Unclaimed Money: अब एक क्लिक में निकल जाएगी बैंक फंसी धनराशि, RBI ने की घोषणा
Unclaimed Money: दावारहित जमा राशि के मामले पर एसबीआई बैंक सबसे ऊपर है। वर्तमान एसबीआई के पास 8,086 करोड़ रुपए की लावारिस जमा राशि है। दरअसल, बैंक में जमा राशि को दावारहित माना जाता है, जब कोई ग्राहक उस राशि पर 10 साल या उससे अधिक समय से कोई गातिविधि नहीं की हो।
Unclaimed Money: अब वो दिन बीतने वाली हैं, जब बैंक ग्राहकों को जमा राशि पर दावा करने के लिए कई बैंकों की साइट पर जाना पड़ा है, जिससे उन्हें काफी समस्या होती है। इस वजह से देश की बैंकों के पास लावारिस जमा राशि बढ़ने लगी है। आरबीआई अब इससे निजात पाने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने विभिन्न बैंकों में जमाकर्ताओं या उनके लाभार्थियों द्वारा दावा न किए गए जमा के बारे में जानकारी तक पहुंच की सुविधा के लिए एक केंद्रीकृत पोर्टल स्थापित करने की योजना का खुलासा किया है। यह घोषणा आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने गुरुवार को की है।
RBI को मिले 35 हजार करोड़ रुपए
RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने वित्त वर्ष 2024 की पहली द्वैमासिक मौद्रिक नीति की घोषणा करते हुए कहा कि जमाकर्ताओं या लाभार्थियों की पहुंच में सुधार और विस्तार करने के लिए, एक वेब पोर्टल विकसित करने का निर्णय लिया गया है ताकि संभावित दावा न किए गए जमा के लिए कई बैंकों में खोज की जा सके। केंद्रीय बैंक का यह कदम ऐसे समय आया है, जब फरवरी 2023 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (PSB) से करीब 35 हजार करोड़ रुपए की लावारिस जमा राशि आरबीआई को हस्तांतरित हुई है।
वित्त राज्य मंत्री कराड ने संसद को दी थी जानकारी
वित्त राज्य मंत्री भागवत कराड ने संसद में एक लिखित उत्तर में कहा कि फरवरी 2023 तक सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) द्वारा भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को स्थानांतरित की गई दावारहित जमा की कुल राशि 35,012 करोड़ रुपये थी। भारतीय रिजर्व बैंक के अनुसार, अदावाकृत जमा की बढ़ती मात्रा मुख्य रूप से बचत/चालू खातों को बंद न करने के कारण उत्पन्न होती है, जो जमाकर्ता अब संचालित नहीं करना चाहते हैं या परिपक्व सावधि जमा के लिए बैंकों के साथ दावा प्रस्तुत नहीं करते। इसके अलावा यह समस्या मृतक जमाकर्ताओं से संबंधित खातों के मामले भी आती है, जहां संबंधित बैंक (बैंकों) पर दावा करने के लिए नामिती/कानूनी उत्तराधिकारी आगे नहीं आते हैं।
ऐसे जमाकर्ताओं या मृत जमाकर्ताओं के नामितों/कानूनी उत्तराधिकारियों को जमाराशियों की पहचान करने और उनका दावा करने में मदद करने के लिए बैंक कुछ पहचाने जाने योग्य विवरणों के साथ अदावी जमाराशियों की सूची पहले से ही अपनी वेबसाइट पर उपलब्ध कराते हैं। वहीं, लोगों को प्रोत्साहित किया जाता है, वो ऐसी जमाराशियों का दावा करने के लिए संबंधित बैंक की पहचान करें और उससे संपर्क करें।
जानें कब होती है दावारहित राशि?
दरअसल, बैंक में जमा राशि को दावारहित माना जाता है, जब कोई ग्राहक उस राशि पर 10 साल या उससे अधिक समय से कोई गातिविधि नहीं की हो। इसके बाद बैंक इन राशियों को आरबीआई के अनुरक्षित "जमाकर्ता शिक्षा और जागरूकता" (डीईए) कोष में स्थानांतरित कर देती है। हालांकि, जमाकर्ता अभी भी बाद की तारीख में उन बैंक (बैंकों) से जमा राशि का दावा करने के हकदार हैं, जहां ऐसी जमाराशि लागू थी।
लावारिस जमा राशि पर SBI सबसे ऊपर
मिली जानकारी के मुताबिक, दावारहित जमा राशि के मामले पर एसबीआई बैंक सबसे ऊपर है। वर्तमान एसबीआई के पास 8,086 करोड़ रुपए की लावारिस जमा राशि है। उसके बाद इसके बाद पंजाब नेशनल बैंक ₹5,340 करोड़, केनरा बैंक ₹4,558 करोड़ और बैंक ऑफ बड़ौदा ₹3,904 करोड़ दावारहित जमा राशि है।