RBI MPC Meeting: बढ़ेगा रेपो रेट! फैसला होगा आज

RBI MPC Meeting: आरबीआई की आज से शुरू हुई एमसीपी की बैठक अलगे तीन दिन तक चलेगी। 6 अप्रैल, 2023 को बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी सामने आएगी। मुंबई में आयोजित हो रही इस बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास कर रहे हैं।

Update:2023-04-04 15:37 IST
RBI MPC Meeting (सोशल मीडिया)

RBI MPC Meeting: भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक 03 अप्रैल, 2023 यानी सोमवार से देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में शुरू हुई। इस बैठक में कई आर्थिक मुद्दों पर चर्चा किए जाने की संभावना है। साथ ही, देश की महंगाई को भी लेकर चर्चा होनी है। ऐसी संभावनाएं लगाई जा रही हैं कि आरबीआई एक बार फिर से महंगाई को रोकने के लिए बेंचमार्क ब्याज दर में बढ़ोतरी कर सकता है। पिछले एमपीसी की बैठक में आरबीआई के अध्यक्ष शाशिकांत दास का बयान और अभी तक के बाजार विशेषज्ञों के मत की बात करें तो रेपो रेट में वृद्धि की संभावना पूरी है। इस बार आरबीआई करीब 25 आधार अंकों रेपो रेट में बढ़ोतरी कर सकता है। अगर ऐसा हुआ तो यह बीते एक साल के अंदर रेपो रेट में सातवीं वृद्धि होगी।

6 अप्रैल को आएंगे नतीजे

आरबीआई की आज से शुरू हुई एमसीपी की बैठक अलगे तीन दिन तक चलेगी। 6 अप्रैल, 2023 को बैठक में लिए गए निर्णय की जानकारी सामने आएगी। मुंबई में आयोजित हो रही इस बैठक की अध्यक्षता आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांत दास कर रहे हैं। आरबीआई देश में खुदरा मुद्रास्फीति को कम करने और वैश्विक केंद्रीय बैंकों से साथ तालमेल बनाए रखने का दबाव है। दरअसल, वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति लाने से पहले विभिन्न घरेलू और वैश्विक कारकों को ध्यान में रखने के लिए रिज़र्व बैंक की मौद्रिक नीति एमपीसी बैठक हो रही है।

आरबीआई एमपीसी बैठक के प्रमुख कारक

मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने मई के बाद से रेपो दर में कुल 250 आधार अंकों की वृद्धि की है। लेकिन उसके बाद भी अधिकांश समय महंगाई दर केंद्रीयि बैंक द्वारा निर्धारित रेट्स 6 फीसदी के ऊपर बनी हुई है। मिली जानकारी के मुताबिक, मौद्रिक नीति की बैठक में RBI गवर्नर की अध्यक्षता वाली समिति जिन दो प्रमुख कारकों पर गहन विचार-विमर्श करेगी, वे उच्च खुदरा मुद्रास्फीति और हाल ही में विकसित देशों के केंद्रीय बैंकों द्वारा रेपो रेट में बढ़ोतरी शामिल हैं।

आरबीआई अब दूसरे विकल्प पर करे विचार

वॉयस ऑफ बैंकिंग के फाउंडर अशवनी राणा का कहना है कि रिजर्व बैंक काफी कोशिश करने के बाद भी महंगाई पर पूरी तरह से काबू नहीं कर पा रहा है और बार बार रेपो रेट में वृद्धि करने से लोन लेने वाले लोगों को महंगाई की मार के साथ साथ लोन की किश्त में बढोतरी को भी झेलना पड़ता है। इसलिय रिजर्व बैंक को रेपो रेट में ज्यादा वृद्धि की जगह दूसरे रास्तों से महंगाई को रोकने की कोशिश करनी चाहिए।

फिर पहुंची छह फीसदी के ऊपर खुदरा महंगाई दर

दो महीने (नवंबर और दिसंबर 2022) के लिए 6 प्रतिशत से नीचे बने रहने के बाद, खुदरा मुद्रास्फीति एक बार फिर रिजर्व बैंक के निर्धारित दर से ऊपर चली गई है। उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति जनवरी में 6.52 प्रतिशत और फरवरी में 6.44 प्रतिशत थी।

एक्सिस बैंक के मुख्य अर्थशास्त्री सौगत भट्टाचार्य ने हाल ही में संवाददाताओं से कहा कि मैं दरों में एक और अंतिम 0.25 प्रतिशत की वृद्धि की देख सकता हूं। विकास में मंदी वर्तमान में उपाख्यानात्मक साक्ष्य में दिखाई दे रही है, मुद्रास्फीति में कुछ ठंडक के साथ मिलकर छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति को वित्त वर्ष 2024 की तीसरी तिमाही के अंत तक दरों में कटौती करने के लिए प्रेरित करना चाहिए।

2024 में होंगी छह एमपीसी की बैठकें

आपको बता दें कि नए वित्त वर्ष 2023-24 में आरबीआई की एमपीसी की छह बैठकें होनी हैं। इसकी पहली बैठक आज से शुरू हो गई है। केंद्र सरकार ने आरबीआई को यह सुनिश्चित करने का काम सौंपा है कि खुदरा मुद्रास्फीति दोनों तरफ 2 प्रतिशत के मार्जिन के साथ 4 प्रतिशत पर बनी रहे।

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