Hindenburg Report: अडानी की कंपनियों में निवेश को लेकर घिरीं सेबी चीफ, माधबी पुरी ने रिपोर्ट को किया खारिज

Hindenburg Report: सेबी चीफ माधबी पुरी बुच ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-08-11 09:06 IST

Hindenburg Report (Pic: Social Media)

Hindenburg Report: अमेरिकी शॉर्ट सेलर फॉर्म हिडेनबर्ग ने एक बार फिर धमाकेदार रिपोर्ट जारी की है। शनिवार को जारी की गई इस रिपोर्ट में अडानी ग्रुप और सेबी की माधबी पुरी बुच के बीच लिंक होने का दावा किया गया है। इस रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि कथित अडानी धन हेराफेरी घोटाले में इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट ऑफशोर फंड में माधबी बुच और उनके पति धवल बुच की हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने अरबपति उद्योगपति गौतम अडानी के कारोबारी समूह से जुड़ी अपनी पिछली रिपोर्ट के 18 महीने बाद इस रिपोर्ट में यह सनसनीखेज दावा किया है।

दूसरी ओर सेबी चीफ माधवी पुरी बुच ने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में लगाए गए आरोपों को पूरी तरह खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट में लगाए गए आरोप पूरी तरह निराधार हैं। सेबी चीफ ने इसे चरित्र हनन की कोशिश भी बताया। उन्होंने कहा कि मुझे बदनाम करने की कोशिश के तहत ये आरोप लगाए गए हैं जबकि इनमें तनिक भी दम नहीं है।

रिपोर्ट में सेबी चीफ पर गंभीर आरोप

हिंडनबर्ग ने शनिवार को एक ब्लॉग पोस्ट में आरोप लगाया कि अडानी समूह की कंपनियों में हेरफेर के लिए इस्तेमाल किए गए अस्पष्ट आफशोर (विदेश में स्थित) फंड में माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच की हिस्सेदारी थी। हिंडनबर्ग ने आरोप लगाया कि सेबी ने अडानी के मारीशस और आफशोर शेल संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई में कोई रुचि नहीं दिखाई है।

अमेरिकन शॉर्ट-सेलर ने 'व्हिसलब्लोअर दस्तावेजों' का हवाला देते हुए दावा किया कि जिन ऑफशोर संस्थानों का इस्तेमाल अडानी मनी सायफनिंग घोटाले में हुआ,उनमें सेबी चीफ की हिस्सेदारी थी।

सेबी चीफ ने रिपोर्ट को किया खारिज

इस बीच हिंडनबर्ग की इस रिपोर्ट को सेबी की माधबी पुरी बुच ने पूरी तरह खारिज कर दिया है। सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच ने रविवार की सुबह जारी एक संयुक्त बयान में कहा कि 10 अगस्त को आई हिंडनबर्ग रिपोर्ट में हमारे खिलाफ लगाए गए आरोपों के संदर्भ में हम बताना चाहते हैं कि हम रिपोर्ट में लगाए गए आधारहीन आरोपों को सिरे से खारिज करते हैं। उन्होंने कहा कि इस रिपोर्ट में तनिक भी सच्चाई नहीं है। हमारा जीवन और फाइनेंस खुली किताब की तरह है। हमें जो भी खुलासे करने की जरूरत थी, वो सारी जानकारियां बीते सालों में सेबी को दी गई हैं।


दस्तावेज पब्लिक करने में आपत्ति नहीं

माधबी पुरी और उनके पति ने इस बयान में साफ तौर पर कहा है कि हमें अपने फाइनेंशियल डॉक्यूमेंट पब्लिक करने में कोई ऐतराज नहीं है। उन्होंने कहा कि जब हम प्राइवेट लाइफ जी रहे थे, हम उस समय के दस्तावेजों को भी जारी कर सकते हैं। सेबी चीफ ने कहा कि हम किसी भी अथॉरिटी को सारे डॉक्यूमेंट उपलब्ध कराने के लिए तैयार हैं।

उन्होंने हिंडनबर्ग की रिपोर्ट को चरित्र हनन का प्रयास भी बताया। उन्होंने रिपोर्ट में लगाए गए सभी आरोपों को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए कहा कि पूरी पारदर्शिता का ध्यान रखते हुए वे जल्द ही इस बारे में विस्तृत रिपोर्ट जारी करेंगी।

अबानी समूह के खिलाफ नहीं हुई कार्रवाई

नई रिपोर्ट जारी करने के बाद हिंडनबर्ग ने कहा कि अडानी समूह पर हमारी मूल रिपोर्ट को लगभग 18 महीने बीत चुके हैं। इस बात के पर्याप्त सबूत पेश किए जा चुके हैं कि भारतीय कारोबारी समूह अडानी कॉर्पोरेट इतिहास का सबसे बड़ा घोटाले में संलिप्त रहा है। ठोस सबूतों और 40 से अधिक स्वतंत्र मीडिया जांच के बावजूद सेबी ने अडानी समूह के खिलाफ कठोर कार्रवाई नहीं की। कार्रवाई करने के बजाय जून, 2024 में सेबी की ओर से हमें एक स्पष्ट 'कारण बताओ' नोटिस भेजा गया।

सुप्रीम कोर्ट के आदेश का हवाला देते हुए हिंडनबर्ग रिसर्च ने कहा कि सेबी ने अपनी जांच में अदानी के ऑफशोर शेयरधारकों के वित्तपोषण की कोई जानकारी नहीं दी है। अगर सेबी वास्तव में ऑफशोर फंडधारकों को ढूंढना चाहता था, तो शायद जांच शुरू कर सकता था। हमें इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि सेबी ऐसी जांच करने में अनिच्छुक था, जो उसे अपने चेयरपर्सन तक ले जा सकती थी।

सेबी चीफ ने पति को ट्रांसफर कर दिए शेयर

रिपोर्ट में आरोप लगाया गया है कि माधबी पुरी बुच ने अपने शेयर पति को ट्रांसफर किए। अप्रैल 2017 से लेकर मार्च 2022 के दौरान माधवी पुरी बुच सेबी की सदस्य होने के साथ चेयरपर्सन भी थीं। उनका सिंगापुर में अगोरा पार्टनर्स नाम से कंसलटिंग फर्म में 100 फीसदी स्टेक था। 16 मार्च 2022 को सेबी के चेयरपर्सन पर नियुक्ति किए जाने से दो हफ्ते पहले उन्होंने कंपनी में अपने शेयर्स अपने पति के नाम ट्रांसफर कर दिए।

पिछले साल भी रिपोर्ट से दिया था बड़ा झटका

हिंडनबर्ग ने पिछले साल भी अपनी एक रिपोर्ट के जरिए अडानी समूह को करारा झटका दिया था। यह रिपोर्ट पिछले साल जनवरी महीने में जारी की गई थी। इस रिपोर्ट में अडानी समूह पर गंभीर वित्तीय अनियमितता बरतने का आरोप लगाया गया था। हिंडनबर्ग रिसर्च रिपोर्ट जारी होने के बाद शेयर बाजार में भूचाल आ गया था। निवेशकों के करोड़ों रुपये डूब गए थे।

इस रिपोर्ट के बाद अडानी समूह के अधिकांश शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई थी। आर्थिक नुकसान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि रिपोर्ट आने से पहले गौतम अडानी दुनिया के धनकुबेरों में नंबर दो अरबपति थे, लेकिन रिपोर्ट जारी होने के बाद वे 36वें नंबर पर पहुंच गए थे। उस समय अडानी समूह की ओर से भी इस रिपोर्ट को पूरी तरह निराधार बताया गया था।

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