Nirmala Sitharaman: दबाव बढ़ाने वाली हैं ब्याज दरें, इसे कम करने की जरूरत...निर्मला सीतारमण ने जताई चिंता

Nirmala Sitharaman: वित्त मंत्री ने इकनॉमिक ग्रोथ में स्लोडाउन की आशंका के बारे में चल रही चिंताओं के बीच भरोसा दिलाया और कहा कि सरकार घरेलू और ग्लोबल चुनौतियों से पूरी तरह वाकिफ है। अनावश्यक चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

Report :  Network
Update:2024-11-19 09:21 IST

Finance Minister Nirmala Sitharaman (Pic:Social Media)

Nirmala Sitharaman: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने महंगे कर्ज को लेकर चिंता जताई है। उन्होंने कहा है कि बैंकों को अपनी ब्याज दरें कम करने की जरूरत है। साथ ही उन्होंने इंश्योरेंस को लेकर भी अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि इंश्योरेंस ही गलत बिक्री भी कर्ज लेने की क्षमता को बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि मौजूदा बैंक ब्याज दरें कर्ज लेने वालों के लिए परेशानी का कारण बन गई हैं। ब्याज दरों को अर्फाेडेबल बनाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। उन्होंने अधिक किफायती दरों की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि यह तब बहुत जरूरी है जब बिजनेस विस्तार करना चाहते हैं। वित्त मंत्री ने बैंकों से कर्ज देने के अपने मूल काम पर ध्यान केंद्रित करने को कहा।

दबाव बढ़ाने वाली है ब्याज दर

सीतारमण ने कहा, महत्वपूर्ण बात यह है कि जब आप भारत की ग्रोथ की आवश्यकताओं को देखते हैं और कई तबकों से यह राय सामने आती है कि ब्याज दर वास्तव में बेहद दबाव बढ़ाने वाली है। ऐसे समय में जब हम चाहते हैं कि उद्योग तेजी से आगे बढ़ें और कैपेसिटी बिल्डिंग हो। बैंक ब्याज दरें कहीं अधिक सस्ती होनी चाहिए।

अनावश्यक चिंता करने की जरूरत नहीं

केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने भारतीय स्टेट बैंक के इंडिया बिजनेस और इकनॉमिक कॉन्क्लेव में बोलते हुए दोहराया कि हाई इंटरेस्ट रेट कितनी स्ट्रेसफुल हो सकती हैं। वित्त मंत्री ने इकनॉमिक ग्रोथ में स्लोडाउन की आशंका के बारे में चल रही चिंताओं के बीच भरोसा दिलाया और कहा कि सरकार घरेलू और ग्लोबल चुनौतियों से पूरी तरह वाकिफ है। अनावश्यक चिंता करने की कोई जरूरत नहीं है।

इंश्योरेंस को लेकर कही यह बात

वित्त मंत्री ने कहा ने इंश्योरेंस को लेकर भी अपनी बात रखते हुए कहा कि इंश्योरेंस ही गलत बिक्री भी कर्ज लेने की क्षमता को बढ़ाती है। उन्होंने कहा कि इंश्योरेंस प्रोडक्ट्स की गलत ढंग से बिक्री भी अप्रत्यक्ष रूप से किसी व्यक्ति या संस्था के लिए कर्ज लेने की लागत को बढ़ाती है।

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