Pyaj Ka Bhav : फिर से महंगा होगा प्याज, त्योहारों में फीका रहेगा स्वाद, ये है वजह
Pyaj Ka Bhav : प्याज की कीमतें बढ़ने से सामान्य परिवारों से लेकर बड़े-बड़े होटलों के मालिकों को परेशान में डाल दिया है।
Pyaj Ka Bhav : जैसे-जैसे त्योहारों के दिन नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे प्याज का स्वाद व्यंजनों में से धीमे-धीमे गायब होता जा रहा है। प्याज की कीमतें बढ़ने से सामान्य परिवारों से लेकर बड़े-बड़े होटलों के मालिकों को परेशान में डाल दिया है। नई फसल के आने में देरी होने इस साल प्याज के बढ़ते दामों से मंहगाई की मार झेलनी पड़ सकती है। खरीफ फसल बुवाई में बारिश की वजह से देरी होने और कई अन्य वजहों से अक्टूबर-नवंबर के दौरान प्याज के महंगे होने से आम जनता को प्याज को अनदेखा करना पड़ेगा।
प्याज के दामों पर क्रिसिल की एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया है। सामने आई इस रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल प्याज उत्पादन वाले इलाकों में अगस्त माह में मानसून की बारिश कम हुई, जिसकी वजह से खरीफ फसल की बुवाई में देरी हुई।
ये हैं वजहें
सूत्रों से सामने आई जानकारी के मुताबिक, भारत में प्याज की खपत हर महीने औसतन 13 लाख टन होती है। प्याज की कीमते बढ़ने के पीछे का कारण खरीफ के फसल के आने में देरी, बफर स्टॉक कई दिन न चलने और ताउते (Tauktae) साइक्लोन आने जैसी तमाम वजह है।
ऐसे में तीन साल पहले के मुकाबले दोगुनी दामों की रिपोर्ट के मुताबिक, 'अगर साल 2018 से तुलना की जाए तो इस साल प्याज के दामों (Pyaj Ka Kimat) में 100 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हो सकती है। मतलब कि उस समय से दोगुनी हो सकती हैं। वहीं इस साल खरीफ की फसल के लिए प्याज के थोक दाम 30 रुपये को पार कर सकते है। लेकिन बीते साल के मुकाबले यह थोड़ा कम ही होगा।'
इस रिपोर्ट के अनुसार, महाराष्ट्र में फसल रोपाई में आने वाली दिक्कतों की वजह से खरीफ 2021 के लिए प्याज के दाम (Pyaj Kitne Rupay Kilo Hai) 30 रुपये प्रति किलोग्राम को पार कर सकती हैं। लेकिन यह खरीफ 2020 के उच्च आधार के कारण सालाना आधार पर थोड़ी कम (1-5 फीसदी) रहेंगी।
साथ ही इस रिपोर्ट में कहा गया है कि बीते साल इसी त्योहारी सीजन में प्याज के दाम 2018 के सामान्य वर्ष की तुलना में दोगुनी हो गई थे। उस दौरान भी भारी बारिश की वजह से आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र में खरीफ फसल को काफी नुकसान झेलना पड़ा था।
इस बारे में क्रिसिल ने कहा कि रोपाई के लिए सबसे अहम महीना अगस्त में मानसून की स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ। इसके बावजूद खरीफ 2021 का उत्पादन सालाना आधार पर 3 फीसदी बढ़ने की उम्मीद है। इसके अलावा, महाराष्ट्र से प्याज की फसल देर से आने के बाद भी बुवाई रकबा बढ़ने, बेहतर पैदावार, बफर स्टॉक और निर्यात पर पाबंदी से कीमतों (Kandhe Ka Bhav) में मामूली गिरावट आने की उम्मीद है।
ऐसे होता है प्याज का उत्पादन
बता दें, जो प्याज हमें सालभर उपलब्ध होता बाजारों में वो एक मौसमी फसल है। इसे भारत में एक साल में दो से तीन बार उपजाया जाता है। जिससे मार्च महीने के आखिरी में उपजाया जाने वाला प्याज अक्टूबर के आखिरी और नवंबर की शुरुआत तक बाजारों में बना रहता है।
तभी इस दौरान अगस्त के महीने में प्याज की ताजा फसल दक्षिण के राज्यों से आती है। जोकि मध्य अक्टूबर तक, खरीफ प्याज की शुरुआती फसल भी बाजारों में दिखने लगती है और नवंबर महीने के बीच तक, खरीफ की फसल की उपज देर से खरीफ के मौसम में आती है।
लेकिन इस साल की बात करें तो अनियमित मानसून ने इस क्रम को अव्यवस्थित कर दिया। लगातार भारी बारिश की वजह से आंध्र प्रदेश, तेलंगाना और कर्नाटक सहित दक्षिण के राज्यों में खरीफ की लगभग 50 प्रतिशत तक नष्ट हो गई।
बारिश की वजह से न केवल पुणे का थोक बाजार, बल्कि नासिक का लासलगांव का प्याज केंद्र का भी नियमित खरीद-बिक्री के लिए पूरी तरह से डामाडोल हो गया है। अब अक्टूबर का महीना खत्म हो रहा है लेकिन अभी तक ताजा प्याज के आने की शुरूआत नहीं हुई है।
इस बारे में सरकारी आंकड़े बताते हैं कि भारत में हर साल प्याज का उत्पादन 2.5 करोड़ मीट्रिक टन होता है। जबकि भारत की आवश्यकता 1.5 करोड़ मीट्रिक टन की है। पर इस साल बारिश की वजह से प्याज की फसलों को काफी नुकसान हुआ है। फिलहाल सिर्फ इसी वजह से प्याज की कीमतों (Aaj Ka Onion Rate) में बढ़ोतरी नहीं हुई, बल्कि और भी कई कारण है।