LIC Share Price: निवेशक घबराये, अब और कितना गिरेगा एलआईसी का शेयर

LIC Share Price: सोमवार के इंट्रा-डे ट्रेड में बीएसई पर LIC के शेयर 4 फीसदी फिसलकर 681.70 रुपये पर आ गए। अब LIC के शेयर की कीमत उसके निर्गम मूल्य 949 रुपये प्रति शेयर से 28 फीसदी कम है।

Newstrack :  Neel Mani Lal
Update: 2022-06-13 12:32 GMT

LIC (फोटो साभार- सोशल मीडिया) 

LIC Share News: भारतीय जीवन बीमा निगम (LIC) का शेयर जिस तरह से गिर रहा है, उससे निवेशकों में बेचैनी बढ़ती जा रही है। शेयर रखें कि बेच (LIC Share Hold Or Sell) दें, कुछ समझ नहीं आ रहा है। आज तो शेयर 4 फीसदी और गिर गया है।

दरअसल, एंकर निवेशकों के लिए लॉक इन अवधी आज ही समाप्त हुई है। यानी आज से एंकर निवेशक अपने शेयर बेचने के लिए स्वतंत्र हैं। इसके साथ ही सोमवार के इंट्रा-डे ट्रेड में बीएसई पर एलआईसी के शेयर 4 प्रतिशत फिसलकर 681.70 रुपये पर आ गए। अब एलआईसी के शेयर की कीमत (LIC Share Rate) उसके निर्गम मूल्य 949 रुपये प्रति शेयर से 28 फीसदी कम है। आईपीओ के समय खुदरा निवेशकों को 905 रुपये प्रति शेयर पर शेयर आवंटित किए गए थे, जबकि पॉलिसीधारकों को 889 रुपये प्रति शेयर पर आवंटन प्राप्त हुआ था।

गंवाना पड़ा 1.2 लाख करोड़ रुपये का बाजार पूंजीकरण

17 मई, 2022 को बाजार की शुरुआत के बाद से स्टॉक अपने सबसे निचले स्तर पर कारोबार कर रहा था। यह सीधे 10वें कारोबारी दिन के लिए फिसल गया और इस अवधि के दौरान 19 प्रतिशत की गिरावट आई। इसके साथ ही एलआईसी को लिस्टिंग के बाद से 1.2 लाख करोड़ रुपये का बाजार पूंजीकरण (Market Capitalization) गंवाना पड़ा है।

एलआईसी ने एंकर निवेशकों से 5,627 करोड़ रुपये जुटाए थे, जिसमें से 71 प्रतिशत राशि घरेलू म्यूचुअल फंड से आई थी। कुल मिलाकर, राज्य के स्वामित्व वाली बीमा कंपनी ने 123 निवेशकों को लगभग 59.3 मिलियन शेयर 949 रुपये पर आवंटित किए हुए हैं।

एंकर निवेशक ऐसे संस्थागत इन्वेस्टर होते हैं जिन्हें किसी कंपनी के इनिशियल पब्लिक ऑफर (IPO) से पहले शेयर आवंटित किए जाते हैं। लॉक-इन अवधि (Lock-in Period) समाप्त होने से एंकर निवेशक बाजार में अपने मौजूदा शेयर बेच सकेंगे। एंकर निवेशकों के पास एलआईसी के 3.5 फीसदी फ्री फ्लोट का करीब 1 फीसदी हिस्सा मौजूद है।

निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियां तेजी से बढ़ रहीं

एलआईसी भारत में एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र की जीवन बीमा कंपनी है और विश्लेषकों का मानना है कि निजी क्षेत्र की बीमा कंपनियां एलआईसी की तुलना में तेजी से बढ़ रही हैं और बाजार हिस्सेदारी हासिल कर रही हैं, इस बात का कोई भरोसा नहीं है कि एलआईसी आगे अपनी बाजार हिस्सेदारी नहीं खोएगी। हालांकि विश्लेषक एलआईसी के बाजार नेतृत्व और आरामदायक मूल्यांकन के बारे में आशावादी बने हुए हैं।

एलआईसी की बाजार स्थिति से सरकार भी चिंतित है। पिछले हफ्ते सरकार ने कहा था कि वह एलआईसी के शेयरों में अस्थायी चूक को लेकर चिंतित है और बीमा कंपनी का प्रबंधन इन पहलुओं पर गौर करेगा और शेयरधारकों का मूल्य बढ़ाएगा। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, एलआईसी एक मूल्यवान संपत्ति है और निवेशकों की दहशत चिंताजनक है।

एंकर इश्यू में डोमेस्टिक इंश्योरेंस कंपनियों और पेंशन फंड्स ने हिस्सा लिया था। इस श्रेणी के कुछ प्रमुख नामों में आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल लाइफ इंश्योरेंस, एसबीआई लाइफ इंश्योरेंस, कोटक महिंद्रा लाइफ इंश्योरेंस, पीएनबी मेटलाइफ इंश्योरेंस, एसबीआई पेंशन फंड और यूटीआई रिटायरमेंट सॉल्यूशंस पेंशन फंड स्कीम शामिल हैं। विदेशी भागीदारी में सिंगापुर सरकार, सिंगापुर के मौद्रिक प्राधिकरण, सरकारी पेंशन फंड ग्लोबल और बीएनपी निवेश एलएलपी शामिल थे। एलआईसी का गठन 1 सितंबर 1956 को 245 निजी जीवन बीमा कंपनियों का विलय और राष्ट्रीयकरण करके 5 करोड़ रुपये की प्रारंभिक पूंजी के साथ किया गया था।

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