्टिविटी बड़ी है। साथ ही, पीएमआई (Purchasing Manager Indices) में सुधार हुआ है। हालांकि, मूडीज ने अपनी इस रिपोर्ट में कहा है, कि ईंधन की बढ़ती कीमतें और सप्लाई में रुकावट के चलते अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक असर भी पड़ सकता है।