Indian Stock Market History: बरगद के एक पेड़ से जुड़ी हैं सेंसेक्स की बुनियाद की जड़ें, जानिए एक भारतीय स्टॉक मार्केट की कहानी

Origin of Sensex In India History: 1875 में ‘The Native Share and Stock Brokers’ Association’ की स्थापना हुई, जो आगे चलकर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज बनी। इसकी सदस्यता केवल 1 रुपये में दी गई और 318 सदस्यों ने इसकी नींव रखी।;

Written By :  Jyotsna Singh
Update:2025-04-10 10:39 IST

Indian Stock Market (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

Indian Stock Market Ki Kahani: भारत में पूंजी बाजार (Capital Market) की कहानी केवल आंकड़ों और ग्राफ़ की नहीं, बल्कि एक बरगद के पेड़ की छांव से शुरू होने वाली दूरदर्शी सोच, साहसिक व्यापारिक कदमों और आर्थिक उत्थान के सफर की है। आज जिसे हम ‘सेंसेक्स’ (Sensex) कहते हैं, उसकी शुरुआत एक ऐसे अनौपचारिक समूह से हुई, जिसने 19वीं सदी के मध्य में बंबई (अब मुंबई) में शेयरों की खरीद-फरोख्त शुरू की थी। यह आलेख न केवल सेंसेक्स के विकास की तकनीकी यात्रा को समझाता है, बल्कि उसकी ऐतिहासिक, सामाजिक और आर्थिक पृष्ठभूमि को भी सामने लाता है।

बरगद के पेड़ से दलाल स्ट्रीट तक फैली है सेंसेक्स की कहानी (Sensex Extends From Banyan Tree To Dalal Street Story)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1850 के दशक में चर्चगेट स्थित हार्निमन सर्कल के पास एक बरगद के पेड़ के नीचे चार गुजराती और एक पारसी दलाल शेयरों का लेन-देन किया करते थे। धीरे-धीरे, यह गतिविधि इतनी बढ़ गई कि 1855 में इन्हीं दलालों ने एक छोटा ऑफिस खरीदा और यहीं से बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) की नींव पड़ी। मेडोज़ स्ट्रीट और एमजी रोड के संगम पर इस गतिविधि का केंद्र बनने के कारण इस स्थान को आज हम 'दलाल स्ट्रीट' (Dalal Street) के नाम से जानते हैं।

BSE की औपचारिक शुरुआत और प्रेमचंद रायचंद की भूमिका (Formal Launch of BSE and Role of Premchand Raichand)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1875 में ‘The Native Share and Stock Brokers’ Association’ की स्थापना हुई, जो आगे चलकर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (Bombay Stock Exchange) बनी। इसकी सदस्यता केवल 1 रुपये में दी गई और 318 सदस्यों ने इसकी नींव रखी। इसका श्रेय प्रेमचंद रायचंद जैन (Premchand Roychand) को दिया जाता है, जिन्हें उस समय ‘बॉम्बे का कॉटन किंग’ (Bombay Cottonn King) कहा जाता था। वह भारत के पहले शेयर बाजार विश्लेषकों में से एक माने जाते हैं। 1957 में भारत सरकार ने इसे "Securities Contracts Regulation Act" के तहत आधिकारिक मान्यता दी।

सेंसेक्स की शुरुआत और नामकरण (Origin and Naming of Sensex)

1 जनवरी 1986 को BSE ने ‘ Sensitive Index’ की शुरुआत की, जिसे बाद में संक्षिप्त रूप से ‘Sensex’ कहा गया। यह नाम प्रसिद्ध स्टॉक मार्केट विश्लेषक दीपक मोहनी ने सुझाया था। यह इंडेक्स BSE में सूचीबद्ध 30 प्रमुख कंपनियों के प्रदर्शन को दर्शाता है, जो विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करती हैं। सेंसेक्स, अर्थव्यवस्था का तापमान नापने वाला थर्मामीटर बन गया।

सेंसेक्स की ऐतिहासिक चालें और उतार-चढ़ाव (Historical Movements and Fluctuations of Sensex -1986-2025)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

