Notebandi के बाद भी नकदी पर ही भरोसा, 30 लाख करोड़ से ज्यादा नकदी सर्कुलेशन में

NoteBandi: डिजिटल भुगतान और नोटबंदी के बाद भी देश में नकदी का चलन बढ़ता जा रहा है। वर्तमान में 30 लाख करोड़ से ज्यादा नकदी सर्कुलेशन में है। जो पिछले 7 साल के मुकाबले लगभग दोगुना है।

Written By :  Neel Mani Lal
Update: 2022-11-07 05:09 GMT

Cash (Image Credit : Social Media)

Cash Use In India : नोटबंदी (NoteBandi Kab Hui Thi) के छह साल और डिजिटल भुगतान में तेजी के बावजूद देश में लोगों के पास कुल नकदी 13.18 लाख करोड़ रुपये बढ़ गई है। 6 साल पहले जहां लोगों के पास 17.7 लाख करोड़ रुपए नकद थे वहीं अब यह 30.88 लाख करोड़ हो गए हैं। यानी छह साल में नकदी 71.84 फीसदी बढ़ गई। नोटबन्दी और डिजिटल लेनदेन के बावजूद ऐसा हुआ।

रिज़र्व बैंक (RBI) की रिपोर्ट के अनुसार जीडीपी के अनुपात में डिजिटल भुगतान का बढ़ना इस बात का संकेत नहीं है कि नकदी घटी है। नोटबंदी के बाद डिजिटल लेनदेन में भले ही उल्लेखनीय वृद्धि हुई है लेकिन जीडीपी के अनुपात में डिजिटल भुगतान काफी कम है।

इस दीवाली नकदी के चलन में दर्ज हुई कमी

इस साल दिवाली वाले सप्ताह में नकदी के चलन में 7,600 करोड़ रुपये की कमी दर्ज की गई। 2009 में इस दौरान 950 करोड़ की गिरावट हुई थी। तब प्रमुख वजह आर्थिक मंदी थी। इस बार नकदी लेनदेन में कमी के कारण स्पष्ट नहीं हैं। शायद महंगाई इसकी प्रमुख वजह है। लेकिन स्टेट बैंक की एक स्टडी कहती है कि ये डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी हुई है।

जनता के पास मुद्रा से तात्पर्य उन नोटों और सिक्कों से है जिनका उपयोग लोग लेन-देन करने, व्यापार निपटाने और सामान और सेवाओं को खरीदने के लिए करते हैं। प्रचलन में मुद्रा से बैंकों के साथ नकदी की कटौती के बाद यह आंकड़ा निकाला जाता है।

2019, 2020 में कुछ ऐसे रहें आंकड़ें

2020 की एक रिपोर्ट के अनुसार, उस वर्ष डेबिट कार्ड से एटीएम से निकासी का औसत आकार बढ़कर 4,959 रुपये हो गया। अगस्त 2020 में प्रचलन में नकदी 26 लाख करोड़ रुपये (जीडीपी का 12 फीसदी) के रिकॉर्ड उच्च स्तर पर पहुंच गई थी। जबकि नवंबर 2019 से नकद निकासी में लगभग 10 फीसदी की वृद्धि हुई है, इस अवधि के दौरान यूपीआई ​​भुगतान 20 फीसदी के करीब बढ़कर 1,850 रुपये के औसत आकार तक पहुंच गया है।

कोरोना लॉकडाउन के पहले कुछ महीनों में नकद निकासी में अस्थायी मंदी थी, लेकिन बाद में यह पूर्व-कोरोना स्तर तक पहुंच गई। देश में डिजिटल लेनदेन बढ़ाने के प्रयासों के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में अब नकदी पर ज्यादा भरोसा है। शहरों में भी कई जगह कार्ड या डिजिटल पेमेंट नहीं लिए जा रहे हैं। मिसाल के तौर पर लखनऊ के तमाम पेट्रोल पंपों पर कार्ड या डिजिटल पेमेंट अकसर ही नहीं लिया जाता।

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