1991 में उदारीकरण की लहर

नरेंद्र मोदी सरकार के पूर्व, 1991 में भारत में आर्थिक उदारीकरण की शुरुआत हुई। विदेशी निवेश के रास्ते खुले और सेंसेक्स ने छलांग लगाई। उसी दशक में हर्षद मेहता घोटाले ने निवेशकों का विश्वास भी हिलाया।

2008 में वैश्विक मंदी

अमेरिकी सबप्राइम संकट के चलते सेंसेक्स जनवरी 2008 में 21,000 से गिरकर अक्टूबर में 8,000 के करीब पहुंच गया।

2020 में कोविड-19 की मार

मार्च 2020 में कोविड के लॉकडाउन की घोषणा के बाद सेंसेक्स एक ही दिन में 3,900 अंकों से गिरा, जो उस समय की सबसे बड़ी गिरावट थी। हालांकि, महामारी के दौरान सरकार के राहत पैकेज और कम ब्याज दरों ने इसे पुनः उभार दिया।

2022-23 में रहा तेज़ी का दौर

इस दौर में सेंसेक्स ने 60,000 से ऊपर की ऐतिहासिक ऊंचाई देखी। टेक और फार्मा सेक्टर का प्रदर्शन शानदार रहा।

वर्ष 2024-25 में अस्थिरता की वापसी

2024 के आम चुनावों और वैश्विक मंदी की आशंकाओं के बीच बाजार में एक बार फिर अस्थिरता दिखी। 2025 की शुरुआत में कुछ तिमाही घाटों, अमेरिकी ब्याज दरों में बढ़ोतरी, और तेल की कीमतों में उथल-पुथल के कारण सेंसेक्स में गिरावट दर्ज की गई, हालांकि यह अब भी 70,000 के आसपास बना हुआ है।

जब RBI ब्याज दर घटाता है, तो इसका सेंसेक्स पर क्या असर पड़ता है (When RBI Reduces Interest Rate, What Effect Does It Have On Sensex)

जब RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) ब्याज दर घटाता है, तो इसका सेंसेक्स पर आमतौर पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इसके पीछे ये कारण होते हैं:-

1. सस्ते कर्ज की उपलब्धता:

ब्याज दर घटने से बैंक कर्ज सस्ते हो जाते हैं। इससे कंपनियां अधिक कर्ज लेकर विस्तार कर सकती हैं और उपभोक्ता भी अधिक खर्च करते हैं।

2. उद्योगों को बढ़ावा:

विशेष रूप से ऑटो, रियल एस्टेट और बैंकिंग सेक्टर को फायदा होता है, जिससे उनके शेयरों में तेजी आती है।

3. निवेशकों का भरोसा:

कम ब्याज दरें निवेशकों को इक्विटी मार्केट की ओर आकर्षित करती हैं।

सेंसेक्स में उतार-चढ़ाव क्यों आता है (Why Does the Sensex Fluctuate?)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

सेंसेक्स का उतार-चढ़ाव अनेक कारकों पर निर्भर करता है:-

1. आर्थिक नीतियां

बजट, टैक्स दरों में बदलाव या सरकारी योजनाओं का प्रभाव।

2. वैश्विक घटनाएं

अमेरिका के ब्याज दर फैसले, युद्ध, या महामारी।

3. कंपनी के प्रदर्शन

टॉप 30 कंपनियों के तिमाही नतीजे सेंसेक्स को प्रभावित करते हैं।

4. जनता की भावना

निवेशकों का विश्वास या भय तेजी से इंडेक्स को ऊपर-नीचे करता है।

5. FII/DII निवेश

विदेशी और घरेलू संस्थागत निवेशकों की क्रियाएं।

BSE और सेंसेक्स केवल आर्थिक संकेतक नहीं, बल्कि भारतीय निवेश यात्रा का प्रतीक हैं। 1 रुपये की सदस्यता से शुरू होकर, आज सेंसेक्स लाखों निवेशकों की धड़कन बन गया है। इसका हर उतार-चढ़ाव हमें एक नया सबक देता है कि पूंजी बाजार विश्वास, धैर्य और दूरदर्शिता की बुनियाद पर खड़ा होता है।

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